Saturday 30 January 2016

सेविका और सहायिका ने मिलकर बनाया है आंगनबाड़ी केन्द्र


सेविका और सहायिका ने मिलकर बनाया है आंगनबाड़ी केन्द्र

कुर्जी मोड़ बिन्द टोली में चलता है आंगनबाड़ी केन्द्र


पटना। आप सूबे में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्र के बारे में जानते हैं। आज भी अनेकानेक आंगनबाड़ी केन्द्र हैं,जहाँ पर आंगन हैं तो बाड़ी नहीं और बाड़ी है तो आंगन ही नहीं है। इसी तरह आंगनबाड़ी केन्द्र देखने में आया है। कुर्जी मोड़ बिन्द टोली की सेविका संगीता कुमारी और सहायिका रिंकु कुमारी ने मिलकर आंगनबाड़ी केन्द्र बनवाया है। बाजार से कर्कट खरीद लायी और बॉक्सनुमा केन्द्र बना डाला है। इसी बॉक्सनुमा केन्द्र के कौने में सहायिका रिंकु कुमारी पोष्ट्रिक आहार निर्माण करेगीं। इसके बगल में कुर्सी पर बैठकर सेविका संगीता देवी बच्चों को अध्ययन करवायेगीं। सेविका के सामने बच्चे होंगे। जो ग्रामीण परिवेश के बच्चे होंगे। गंदे-मैले-कुचैले वाले जमीन पर बैठे रहेंगे। 
बच्चों को सीखाने की जरूरत हैः घर में माँ-बाप और आंगनबाड़ी केन्द्र में सेविका-सहायिका को इन बच्चों को मौलिक सीख देने की जरूरत है। सुबह में उठकर भगवान का नाम लेना। माँ-बाप को प्रणाम करना। शौचालय में जाकर शौचक्रिया करना। शौचक्रिया करने के बाद राख अथवा साबून से हाथ की सफाई करना। दतवन अथवा नमक-तेल से साफ दांत करना। इसके बाद स्नान करना। बाल बांधना। साफ कपड़ा पहनना। अल्पाहार करके आंगनबाड़ी केन्द्र में आना। 
आंगनबाड़ी केन्द्र में बच्चों की जाँचः जब घर से बच्चे केन्द्र में आते हैं,तब सेविका और सहायिका द्वारा बच्चों की जाँच करनी चाहिए। आँख देखकर पता लगाना चाहिए कि बच्चे रक्तहीनता के शिकार तो नहीं हो रहे हैं। नाखून की जाँच करनी चाहिए। दोनों जाँच को सप्ताह में की जा सकती है। प्रत्येक दिन बाल और कपड़ों की जाँच करनी चाहिए। अब निर्णय करना चाहिए कि सेविका और सहायिका स्वयं बाल बना दें? क्या बच्चों के अभिभावकों को बुलाकर बैठक करने के बाद बच्चों की सफाई की जिम्मेवारी सौंप देनी चाहिए। सरकार चाहती हैं कि यह केन्द्र मांटेसरी का स्वरूप ले। उसी के अनुसार बच्चों को तैयार करने की जरूरत है। खुद सेविका और सहायिका साफ-सफाई से आए और बच्चे फटेहाल में रहे। वह वाजिब नहीं है। आप अपने बच्चों की तरह व्यवहार करके बच्चों की तस्वीर और तकदीर बनाने का प्रयास करें।

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा, दीघा घाट,पटना।


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