Wednesday 24 August 2016

आखिकार कब न्याय मिलेगा?


पटना। सर्वविदित है कि ईसा मसीह के विरोधियों ने भगवान ईसा को सलीब पर लटकाकर मार दिया। इस जहां के सर्वशक्तिमान भगवान के हाथ और पांव में कील ठोंक दिये। और तो और उनके सिर पर कांटों का ताज भी पहना दिये। ठीक उसी तरह का व्यवहार आज ईसा मसीह के प्रतिनिधि बन गये याजकवर्गो के द्वारा ईसाई समुदाय के साथ ही किया जा रहा है। इसका मुक्तभोगी एण्ड्रू आंजिलों बन गये हैं। 

  ऐतिहासिक गांधी मैदान के सामने संत जेवियर उच्च विघालय है। उसी के परिसर में येसु समाज नामक संस्था के फादरगण भी रहते हैं। येसु समाज नामक संस्था के प्रोविन्शियल  हाऊस भी है। उसी में स्थानीय दीघा थानान्तर्गत बालूपर मोहल्ला में रहने वाले एण्ड्रू आंजिलों 23 साल से कार्यरत थे। यहां एण्ड्रू एकाउण्टस और मार्केटिंग मैन के रूप में सेवारत थे। एकाउण्टस और मार्केटिंग मैन का काम करते -करते एण्ड्रू आंजिलों नामक क्रिष्चियन बीमार पड़ गये। चूंकि  साइकिल से मार्केटिंग आदि करना पड़ता था। पैर में दर्द हो गया था। जब पैर की तकलीफ अधिक बढ़ गयी तो फादर को सूचना देने के बाद एण्ड्रू आंजिलों घर पर आराम और इलाज कराने लगे। जब स्वास्थ्य में सुधार हुआ और खुद को बेहतर महसूस किये तो कार्यालय चले गये। पहले से मन बनाकर बैठे फादर प्रभारी ने एण्ड्रू को फिटनेस टेस्ट से गुजरने को कहा और काम नहीं करने का आदेश  निर्गत दे दिये। फादर प्रभारी के आदेश  पर अव्वल फिटनेस मेडिकल सार्टिफिकेट लेकर गये। उन्होंने फिटनेस मेडिकल सार्टिफिकेट को निहारते हुए नौकरी करने की इजादद नहीं दी। इसके बाद फादर ने कहा कि आपने 23 साल कार्य किये हैं। उस अवधि के भविष्य निधि और ग्रेच्यूटी की राशि लेकर घर जा सकते हैं। तब एण्ड्रू ने अपना वर्तमान देखते हुए भविष्य निधि और ग्रेच्यूटी की राशि ग्रहण नहीं किये ।

   येसु समाज के प्रभारी फादर ने जबरन नौकरी से मुक्त कर दिया। इस तरह के अन्याय के खिलाफ प्रभावित श्रम न्यायालय में जाकर मामला दर्ज करा दिये। कई वर्षों के बाद श्रम न्यायालय से डिग्री मिली। श्रम न्यायालय में फादर मात खा गये। इससे तनमनाकर फादर ने श्रम न्यायालय के डिग्री के खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय,पटना में चुनौती पेश कर दिये। यहां भी गैर कानूनी ढंग से हटाये गये प्रभावित एण्ड्रू आंजिलों को ही डिग्री मिली है। श्रम न्यायालय और माननीय उच्च न्यायालय में बुरी तरह से पराजित होने के बाद फादर अब सर्वोच्च न्यायालय में जाने का विचार मंथन करने लगे हैं। इस तरह एण्ड्रू आंजिलों 10 वर्शो से न्यायालय का चक्कर लगाते-लगाते थकहार गये हैं। अब भी प्रभावित को अवकाश ग्रहण करने के लिए 3 साल बाकी है। लगता है कि यह 3 साल भी न्यायालय का ही चक्कर लगाना ही पड़ेगा। 

    ईसाई मिशनरी संस्थाओं के द्वारा सभी तरह के फादरों को इतना निपूर्ण कर दिया जाता है कि वह हर स्तर के कार्य बड़ी कुशलता व निपूर्णता से कर सके। उनको बेहतर शिक्षण संस्थानों से उच्च शिक्षा दिलायी जाती है। उनको कई तरह के अनुभव भी दिया जाता है। इसको हासिल करके पयार्प्त कार्यानुभव कर लेते हैं। इतना करने से यह उम्मीद की जाती है कि फादर सदैव मिशनरी संस्थाओं के हित में ही कदम उठाये और मिशन के हितैषी बनकर कार्य निष्पादन करें। यहां एक हिन्दी फिल्मी गीत को लिखा जा सकता है कि Monday को प्यार हुआ, Tuesday को इकरार हुआ और Wednesday को न जाने क्या होगा ? ठीक उसी तर्ज पर एण्ड्रू आंजिलों नामक क्रिश्चियन कर्मचारी के साथ हो रहा है। आरंभ में एण्ड्रू आंजिलों और फादर के साथ बेहतर संबंध रहने के कारण 23 वर्षों तक प्यार भरा माहौल में येसु समाज के प्रोविन्शियल हाऊस में काम किये। इसके बाद दोनों के बीच में इकरार हुआ और 10 वर्षों से तकरार जारी है। अब अवकाश  ग्रहण करने के 3 साल बाकी है उसके अंदर क्या होगा? यह सब तो भविष्य में ही पता चलेगा, कि एण्ड्रू आंजिलों विजयी हुए कि फादर विजयी हुए ?
   
