Wednesday 5 October 2016

वैश्विक शांति और विकास के लिए महिलाएं करें पुरूषों के साथ कदमताल


अंतर्राष्ट्रीय महिला सम्मेलन में जलगांव घोषणा पत्र जारी

2020 में दिल्ली से जेनेबा तक की होगी यात्रा 

जलगांव। अंतर्राष्ट्रीय महिला सम्मेलन संपन्न। देश-विदेश-प्रदेश की महिलाएं जलगांव में स्थित गांधी तीर्थ में उपस्थित हुए। आगत सभी देशों की महिलाओं से वैश्विक शांति और सामाजिक न्याय के लिए एकजूट होने की अपील की गयी है। 

सम्मेलन के आखिरी दिन  ‘जलगांव घोषणा पत्र’ के नाम से जारी वक्तव्य में कहा गया है कि हम महिला समाजकर्मी दुनिया भर  में हर व्यक्ति के सम्मान को सुनिश्चित करने के साथ सभी स्त्री पुरूषों को शांति से रहने के अधिकारों को जानने और उसे हासिल करने में सहयोग करेंगे। हम स्वीकार करते हैं कि मानव जीवन में महिलाओं के सहयोग के बिना शांति स्थापित नहीं हो सकती है। इसलिए उनके सशक्तिकरण के साथ हम पुरूषों को महिलाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग करने के लिए आमंत्रित और प्रोत्साहित करते रहेंगे। इसके लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के बीच सहयोग, संगठन और संपर्क तंत्र का सामाजिक सेतुबंघ बनाएंगे, जिससे अहिंसात्मक वैश्विक शांति और अहिंसक समाज का निर्माण हो सके। 

जलगांव घोषणा पत्र में धरती के सम्मान और इसकी रक्षा के लिए शांतिमय और अहिंसक जीवन शैली को अपनाते हुए हर तरह के अन्याय, दमन और शोषण का विरोध जारी रखेंगे और आर्थिक व्यवस्था को पारदर्शी बनाने और संस्थागत हिंसा का विरोध करने के लिए अनवरत अग्रसर रहेंगे। घोषणा पत्र में इस बात पर जोर दिया गया है कि इस घरती पर सभी मुल्कों में सामजिक,आर्थिक और राजनीतिक अधिकार सभी के लिए है। इसलिए आज से हम स्वर्णिम, सुखद, शांतिमय और उर्वर भविष्य के लिए हम अपनी सक्रियता लगातार बढ़ाते रहेंगे।

ये घोषणा पत्र शांति अंतर्राष्ट्रीय महिला सम्मेलन में शामिल तीस से अधिक देशों की दो सौ से ज्यादा गांधी विचार में  यकीन करनेवाली  महिला समाजकर्मियों, विशेषज्ञों, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं ने एकमत होकर पारित किया। यह घोषणा पत्र इंटरनेशनल गांधीयन इनिसिएटिव फॅार ननभायलेंस एंड पीस की निदेशक जिल कार हैरिस ने रखा। इंटरनेशनल गांधीयन इनिसिएटिव फॅार ननभायलेंस एंड पीस , एकता फाउंडेशन र्ट्स्ट, गांधी रिशर्च फाउंडेशन की ओर से आयोजित तीन दिनों से विराट अंतर्राष्ट्रीय महिला सम्मेलन में महिला समाजकर्मियों ने वैश्विक और स्थानीय स्तर पर सामाजिक न्याय और शांति कायम करने के लिए  प्रशिक्षण, संगठन रचना और संघर्ष की भावी रणनीति पर गहन चिंतन मनन किया। 

तीन के इस सम्मेलन में विभिन्न दस सत्रों में महिलाओं की सुरक्षा, स्वतंत्रता और उसके ससशक्तीकरण के साथ विभिन्न मुल्कों में लैगिक और आर्थिक समानता, महिला शांति सेना, महिला और सामाजिक आंदोलन, तनावपूर्ण क्षेत्रों में शांति अघ्ययन, महिला और स्थानीय अर्थव्यवस्था, कला के जरिये शांति प्राप्ति, महिला और अहिंसक आंदोलन के साथ 2020 में वैश्विक स्तर पर जयजगत अभियान महिला नेतृत्व विकास पर अलग-अलग संगठनों के प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों ने अपने अनुभवजन्य सुझावों से सम्मेलन को उपयोगी बनाया।

सम्मेलन के समापन के दिन जार्जिया, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा,भारत, नेपाल, केन्या, फिलीपीन्स,थाईलैंड, अजरबैजान, कंबोडिया, स्वीडन, अमेरिका, स्वीजरलैंड के साथ पुणे, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ, झारखंड, केरल,बिहार और दिल्ली युवा महिला समाजकर्मियों ने अपनेकृ अपने क्षेत्रों में शांति, समानता, सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए महिलाओं द्वारा किए जा रहे आंदोलनों और अभियानों की चर्चा की और अपनीकृ अपनी कामयावी की मिशालों को भी पेश किया। सत्र की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध गांधीवादी चंद्रशेखर धर्माधिकारी ने भारत में शिव को अर्धनारीश्वर का प्रतीक बताते हुए कहा कि महिलाओं को बेहतर समाज की रचना के लिए पुरूषों को अपने साथ जोड़ना जरूरी होगा। हमारा प्रयास कब्रिस्तान के सन्नाटे के लिए नहीं बल्कि स्त्री कृपुरूष दोनों के लिए बेहतर समाज की रचना का होना चाहिए।

सम्मेलन के प्रारंभ में वैश्विक एकजूटता के लिए गांधी तीर्थ के संस्थापक स्व. भंवरलाल जैन की स्मृति में गांधी तीर्थ परिसर में पीपल का वृक्ष लगाया गया। इस मौके पर एकता यूरोप की प्रधान मारग्रेट होगेनटोवियर, जैन एरिगेशन लिमिटेड के प्रमुख अशोक जैन, वरिष्ठ समाजकर्मी राजगोपाल पी.व्ही, मुंबई आईआईटी के चेयर प्रोफेसर सुदर्शन आयंगार, गौरी कुलकर्णी,गांधीरिसर्च फाउडेशन के डीन जॉन चेलादुरई, बीरेन्द्र कुमार,प्रसून लतांत, आशा रमेश आदि ने हिस्सा लिया।

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।

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