Wednesday 5 August 2015

शहरों के कूड़ों को उठाकर लाने के बाद ............

पटना। बिहार में बहार हो नीतीशे सरकार हो! बिहार में जनता परिवार के द्वारा 25 साल राज किया गया। बड़े भाई 15 साल और छोटे भाई 10 साल सत्ता में रहे। फिर भी एक समुदाय का सामाजिक-आर्थिक विकास नहीं हो सका। आज भी कूड़ों के ढेर पर से किस्मत बनाते हैं। ट्रैक्टर को देखकर बहार और मातम मनाते हैं। इन लोगों को देखकर लगता है कि कूड़े देखकर कुकुर और सुअर भीड़ लगा देते थे। अब तो इंसान भीड़ लगा रहे हैं। ऐसे ही सरकार के द्वारा गरीबों का विकास किया जा रहा है।

कुछ माह जीतन राम मांझी भी मुख्यमंत्री बने। अपने बिरादरी के लिए पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कुछ नहीं किया। जब विधायक थे, तब जोरशोर से महादलित मुसहर समुदाय को अनुसूचित जाति के श्रेणी से निकालकर मुसहर समुदाय को अनुसूचित जन जाति के श्रेणी में लाने की वकालत किया करते थे। पटना के श्रीकृष्णा स्मारक सभागार में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अनुसूचित जन जाति में शामिल करने का स्वर मुखरित किए। इसके बाद स्वर को गति प्रदान नहीं कर सकें। फलतः मुसहर समुदाय की स्थिति पूर्ववत ही रह गयी।

ट्रैक्टर को देखकर बहार मनाने वाले कहते हैं कि घर-घर का कूड़ा ट्रैक्टर पर भर कर लाते हैं। कूड़ों के ढेर से बहुत समान निकलता है। जिसे कबाड़ी की दुकान में बेंचा जा सकता है। एक दिन में 50 से 60 रूपए कमा लेते हैं। गन्दगी और दुर्गंघ को ख्याल नहीं करते हैं। पापी पेट को भरने के लिए नजर अंदाज कर दिया जाता है। कागज,शीशा, प्लास्टिक आदि बेंचकर घर का चूल्हा जलता है। हमलोग पढ़ने नहीं जाते हैं। अगर पढ़ने स्कूल चले जाएंगे तो घर में चूल्हा जलेगा ही नहीं।

बिहार में बहार हो नीतीशे सरकार हो को लाने वाले नेताओं को महादलित मुसहर समुदाय की सामाजिक और आर्थिक स्थिति सुधारने की दिशा में कार्य करें ताकि मुसहर समुदाय मुख्यधारा में सम्मिलित हो सकें।


आलोक कुमार

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