वेटिकन सिटी।अपना पूरा जीवन गरीबों की सेवा में समर्पित करने वाली मदर टेरेसा को संत की उपाधि दी जाएगी। पोप फ्रांसिस ने अपना पूरा जीवन गरीबों की सेवा में समर्पित करने वाली नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा को चार सितंबर को रोमन कैथोलिक संत का दर्जा दिए जाने की घोषणा की।
मदर टेरेसा को उनके अमूल्य योगदान के लिए संत का दर्जा दिए जाने को अंतिम स्वीकृति दी। उन्होंने पिछले साल दिसंबर में ही मदर टेरेसा को संत की उपाधि दिए जाने का रास्ता साफ कर दिया था। मदर टेरेसा का निधन 87 वर्ष की उम्र में वर्ष 1997 में हुआ था।
दिसंबर में थी चमत्कार की मान्यता
मदर टेरेसा की मौत के बाद उनके दो चमत्कारों की वजह से उन्हें संत माना गया है। गौरतलब है कि इस सम्मान को पाने के लिए उस शख्स को दो ,चमत्कारों की जरूरत होती है। मदर टेरेसा को 2003 में धन्य घोषित किया गया था। पोप फ्रांसिस ने गत दिसंबर में मदर टेरेसा के दूसरे चमत्कार को मान्यता दे दी थी। यह चमत्कार ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित ब्राजील के एक व्यक्ति से जुड़ा है, जिसे मदर टेरेसा ने इस बीमारी से निजात दिलाई थी।
कैसे बनते हैं संत?
कैथोलिक चर्च के संत की उपाधि हासिल करने के लिए दो चमत्कार की पुष्टि होना आवश्यक होता है। कैथोलिक ईसाइयत में संत की उपाधि दिए जाने की प्रक्रिया काफी व्यवस्थित और समयसाध्य है। इस प्रक्रिया में ‘संत’ घोषित करने के चार चरण होते हैं। पहले चरण में व्यक्ति को ‘प्रभु का सेवक ’ घोषित किया जाता है। दूसरे चरण में ‘पूज्य’ माना जाता है। तीसरे चरण में पोप द्वारा ‘धन्य’ माना जाता है। ‘धन्य’ घोषित करने के लिए एक चमत्कार की पुष्टि होना जरुरी है। अंतिम चरण में ‘संत घोषित किया जाता है।
कम से कम दो चमत्कार होना आवश्यक
संत की उपाधि दिए जाने के लिए कम से कम दो चमत्कारों की पुष्टि होना आवश्यक है। चमत्कार उस संत द्वारा या उसकी समाधि पर की गई प्रार्थना द्वारा किसी असाध्य रोग के ठीक होने की शक्ल में होता है। वेटिकन की एक समिति इन चमत्कारों की जांच करती है जिसमें कुछ धर्मगुरु और डॉक्टर होते हैं। जब यह समिति चमत्कारों की पुष्टि कर देती है तब पोप वेटिकन के समारोह में ‘संत’ की उपाधि प्रदान करने की अधिकारिक घोषणा करते है।
मदर टेरेसा से पहले किसे मिली संत की उपाधि
मदर टेरेसा के पहले चमत्कार को वर्ष 2003 में पोप जॉन पॉल ने मान्यता दी थी। माना जाता है कि मदर टेरेसा ने पेट के ट्यूमर से पीड़ित एक भारतीय महिला को बीमारी से निजात दिलाई थी। इससे पहले वर्ष 2014 में फादर कुरियाकोज चवारा और सिस्टर यूफ्रेशिया को भी संत की उपाधि मिली थी।
इसी ऐतिहासिक गिरजाघर में मिस्सा और प्रार्थना करने आती थीं मदर टेरेसा |
सुनीता ने कहा, ‘पहला (चमत्कार) कई साल पहले कोलकाता में हुआ था। अब का मामला ब्राजील का है, जहां उनकी (टेरेसा की) पूर्व की प्रार्थनाओं के परिणामस्वरूप एक व्यक्ति चमत्कारिक ढंग से ठीक हो गया है।’
उन्होंने कहा कि किसी संत के निधन के बाद भी ऐसे चमत्कार होते रहते हैं। शांति के लिए नोबेल पुरस्कार पानेवाली मदर टेरेसा ने मिशनरीज ऑफ चौरिटी की स्थापना की थी। उन्होंने कोलकाता में गरीबों, रोगियों तथा अनाथों की सेवा में 45 साल गुजारे। 87 साल की उम्र में उनका कोलकाता में निधन हुआ था।
रिपोर्ट के अनुसार पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा के दूसरे चमत्कार की पुष्टि कर दी है, जिसके बाद उन्हें संत बनाने की प्रक्रिया पूरी कर दी जाएगी। मदर का यह चमत्कार ब्राजील के एक व्यक्ति से जुड़ा है, जो ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित था, जिस मदर ने निजात दिलाई।
मदर टेरेसा को वर्ष 2003 में तब ‘धन्य’ घोषित किया था जब उनका पहला चमत्कार सामने आया था। इस चमत्कार में एक महिला को मदर के चमत्कार से पेट के ट्यूमर से मुक्ति मिली थी। साल 1997 में मदर टेरेसा का निधन हुआ था। ज्ञात हो कि किसी को भी मृत्यु के बाद संत तब ही घोषित किया जाता है, जब उसके दो चमत्कार सामने आते हैं। चमत्कार की पुष्टि पोप करते हैं। कोई 10 हजार ‘संत’ हैं।
आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।
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