जमीन को ईंच-ईंच खोदकर किया महुआ बर्बाद
महुआ और मिठ्ठा से बनता है महुआ दारू
पटना। बिहार विधान सभा के चुनाव के मद्देनजर शराब विरोधी अभियान चल रहा है। उत्पाद विभाग के द्वारा चिन्हित एरिया में जाकर जमीन को ईंच-ईंच खोदकर महुआ बर्बाद किया जा रहा है। यह जगजाहिर है कि उत्पाद विभाग के नकारापन के कारण ही कुकुरमुत्ता की तरह महुआ दारू चुलाने का धंधा संचालित है।मजे की बात है कि उत्पाद विभाग के द्वारा अभियान चलाया जाता है। मगर किसी को गिरफ्तार नहीं किया जाता है।इसके कारण धंधा करने वाले लोगों का मनोबल सातवें आसमान पर चढ़ जाता है।यह जरूर होता है कि महुआ दारू बनाने वाले समानों को बर्बाद कर दिया जाता है।अभियान चलाने वाले करवट लेकर जाते ही महुआ दारू बेचने का धंधा शुरू कर दिया जाता है। विभाग द्वारा कदापि रोकने का प्रयास नहीं किया जाता है।
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दीघा मुसहरी में महुआ दारू चुलाने का धंधा करने वालों का कहना है कि हमलोग कृषि मजदूर हैं। बिहार राज्य आवास बोर्ड द्वारा दीघा की जमीन को अधिग्रहण कर लेने के बाद से बेरोजगार हो गए। बेरोजगार लोग रद्दी कागज चुनने लगे। अब तो रद्दी कागज
चुनने
जाने
पर
लोकल
लोग
प्रतिकार
करने
लगते
हैं।बच्चों
को
डंडे
से
पिटायी
करने
लगते
हैं।
नाजायज
ढंग
से
चोरी
करने
का
केस
दायर
करके
बाल
सुधार
गृह
में
प्रस्थान
करने
में
कामयाब
हो
जाते
हैं।
यहां
के
लोगों
का
कहना
है
कि
हमलोग
महुआ
दारू
चुलाने
एवं
दारू
बेचने
के
धंधे
से
तौबा
करना
चाहते
हैं।
इसके
लिए
सरकार
और
गैर
सरकारी
संस्थाओं
को
आगे
आना
पड़ेगा।
हमलोगों
को
रोजगार
देने
की
व्यवस्था
करनी
पड़ेगी।
हमारे
बच्चों
को
शिक्षित
करने
और
रोजगार
मूलक
प्रशिक्षण
देने
और
रोजगार
करने
के
लिए
पूंजी
की
व्यवस्था
करनी
पड़ेगी।तब
जाकर
महुआ
दारू
बंद
कर
देंगे।
दीघा मुसहरी के लोगों का कहना है कि आज के अभियान से एक शख्स को पांच हजार रू.का घटा लगा है। अभियान चलाने वालों ने जार,तसला आदि को तोड़ दिया है। एक जार की कीमत एक सौ रू. है। आज के अभियान के चलते बाल-बच्चा भूखे सोने को बाध्य हो गए। जिनके घर में पैसा था। ऐसे लोग बाजार में जाकर वैकल्पिक समान लाने में कामयाब हो गए। यहां के लोगों का कहना है कि उत्पाद विभाग द्वारा सुबह-सुबह में अभियान चलाने का मतलब होता है कि वह समानों को नुकसान पहुंचाएंगे। शाम के समय चालित अभियान गिरफ्तारी के लिए किया जाता है। जो गिरफ्तार लोगों से चार-पांच हजार रू.डकार लेने के बाद छोड़ देते हैं। उत्पाद विभाग में ही लोग हैं जो माहवारी रकम वसूल करते हैं। ऐसे लोग अभियान के बारे में मोबाइल से सूचना प्रचारित कर देते हैं। सूचना मिलते ही महुआ दारू बेचने वाले सचेत हो जाते हैं। इस तरह यह रूटीन अभियान असफल हो जाता है।
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