Friday 23 September 2016

2000 से ही महादलित समुदाय की शकुन्ती देवी ने पूर्ण शराबबंदी लागू करने में सफल

पटना। बिहार में सीएम नीतीश कुमार ने पूर्ण शराबबंदी लागू कर रखा है। इसके पूर्व अपने गांव पिपलावां में वर्ष 2000 से ही महादलित समुदाय की शकुन्ती देवी ने पूर्ण शराबबंदी लागू करने में सफल हो गयी। जो आज भी जारी है। 

जी हां, सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव। इनके कार्यकाल में ही चरवाहा विघालय बनाया गया। उसी काल में यह नारा जोर पकड़ा। सूअर चराने वाले पढ़ना लिखना सीखों’,बकरी हम चराएंगेआधी रोटी खाएंगे, फिर भी स्कूल जाएंगे यह नारा अभी भी सातवें आसमान में गूंजते ही रहता है।

इस नारा को साकार करने की हिम्मत की हैं पिपलावां गांव में रहने वाली शकुन्ती देवी ने। हां, वे परिवार की माली हालत खराब होने के कारण नियमित विघालय के द्वार तक नहीं पहुंची। उनके ही तरह इसी श्रेणी में अनेक महादलित मुसहर समुदाय के लोग भी हैं जिनकी स्थिति काफी खराब है। कल्याणकारी सरकार द्वारा गांव-गांव में स्कूल खोले जाने के बाद भी ऐसे लोग अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज पा रहे हैं। अपने सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद भी हिम्मत नहीं हारे। शकुन्ती देवी तो रात्रि पहर के स्कूल में पढ़कर साक्षर हुई। साक्षर बनी तो शिक्षा के महत्व को व्यापक तौर से समझ सकी। उसके बाद अपने बच्चों को पढ़ाने में सफल हो सकी। अजय मांझी की मां हैं। सामाजिक कार्यकर्ता हैं अजय मांझी। इन दिनों चेनई में प्रशिक्षण ग्रहण कर रहे हैं। इसे नारी सशक्तिकरण की मिसाल नहीं तो क्या कहेंगे?समाज में हमारे-आपके बीच ऐसी अनेकों महिलाएं है जो अपने बुरे हाल को नजर अंदाज करके समाज में मिषाल कायम करने में सफल हो रही हैं। ऐसे लोगों का प्रणाम!

नौबतपुर थाना अन्तर्गत पिपलावां गांव में करीब 70 घर है। यहां पर समाज के किनारे रह गए मुसहर जाति के लोग रहते हैं। प्रारंभ में मुसहरों की माली हालत बहुत ही दयनीय थी।

शकुन्ती देवी की तरह अन्य महिलाओं ने अपने जीवन में बहुत ही संघर्श किए। शकुन्ती देवी और उनके पति स्व0 राजेन्द्र मांझी बंधुआ मजदूर भी बन गये। बंधुआ मजदूर की दासता झेलकर कुछ रकम कमाने के बाद उसने अपने घर में ही महुंआ का शराब बनाकर बेचने के कारण मुसहर समुदाय के लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजने में असमर्थ हो रहे थे।
उसी समय उम्मीद का दीपक सामने आया। काम करने लायक क्षेत्र का चुनाव करते-करते इधर-उधर से भटक कर प्रगति ग्रामीण विकास समिति के सदस्य पिपलावां गांव में वर्श 1986 में पहुंचे और इस मुसहरी में कार्य करना शुरू किये। सबसे पहले सदस्यों ने मुसहरों के बीच में जन जागरण पैदा करने का काम षुरू किया। जब सदस्यों को गांव वालों से अपेक्षित सहयोग मिलने लगा तो सदस्यों ने जी जान से मन लगाकर अच्छा काम करने लगे। इसके बावजूद भी मुसहर समुदाय के लोग बैठक में भाग नहीं लेते थे। मुसहर समुदाय के जागरूक लोग हिम्मत नहीं हारें। दर दर भटकने वालों के साथ बहुत ही प्रयास करने के बाद बैठक में बैठाया जा सका।

इसमें शकुन्ती देवी की अहम भूमिका रही। उनको समाज सेवा करने में आनंद आने लगा। फिर शकुन्ती देवी अपने 3 पुत्री एवं 2 पुत्र को स्कूल भेजने लगी। पहले सभी मुसहर लोग बंधुआ मजदूर की तरह कार्य करते थे।

आज पूर्णत स्वत्रंत होकर किसानों से पट्टा पर खेत लेकर किसानी कार्य करते हैं। पट्टा का मतलब है कि कुछ रूपए दिया जाता है। वह एक साल के लिए पांच से सात हजार में बीच कट्टा खेत लेकर स्वयं किसानी का कार्य करते हैं। इस पर एक साल में दो फसल लगाते हैं। एक में रबी एक में धनखेती करते हैं।

ऐसा कार्य करने से शकुन्ती देवी ने अपनी दो बेटी को मैट्रिक,एक बेटा को आई00,एक बेटा को बी00 एवं छोटी बेटी को छठा कक्षा तक पढ़ा पा रही है। प्रारंभ में गांव में दबंगों का वर्चस्व रहा करता था। उसके विरूद्ध मुसहरों ने संघर्श किये। तब जाकर गांव के लोगों को दबंगों से मुक्ति मिली। अब तो गांव में किसी तरह समस्या होती है तो गांव के दहलीज पर बैठकर सिमटा दिया जाता है। महिलाओं की समस्या,साधारण एवं घातक बीमारी,भूमि अधिकार की समस्या आदि बरकरार है। यदि किसी को गंभीर बीमारी हो जाती है तो तत्काल सामूहिक चन्दा करके स्थानीय चिकित्सकों से परामर्श कर दवा दिलायी जाती है। महिला उत्पीड़न के केस को लेकर अन्य क्षेत्र में जाकर केस का निपटारा भी करती है।

अजय मांझी
शकुन्ती देवीअपना पूर्ण योगदान संगठन के सहयोग से कर रही है। आज शकुन्ती देवीएकता परिषद पिपलावां गांव की नेतृत्वकर्ता है एवं ग्राम इकाई के अध्यक्ष पद पर हैं। जन सत्याग्रह 2012 में उन्हें जत्थानायक का कार्यभार सौंपा गया था।कहा जाता है कि इसके लिए उसने सभी लोगों को प्रेरित किया था।

इसके अलावे गांव के सभी लोगों को प्रेरित कर शराबबंदी करवाने में सफल हो पायी। इससे प्रोत्साहित होकर मुसहर समुदाय के लोगों ने अपने गांव में शिक्षा का दीप जलाने की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी लिया। इसके फलस्वरूप आज गांवघर में 15 लड़कियां इंटरमीडियट एवं 20 लड़के बी00 उर्त्तीण हो पाये हैं।

आलोक कुमार

मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।

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