संपूर्ण
शरीर में फिबरोमा ग्रोथ
पटना। वह पुत्र की हालत देख रही थीं। बुढ़ी आंख
वाली माता मसीहा की तलाश कर रही थीं। हां, अजूबा रोग
के शिकार हो गया है पुत्र। जो लोग बता दिए मां दौड़ जाती इलाज कराने । भीषण मंहगाई
और इलाज करवाने में मां असमर्थ हो गयी थीं। पहले ही पतिदेव स्वर्ग सिधार गए थे। लाख
प्रयास करने के बाद भी विधवा केशरी देवी को लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन
हासिल नहीं हुआ। निधन हो जाने के बाद पतिदेव का पेंशन के रूप में मात्र दो हजार
रूपए मिल जाता था। इस राशि से बढ़ती मंहगाई में दिन दुनिया चलाने में असर्मथ हो
जाती थीं विधवा। इसी चक्कर में मजबूर मां केशरी देवी भी दुनिया को अलविदा कह कर
चली गयीं। इस समय तन्तुशोध से पीड़ित विनोद राम अकेले ही जिदंगी काट रहा है।
राजधानी
से छह किलोमीटर की दूरी पर स्थित दीघा नहर के किनारे किराये पर रहती थीं मुस्मात
केशरी देवी।उनका विवाह रामाशीष दास से हुआ। दोनों के चार संतान हुए। 6 साल पहले शंकुतला देवी की अचानक मौत हो गयी। गा्रमीण परिवेश
में रहने के कारण लोगों ने कहा कि उसे डायन निगल गया है। वह 40 वर्ष की थीं। मात्र नाजायज देखने के बाद आपत्ति दर्ज करने पर
राजकुमार (12साल) को पीट-पीट कर हत्या कर दी गयी।
दोनों का सदमा से बेहाल केसरी देवी हैं। उनका एक लड़का शिवनाथ दास का विवाह हो गया
है।
दीघा नहर
के किनारे रहते हैं। चना आदि बेचकर परिवार चलाते हैं। इसके बाद रोगग्रस्त विनोद
कुमार हैं। जो अजूबा बीमारी की चपेट में आ गये हैं। 5 वर्ष की अवस्था से बीमारी के शिकार हो गए हैं। उसके शरीर पर गांठ उभरना
शुरू हो गया। काफी दवाई कराने के बाद भी ठीक नहीं हो सका। कैन्ट रोड, खगौल पटना के डाक्टर रामवृक्ष सिंह (होमियोपैथ) से दिखाता है।
अभी वह 30 वर्ष का हो गया है। कभी कभी काम करने जाता
है। ऐसी बीमारी को देखकर लोग काम भी नहीं देते हैं। परिवार की स्थिति भयावर है।
विनोद राम के पिता रामाशीष दास रेलवे में काम करते थे। 9 साल पहले देहांत हो गया। उनको पेंशन के रूप में दो हजार रूपए मिलता है।
उसी से घर चलाया जाता है। नहर के किनारे रहने पर भी मकान मालिक दासू राय को मकान
का किराया दो सौ रूपए देना पड़ता है। इसी में विनोद राम का इलाज भी करवाना पड़ता है।
जब पैसा रहता है तो उसका इलाज होता है। पैसे के अभाव में ठीक तरह से इलाज संभव
नहीं है। वह कहते कहते रोने लगती है कि राशि के अभाव में मां-बेटा भूखले सो जाते
हैं। बगल में रहने वाला पुत्र शिवनाथ दास और उसकी पत्नी पूछने के लिए भी नहीं आते
हैं। कई बार सरकार के पास लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लिए आवेदन दिए
परन्तु कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला।
विनोद कुमार ने कहा कि संपूण शरीर में
तन्तुशोथ हो गया है। उसपर चिउटी काटने से पता नहीं चलता है। इसको देखकर कोई काम
नहीं देते हैं। यह भी कहा कि वह षादी करने को इच्छुक हैं। इस बीमारी की विकरालता
के कारण कोई बाप अपनी बेटी को देना पसन्द नहीं करते हैं।
दीघा बालूपर मोहल्ला के सामने निजी प्रैक्टिस
करने वाले डाक्टर जयप्रकाश शर्मा, डी0एच0एम0एस0 ने कहा कि विनोद कुमार को फिबरोमा
गा्रेथ हो गया है। इसके लिए नियमित ढंग से आठ से दस साल तक दवा-दारू करनी चाहिए।
होमियोपैथ में इलाज संभव है। उसे बैंगन, कच्चा
प्याज, लहसुन, खट्टा, लौंग, ईलाइची का सेवन नहीं करना चाहिए। यह बीमारी दुर्लभ है। हजारों में एक
व्यक्ति शिकार होता है।
अभी हाल के दिनों में जियोग्रारफी चैनल में
दिखाया गया कि एक वंदा के शरीर में एक नहीं अनेक गांठ उभर गया है। अनुमानित गांठ
की वजन आधा से एक किलोग्राम तक होगा। आंख के बगल उभरे गांठ के कारण आंख लगभग ढंक
ही गया। किसी और व्यक्ति के सहारे चल फिर रहा था। उसका शल्य चिकित्सा किया जाता
है। एकएक नस को समूल निकाला जाता है। जो बहुत ही मंहगी इलाज है।
1 पुरूष और
4 महिलाएं भी पीड़ित हैं। इसमें दानापुर में
रहने वाली मां और बेटा भी हैं। रामजयपाल नगर,दीघा और सदाकत आश्रम के पास में रहती हैं।
आलोक
कुमार
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