Wednesday 23 December 2015

पटना जिले के जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल से आग्रह

टेस लाल वर्मा नगर और बिन्द टोली को उचित जगह पर पुनर्वासित करें

पटना। इस जिले के जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल है। पूर्व मध्य रेलवे परियोजना से विस्थापित होने वाले लोगों को पुनर्वासित करना है। दानापुर प्रखंड के रूपसपुर थानान्तर्गत टेस लाल वर्मा के लोगों ने माननीय पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर किए थे। माननीय न्यायालय ने प्रस्ताव पारित कर अधिकारियों को विस्थापितों को पुनर्वासित करने को कहा था। मगर अधिकारियों ने ध्यान ही नहीं दिए। अब न्यायालय में अवमानना का मामला दायर किया जा रहा है। वहीं पटना सदर प्रखंड के दीघा थानान्तर्गत बिन्द टोली के लोगों ने रैयती जमीन का मुआवजा देने और पुनर्वासित करने का आग्रह संबंधित मामला माननीय पटना उच्च न्यायालय के एकल बैंच में दायर किया था। एकल बैंच ने बिन्द टोली के लोगों के पक्ष में निर्णय जारी किया। इस निर्णय को सरकार ने डबल बैंच में चुनौती दी। यहां पर विद्वान न्यायधीशों ने सरकार के पक्ष में निर्णय लेकर बिन्द टोली की याचिका को खारिज कर दी। मगर न्यायालय ने सरकार से पुनर्वासित करने का आदेश भी निर्गत किया।

क्या है मामला दानापुर प्रखंड के रूपसपुर थानान्तर्गत टेस लाल वर्मा के लोगों का ?
पूर्व मध्य रेलवे परियोजना के तहत दीघा से सोनपुर तक रेल और सड़क सेतु निर्माण किया जा रहा है। दीघा नहर के तटबंध पर वर्ष 1970 से यानी 45 वर्षों से झुग्गी-झोपड़ी में रहते हैं। इस बीच पूर्व मध्य रेलवे के द्वारा गंगा रेल-सह-सड़क सेतु निर्माण किया जा रहा है। अब रेलवे परियोजना का कार्य समाप्त हो गया है। पाटलिपुत्र स्टेशन से गाड़ी का परिचालन शुरू हो गया है। मगर वहां पर रहने वाले टेसलाल वर्मा नगर के लोगों की समस्या अंत नहीं हो सकी है। उनको चहारदीवारी के अंदर कैद कर दी गयी है।

पूर्व से चहारदीवारी के अंदर कर देने के बाद पश्चिम से भी हमला होने लगा है। एम्स से दीघा तक रोड निर्माण होने से निर्मित स्थानों की दायरा बढ़ायी जा रही है। इसके कारण गरीब लोगों की झोपड़ी को नुकसान पहुंचा जा रहा है। मालूम हो कि इस समय पूस (दिसंबर) की ठंडक बरकरार है। दीघा नहर के किनारे झोपड़ी बनाकर रहने लगे। तब से ही भूमिहीन और गृह विहिन दलित/अति पिछड़ा/ पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक समुदाय के गरीब और लाचार लोग मजबूरी में रहते रहे हैं। सभी लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर कर रहे हैं। हम लोगों की परिस्थिति को देखते हुए बिहार सरकार ने 2002-2003 में बसाने के लिए जमीन अधिग्रहण करने की कार्रवाई शुरू की थी। 
पूमरे के द्वारा गंगा रेल-सह-सड़क सेतु निर्माण किया जा रहा है। इस निर्माण से दीघा नहर के किनारे रहने वाले टेस लाल वर्मा नगर के 274 और जलालपुर नहर पर के 78 यानी 352 से अधिक परिवारों के आशियाना उजरने की समस्या बन गयी है। इसके अलावा सड़क चौड़ीकरण परियोजना से 684 से अधिक परिवारों के आशियाना पर वज्रपात होने वाला है. इस तरह रेल सेतु और सड़क चौड़ीकरण की समस्या से 1036 परिवारों पर उजरने की तलवार लटक रही है।  सभी लोग खौफ के साये में जीने को बाध्य हैं। इन लोगों ने प्रखंड कार्यालय,दानापुर में 9 माह सत्याग्रह 2007 में किए थे। इस दौरान तेतरी देवी नामक सत्याग्रही की मौत हो गयी थी। सत्याग्रही की मौत से भी प्रशासन का दिल पिघला नहीं। गरीब लोग आजतक जिल्लत की जिदंगी जीने को बाध्य हैं।

इस संबंध में जन संगठन एकता परिषद द्वारा माननीय पटना उच्च न्यायालय में सी डब्ल्यू जे सी नं0 - 1350/2010 में एकता परिषद बनाम भारत सरकार व अन्य जनहित याचिका दायर किया। माननीय पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता महेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने जनहित याचिका की पैरवी किए थे। अब महरूम हो गए हैं। माननीय न्यायधीशों ने अपना दावा आपके समक्ष उपस्थित करने का आदेश दिए हैं। पटना में रहने के लिए कोई भूमि मेरा नहीं है। 11 सितम्बर,2015 को दानापुर अनुमंडल पदाधिकारी को मौजा/धनौत थाना नं0 -20 में प्लॉट संख्या- 321,322 में बसाने हेतु आवेदन दिया गया। पर अबतक कोई कार्रवाई नहीं की गयी। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव से निवेदन किया गया है कि माननीय पटना उच्च न्यायालय के आदेश में हम विस्थापित,भूमिहीन,गृहविहिन परिवारों को पुनर्वास करने के लिए उचित कार्रवाई करने का कष्ट करेंगे।

