Tuesday 23 February 2016

25 फरवरी को बिहार विधान सभा के समक्ष शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन


पटना। समग्र संस्कृत सह संस्कृत शिक्षक कल्याण संस्थान की महासचिव सुभद्रा कुमारी का कहना है कि सूबे में बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड,पटना के अधीन 300 संस्कृत विघालय संचालित है। दो साल पहले संबंधित जिले के शिक्षा पदाधिकारियों द्वारा बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड को प्रेषित किया गया। जो बोर्ड में लम्बित है। इसके अलावे पुनः बोर्ड द्वारा विज्ञप्ति निकालकर विघालयों का फाइल फोल्डर की मांग की गयी है,जो अभी भी लम्बित है।
महासचिव सुभद्रा कुमारी कहती हैं कि बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड,पटना के तहत 1976 में नियमानुसार ही 300 संस्कृत विघालयों की स्थापना की गयी। इसके बाद पुनः बोर्ड ने 1981 में नियमावली बनायी। पुनः 1993 में नियमावली बनायी गयी, इसमें आंशिक संशोधन भी हुआ। पुनः 13.02.2015 को नई सेवा शर्त नियमावली बनायी गयी। नियमावली में 1976 से लेकर 2015 तक जो नियमावली बनी, उसमें मानक मंडल का प्रावधान था,वर्ष 2015 में जो नियमावली बनी,उसमें 1973 और 1993 से पद काट लिया गया। जिसे संशोधित करने की आवश्यकता है।

300 विघालयों में से 69 नव प्रस्वीकृत विघालयों के लिए संकल्प संख्या-674 दिनांक 08.09.2015 जिसमें मानक मंडल के अनुसार, 01.09.2015 के प्रभाव से देय नियत वेतन भुगतान की व्यवस्था की गयी है। पुनः माध्यमिक शिक्षा के विशेष निदेशक, के पत्रांक 18,दिनांक 12.01.2016 के द्वारा एक पत्र निकाला गया,जिसमें छात्र संख्या के आधार पर शिक्षकों के मानक निर्धारण की बात वित्त विभाग के परामर्श पर की गयी है। उनका ध्यान आकृष्ट करना है कि संकल्प संख्या-674 दिनांक 08.09.2015 में वित्त विभाग की सहमति प्राप्त है। वैसी स्थिति में पत्रांक 18, दिनांक 12.01.2016 का क्या औचित्य है?

इसके आलोक में आग्रह किया गया है कि विघालयों में से 69 विघालयों को 1976 के मानक मंडल के अनुसार आवंटित राशि से भुगतान की प्रक्रिया पूर्ण कराने एवं 262 विघालयों को प्रस्वीकृति प्रदान करते हुए पूर्व की आवंटित राशि से भुगतान सुनिश्चित करायी जाये तथा 621 संस्कृत विघालयों एवं अन्य निरीक्षित एवं समीक्षित विघालयों को बोर्ड की बैठक से पारित कर माघ्यमिक शिक्षा बिहार,पटना को पूर्वानुमोदन हेतु भेजा जाये।

संपूर्ण विघालयों की समस्या करीब 35 साल पुराना है, एवं आज भी वित्त रहित शिक्षा नीति के तहत संचालित है। जो काफी निराशा का संकेत दे रहा है। जिससे संस्कृत शिक्षा प्रेमी,बिहार के दानदाता,विघालय के संचालक,शिक्षक के भावनाओं पर सीधा कुठाराघात है। दूसरी तरफ छात्र हित योजना संस्कृत विघालय के छात्रों को नहीं देना,छात्रों के साथ घोर अन्याय है। इसमें हस्तक्षेप कर समस्या का समाधान करने को कहा गया है।

दो दिनों से 22 और 23 फरवरी को गर्दनीबाग में प्रदर्शन और धरना देने को मजबूर हैं समग्र संस्कृत सह संस्कृत शिक्षक कल्याण संस्थान। संस्थान द्वारा 25 फरवरी को बिहार विधान सभा के समक्ष शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करने का निश्चय लिया गया। 
समग्र संस्कृत सह संस्कृत शिक्षक कल्याण संस्थान की महासचिव सुभद्रा कुमारी ने कहा कि 16 सूत्री मांग को लेकर प्रदर्शन एवं धरना दे रहे हैं। हमलोगों की मांग है कि 1. नव प्रस्वीकृत 69 विघालयों को 1976 नियमावली के मानक अनुरूप आवंटित राशि से वेतन भुगतान किया जाये। 2. 300 प्रस्तावित विघालयों में से 262 संस्कृत विघालयों को प्रस्वीकृति प्रदान करते हए पूर्व में आवंटित राशि से भुगतान कराया जाये। 3. शेष 621 जमा अन्य निरीक्षित एवं समीक्षित संस्कृत विघालयों को बोर्ड की बैठक से पारित कराकर माध्यमिक शिक्षा बिहार,पटना को पूर्वानुमोदन हेतु भेजा जाये। 4.बिहार सरकार द्वारा सामान्य विघालयों को देय राशि हित योजनाओं का प्रस्तावित संस्कृत विघालयों के छात्र/छात्राओं को भी सुलभ कराया जाये। 5. संस्कृत विघालय के छात्रों/छात्राओं को मध्याह्न भोजन से भी जोड़ा जाये। 6. कक्षा 1 से 8 तक किताब संस्कृत के छात्र/छात्राओं को भी सुलभ कराया जाये। 7. प्रस्तावित संस्कृत विघालयों को विघालय कोड आवंटन करने का आदेश निर्गत किया जाये। 8. संस्कृत विघालयों में कार्यरत अप्रशिक्षित शिक्षकों को पूर्व की तरह प्रशिक्षित कराने का आदेश निर्गत किया जाये। 9. संस्कृत विघालयों को बिहार शिक्षा परियोजना एवं समविकास योजनाओं से जुड़कर विघालयों के भवन निर्माण का आदेश निर्गत किया जाये। 10. बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड को अपना भवन सुलभ कराया जाये। 11. संस्कृत विघालयों के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम में परिवर्तन कर रोजगारोन्मुखी बनाया जाये। 12.बिहार सरकार शिक्षा बोर्ड पटना में सहायक की कमी को नियुक्ति कर भरने का आदेश दिया जाये। 13. संचिका संख्या 10/ व द -22/201-117/03.202011 को सामने रखते हुए पांच प्रतिनिधियों के साथ वार्ता की जाये। ताकि समस्या का सही समाधान हो सके।14.प्रस्तावित संस्कृत विघालयों में सरकारी उपेक्षा एवं बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड,पटना द्वारा का दमन बंद कराया जाये। 15. संस्कृत भाषा की उपेक्षा बंद की जाये और 16. प्रस्तावित संस्कृत शिक्षकों को मूल्यांकन कार्य में पूर्व की तरह चयनित किया जाये। 


आलोक कुमार
मखदुमपर बगीचा,दीघा घाट,पटना। 

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