Tuesday 7 May 2013

महिलाओं को दी जाएगी ऑटो की ट्रेनिंग

                        

महिलाओं को दी जाएगी ऑटो की ट्रेनिंग

पटना। अगर कोई युवती साइकिल पर बैठती है। तो लोगों की निगाह साइकिल पर बैठी युवती पर जा टिकती है। अगर कोई युवती ऑटो चलाने के लिए ड्राइवरिंग सीट पर बैठ जाए तो मामला गंभीर और दर्शनीय बन जाता है। कुछ इसी तरह बबीता कुमारी के संग भी हुआ। उसने ऑटो चलाने की ट्रेनिंग ली और पटना-दानापुर मुख्य मार्ग पर ऑटो को दौड़ाने लगी। युवती को ऑटो चलाते देख कौतूहलवश लोग देखते ही रह जाते थे। इस नवाचार कार्य को देखकर मीडिया ने भी बबीता की तारीफ में पूल बांधने लगे। छोटे-बड़े अखबारों ने सुर्खिया बनाने लगे। फीचर न्यूज बनने लगे। राजधानी से प्रकाशित टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी खुद को नहीं रोक सका। बबीता कुमारी के बारे में सचित्र स्टोरी प्रकाशित कर दिये।
 आखिर महिला होकर बबीता कुमारी को ऑटो चालक क्यों बनना पड़ा? उत्तरी मैनपुरा ग्राम पंचायत के गंगस्थली में रहने वाले धनंजय कुमार यादव कहते हैं कि पश्चिमी मैनपुरा ग्राम पंचायत के गोसाई टोला गांव में मेवालाल यादव रहते थे। पाटलिपुत्र औघोगिक प्रांगण में स्थित एक फैक्ट्री में मेवालाल यादव कार्य करते थे। अपरिहार्य कारणों से फैक्ट्री के मालिक ने फैक्ट्री को बंद कर दिया। इसके कारण कार्यरत कर्मचारीगण सड़क पर गये। छटनीग्रस्त मेवालाल यादव के सात-आठ बच्चे थे। पिताश्री की नौकरी चले जाने के बाद मुश्बितों के काले पहाड़ परिवार पर आकर गिर पड़ा। कोई चारा नहीं दिखायी दे रहा था। तभी एक राह दिखायी दी कि चलो पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के द्वारे। पूर्व मुख्यमंत्री के द्वार पर बबीता की मां-बाप और उसके भाई-बहन चले गये। मुख्यमंत्री के तीमारदारी में लगे पुलिसकर्मी मुलाकात का समय नहीं है कहकर आये लोगों को खदेड़ने लगे। इसका विरोध मां-बाप और बच्चे करने लगे। पूरी कार्रवाई का नेतृत्व बबीता कुमारी करने लगी।
 कुछ समय के बाद आवास से निकलकर गाड़ी में बैठकर दफ्तर की ओर लालू प्रसाद यादव जाने लगे। इतने में आहत सभी लोगों ने मुख्यमंत्री के काफिला को आगे बढ़ने नहीं देने लगे। बीच राह में आफत आने पर मुख्यमंत्री ने हस्तक्षेप किया और मामले की जानकारी लेनी शुरू कर दी। संपूर्ण माजरा समझने के बाद मुख्यमंत्री ने ऑटो रिक्शा उपलब्ध करा देने का आश्वासन दिये। तब जाकर मामला शांत हुआ।
कुछ दिनों के बाद ऑटो रिक्शा आने के बाद बबीता कुमारी ऑटो चलाने लगी। कुछ साल ऑटो चलाकर बबीता कुमारी रूतबा बढ़ा ली। ऑटो रिक्शा चालकों की बुरी संगति में पड़ने से गाड़ी पटरी पर से उतर गयी। इसके बाद शादी कर ली और ऑटो को टा-टा-बाय-बाय कर दी।
 अभी बिहार से खुबसूरत केरल को देखकर आने वाले बिहारी भाई ने भ्रमण को वास्तविक परिणाम देने पर अमादा हैं। वहां पर महिलाएं युवतियां ऑटो चलाती हैं। उसी तर्ज पर पटना में भी महिलाओं युवतियों को प्रशिक्षण देकर ऑटो चालक बनाने का प्रयास जारी है। पटना में महिलाएं युवतियां को  ऑटो चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। वेटनरी कॉलेज परिसर में सप्ताह में तीन दिन शनिवार , रविवार बुधवार को पटना जिला ऑटो रिक्शाचालक संघ से जुड़े लोग उन्हें ऑटो बचाने की ट्रेनिंग देंगे। संघ के महासचिव राजकुमार झा ने बताया कि अब तक सात महिलाओं युवतियों ने प्रशिक्षण लेने के लिए संपर्क किया है। इच्छुक लोग  9308784614, 93341218125  और 9431844444 संपर्क करें।
 सामाजिक कार्यकर्ता दौलत कुमार का कहना है कि ऊपर वाली बबीता कुमारी की खबर से परेशान होने की जरूरत नहीं है। अच्छाई और बुराई सभी जगहों में है। हम अच्छाईयों को ग्रहण करें और बुराईयों को अंत करें। महिलाओं युवतियों की सुरक्षा और मार्ग दर्शन देने के लिए कानून बने हैं। दिन-रात प्रशासन साथ में हैं। अमीर घरों की  महिलाएं युवतियां गाड़ी तो चलाती ही है। अब तो सुशासन सरकार के राज्य में युवतियां फर्राटेदार साइकिल चला रही हैं। एक बार फिर अब पटनाइट को ऑटो चालक के रूप में महिलाएं युवतियां मिलने वाली है। विश्वास और भरोसा है कि इस तरह के नये व्यवसाय और नयी चुनौती को ग्रहण करने वालों को पटनावासियों का अपेक्षित सहयोग मिलेगा। फिलवक्त पटना में भी शुरूआत की जा रही है। जल्द ही गया, मुजफ्फरपुर आदि जगहों मे भी महिलाओं युवतियों को ऑटो चालक के रूप में देखा जा सकता है।