Monday 30 November 2015

कुछ भी देश-प्रदेश-विदेश में मांगने से नहीं मिलता

संगठन,संवाद,संघर्ष आदि की जरूरत पड़ती 

पटना। कुछ भी देश-प्रदेश-विदेश में मांगने से नहीं मिलता है। संगठन,संवाद,संघर्ष आदि की जरूरत पड़ती है। इसी के बल पर सती प्रथा,बाल विवाह आदि को नियत्रिंत करने में सफलता मिली। काफी आवाज बुलंद करने पर दहेज प्रथा को कम किया जा सका है।

 परिवर्तन की दौर से
इस समय कन्या भ्रूर्ण हत्या पर जोरदार ढंग से आवाज बुलंद की जा रही है। इंसान को समझाया जा रहा है। गौ पालकों द्वारा गैया की बेटी को धन और तन से जीर्वित रखने का प्रयास किया जाता है। ग्वाला भाई गैया को ही विशेष ख्याल करते हैं। गैया से अधिक बाछी को प्यार और दुलार करते हैं। हां,ग्वाला भाई गैया के बेटे को दुत्कारते हैं जबतक मौत के हवाले न हो जाए। उसी तरह इंसान बेटा को दुलारते हैं और बेटी को दुत्कारते हैं। इसी लिए आसानी से कहा जा सकता है कि आने वाले को आने नहीं देते और जो आ जाते हैं उनको जीने ही नहीं देते हैं।

पहले मृत परिजनों को मुखाग्नि मर्द ही देते थे। बिहार विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी की पत्नी की मौत हो गयी। उस समय पूर्व अध्यक्ष की बेटी ने मां को मुखाग्नि दी थी। समय-समय समाज का नजरिया बदलने लगा है। लड़का और लड़की के बीच फर्क दूर की जा रही है। जो जरूरी भी है। केवल प्राकृतिक वरदान के तहत स्त्रीलिंग गर्भधारण कर शिशु जन्म दे सकती है। इसके अलावे लड़को की तरह ही लड़कियां कार्य कर सकती हैं।

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।

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