   इसी लिए हर फन में माहिर विशिष्ट फादरों को ही मिशनरी संस्थाओं के महत्वपूर्ण ओहदो पर पदस्थापित किया जाता है। मजे कि बात है कि जिस पद पर आसीन होते हैं उसी में रम जाते हैं और उसी तरह के रंग में खुद को बदल देते हैं। वहीं जिस समय उनका स्थानान्तरण या पदस्थापन होते हैं उसी बदलाव वाले जगह के बनकर रह जाते हैं। यथाशीघ्र पहले वाले जगह के रंग को भूल जाते हैं। इसी भूल भूलैया के कारण ईसाई समुदाय सदैव हलकान और परेशान  होते रहते हैं। ईसाई समुदाय का कहना है कि जिस प्रकार राजनीतिक दलों के नेताओं के द्वारा आश्वासन के द्युंटी पिलायी जाती हैं उसी तरह ही गिरजाघर (चर्च) के फादर रूपी नेताओं के द्वारा अपने संभाषण  के दौरान आश्वासन भर के दिया जाता है। स्वर्गधाम के लिए भौतिक संपति को परित्याग करने का आह्वान करते हैं। वही फादर जब चर्च के बाहर निकलकर आते हैं तो संभाषण  के विपरित कार्य करने से पहरेज नहीं करते हैं। फादरों के मायावी जाल में एक क्रिश्चियन पड़ गया। वह बेजोड़ 23 साल कार्य किये। फिलवक्त 10 वर्षों श्रम न्यायालय और माननीय पटना उच्च न्यायालय के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। मजे की बात है कि उसका 3 साल अवकाश ग्रहण करने के अभी बाकी है। न्यायालय में मामला फंसे रहने के कारण 10 वर्षों  से वेतनादि नहीं मिलने से जिन्दगी तार-तार हो गया है।  

      इस समय मिशनरी संस्थाओं में कार्यरत उत्तर बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले के बिहारी ईसाइयों को चुनचुन कर निकाले का प्रयास किया जा रहा है कारण कि पटना महाधर्मप्रांत के बंटवारे के बाद बेतिया धर्मप्रांत सृजन कर दिया गया है। पटना धर्मप्रांत के फादर-सिस्टर चाहते हैं कि यहां के बेतिया धर्मप्रांत के लोग अपने धर्मप्रांत वापस चल जाए। इसके अलावे एक परिवार से दो व्यक्ति नौकरी कर रहे हैं कि उनको किसी भी हाल में नौकरी से निकालने का प्रयास किया जा रहा है। खुद एण्ड्रू आंजिलों की पत्नी सोनी सरकारी नौकरी कर रही हैं तो उनको किसी एैब में डालकर नौकरी निकाला आदेश दे दिया गया। मिशनरियों के द्वारा इस तरह से व्यवहार किया जाता है उनके यहां कार्य करने वाले मंत्री होते हैं। फादर प्रधानमंत्री होते हैं और मिशन में कार्य करने वाले मंत्री होते हैं। जैसे ही प्रधानमंत्री इस्तीफा मांगे तत्क्षण इस्तीफा दे देना है। अगर इस्तीफा नहीं मांगे तो विभिन्न तरह के आरोप लगाकर घरेलू जांच आयोग गठित कर इस्तीफा ले लेना है। घरेलू जांच आयोग के खिलाफ होकर कर्मचारी श्रम न्यायालय में चले जाते है। 

   एण्ड्रू आंजिलों ने फादर के कथनानुसार भविष्य निधि और ग्रेच्यूटी की राशि लेकर घर जाने को कहा गया तो उसने श्रम न्यायालय में दस्तक दे दी। फादर के विरू़द्ध मामला दर्ज कराया। यहां पर उसकी जीत हो गयी। इसके बाद फादर ने श्रम न्यायालय की जीत को माननीय पटना उच्च न्यायालय में चुनौती पेश  कर दी। यहां पर भी एण्ड्रू आंजिलों की जीत हो पायी है। अब पुनः मामले को लम्बा अटकाने का प्रयास फादर के द्वारा किया गया है। मिशन का यह इतिहास है कि एक बार से नौकरी से निकाल देने वालों को आजतक पुनः नौकरी में नहीं रखी जाती है। इसके लिए श्रम न्यायालय से उच्च न्यायालय तक फिर उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय तक मामला को खींचने का माद्दा फादर -सिस्टर रखते हैं। गरीब कर्मचारी की हिम्मत नहीं कि सर्वोच्च न्यायालय तक जंग लड़ सके। इतना करते-करते स्वर्गधाम सिधार जाते हैं। 

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।

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