आखिर क्या दर्द है पटना सदर प्रखंड के दीघा थानान्तर्गत बिन्द टोली के लोगों का ?
दीघा में रेल-सह-सड़क पुल निर्माण किया जा रहा है। हालांकि 9 अगस्त 2015 को पूर्व मध्य रेलवे के द्वारा पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन का उद्घाटन कर दिया गया। इस अवसर पर इंजन ट्रायल भी किया गया। अभी पटना की तरफ के गाईड बांध को लेकर अवरोध जारी है। माननीय उच्च न्यायालय, पटना ने  27 जुलाई, 2015 को ही जिला प्रशासन को यह आदेश दिया है कि 15 दिनों दिनों के अंदर बिन्द टोली के 205 परिवारों का पुनर्वास सुनिश्चित किया जाए। जो अभी तक नहीं हो सका।

यहां के लोगों ने कहा कि माननीय पटना उच्च न्यायालय के एकल बेंच ने बिन्द टोली को रैयती जमीन करार दी है। वहीं मुख्य न्यायाधीश ने गैर मजरूआ आम भूमि करार दी है। इसी को आधार बनाकर माननीय न्यायालय ने जिला प्रशासन को यह आदेश दिया है कि 15 दिनों के अंदर बिन्द टोली को खाली करा दें। इस आदेश से बिन्द टोली में 100 साल से रहने वाले लोग आक्रोशित हैं। बच्चे और जवानों के साथ 110 साल की बुजुर्ग सहोदरी देवी भी गुस्से में हैं। जब सहोदरी देवी के परिवार के लोगों ने फोटो खिंचवा लेने को कहने लगे तो वह डंडा दिखाने लगीं। इस बाबत परिवार वालों का कहना हैं कि बिन्द टोली को खाली करवाने से परेशान हैं। इस लिए डंडा दिखा रही हैं।

बहरहाल, यहां के लोगों का कहना है कि बिन्द टोली को बचाने का प्रयास जारी है। माननीय पटना उच्च न्यायालय के एकल बेंच के आदेश और अन्य दस्तावेजों के सहारे माननीय न्यायालय के डबल बेंच में अपील की गयी है। एक-दो दिनों में फैसला सामने आने वाला है। राम लगन महतो कहते हैं कि जिला प्रशासन के द्वारा पटना दियारा क्षेत्र के कुर्जी मोहल्ला में बसाया जा रहा है। एक तरफ गंगा नदी है और दूसरी तरफ रोड है। इसके बीच के स्थान पर बसाया जा रहा है। यहां पर पहुंचने के लिए हरेक दिन नाव में सवार होना पड़ेगा। तब जाकर स्थान पर पहुंचा जा सकता है। यहां के लोगों का कहना है कि बिन्द टोली के आसपास गड्ढा है। उक्त गड्ढे को मिट्टी से भरकर 205 परिवारों को पुनर्वास किया जाए।

जबतक बिन्द टोली को खाली नहीं करवाया जा रहा है,तबतक गाईड बांध नहीं बन पाएगा। जब गाईड बांध बन जाएगा। बांध बनने के बाद गंगा ब्रिज पर सवारी गाड़ी का परिचालन प्रारंभ कर देगी।

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग मन बना लिया है कि दीघा बिन्द टोली के लोगों को खास महाल भूमि पर बसा दें। इस बाबत विभाग ने राज्यादेश संख्या. 524 (6) रा दिनांक 08.04.13 द्वारा पटना जिला के पटना सदर अंचल में मौजा.दीघा, थाना संख्या.1/2 में प्रति परिवार 03 डिसमिल की दर से कुल 205 परिवारों को पुनर्वासित करना है। विभिन्न खाता एवं खेसरा की कुल रकबा06.15 एकड़ खास महाल भूमि पर लाभान्वित परिवारों को लीज डीड के निबंधन शुल्क माफ करने की स्वीकृति दी गयी है। इसके पूर्व मंत्रिपरिषद् की बैठक में 23 एजेंडों पर निर्णय लिया गया।
माननीय पटना उच्च न्यायालय द्वारा याचिका खारिज होने पर प्रशासन बिन्द टोली के लोगों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। प्रशासन का कहना है कि हमलोग एक परिवार को 3 डिसमिन जमीन दे रहे हैं। इन दिनों 1 डिसमिल जमीन की कीमत 14 लाख रूपये है। इस तरह एक परिवार को 42 लाख रूपये की जमीन दी जा रही है। इसके आलोक में 20 दिसम्बर तक बिन्द टोली खाली करने को कहा गया था। इस तिथि के आधार पर बिन्द टोली के लोग चले नहीं। अब एक हफ्ता का समय दिया गया है। अगर नहीं हटे तो जबरन खाली करवा दिया जाएगा।

बिन्द टोली के लोगों का कहना है कि पूर्व मध्य रेलवे के अधिकारियों ने बिहार सरकार को जमीन की कीमत 94 करोड़ रूपये दे रखा है। इसी राशि से 205 परिवारों को 42 लाख रू0की दर से वितरित कर दें। अपनी इच्छा से जमीन खरीदकर घर निर्माण कर लेंगे।

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।










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