Tuesday 15 March 2016

174 दिनों के बाद मदर टेरेसा को 4 सितम्बर को संत की उपाधि

वेटिकन सिटी। पोप फ्रांसिस ने अपना पूरा जीवन गरीबों की सेवा में समर्पित करने वाली नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा को चार सितंबर को रोमन कैथोलिक संत का दर्जा दिए जाने की आज घोषणा की। मदर टेरेसा के निधन के 19 साल बाद उनको संत की उपाधि मिलेगी। पोप ने कार्डिनल्स की बैठक में मदर टेरेसा को उनके अमूल्य योगदान के लिए संत का दर्जा दिए जाने को अंतिम स्वीकृति दी।


मदर टेरेसा को संत की उपाधि देने के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए मंगलवार को वेटिकन समिति की औपचारिक बैठक हुई। बैठक में पोप फ्रांसिस उस प्रक्रिया (कैनोनाइजेशन) के आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत मदर टेरेसा को संत घोषित किया गया।

मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को अग्नेसे गोंकशे बोजशियु के नाम से एक अल्बेनीयाई परिवार में उस्कुब, ओटोमन साम्राज्य (आज का सोप्जे, मेसेडोनिया गणराज्य) में हुआ था। मदर टेरसा रोमन कैथोलिक नन थीं, जिनके पास भारतीय नागरिकता थी।

उन्होंने 1950 में कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चेरिटी की स्थापना की। 45 सालों तक गरीब, बीमार, अनाथ लोगों की मदद की और साथ ही चेरिटी के मिशनरीज के प्रसार का भी काम किया।

मदर टेरेसा के जीवनकाल में मिशनरीज ऑफ चेरिटी का कार्य लगातार विस्तृत होता रहा। उनकी मृत्यु के समय तक वे 123 देशों में 610 मिशनरीज नियंत्रित कर रही थी। इसमें एचआईवी/एड्स, कुष्ठ और तपेदिक के रोगियों के लिए धर्मशालाएं,घर शामिल थे और साथ ही सूप रसोई, बच्चों और परिवार के लिए परामर्श कार्यक्रम, अनाथालय और विद्यालय भी थे।  5 सितम्बर 1997 को हार्ट अटैक के कारण मदर टेरेसा का देहावसान हो गया।

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।

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