Thursday 23 February 2017

छठे वेतनमान के आधार पर मानदेय प्राप्त नहीं है ए.एन.एम. दीदी को


पटना। असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, पटना महोदय के कार्यालय तक दौड़ लगाकर थक गये हैं संविदा में बहाल .एन.एम.दीदी। सरकार की कोशिश है कि राज्यकर्मियों की वार्षिक वेतन आदि में होने वाले बढ़ोतरी पर पूर्णतः ब्रेक लगा दें। राज्यकर्मियों को मातृभाषा हिन्दी की परीक्षा में उर्त्तीण होना अनिवार्य कर दिया गया है। अगर आप उक्त परीक्षा में उर्त्तीण नहीं होंगे तो वार्षिक बढ़ोतरी में वृद्धि नहीं होगी। उसके बाद अनिवार्य रूप से कम्प्यूटर की वार्षिक परीक्षा उर्त्तीण करने को कहा गया। अधिकांश राज्यकर्मी उर्त्तीण नहीं हो सके। वार्षिक वृद्धि अवरोध कर दिया गया है। जब उर्त्तीण करेंगे तो उसी साल से वार्षिक वृद्धि शुरू कर दी जाएगी। एरियल का प्रावधान नहीं है। दोनों तरह की परीक्षाओं में भारी लेनदेन की प्रक्रिया की जाती है। तब जाकर राज्यकर्मी उर्त्तीण हो पाते हैं।

मातृभाषा हिन्दी और कम्प्यूटर की अनिवार्य परीक्षा का मामला समाप्त भी नहीं हुआ था तब संविदा में बहाल होने वालों की परीक्षा ली जाने लगी। इसमें फेल करने वालों को मानदेय पर ही कार्य करना पड़ता है। इनको सेलरी देय नहीं होता है। सरकार द्वारा बढ़ोतरी राशि से भी महरूम कर दिया जाता है। इसका खामियाजा .एन.एम. और जेनरल नर्स भुगत रही हैं। संविदा में बहाल .एन.एम. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, विक्रम की कुमारी कुमैद ,इन्दु कुमारी ,अनुपम कुमारी,सुनीता कुमारी,मीरा सिन्हा,सरीता कुमारी और निर्मला देवी। बाढ़ की सुधा कुमारी, इन्दु  और पंडारक की सुधा कुमारी। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, बेलछी की बबीता कुमारी,मंजू कुमारी, रश्मि रानी, रंजू कुमारी,दयमंति देवी और स्वर्णलता सुमन। सं0सं0 प्रा0 12.01.2014- 94 (4) पटना दिनांक 11.11.2014 के आदेशानुसार संविदा/मानदेय के आधार पर अनुबंधित कर्मियों को 11,500 रू0 से बढ़ाकर 15,000 कर दिया गया। बढ़े वेतन और एरियर का लाभ नहीं दिया जा रहा है। मालूम हो कि 2007 में 12 हजार .एन.एम.दीदी की बहाली की गयी थी। मानदेय 3900 था। 2010 में 11,500 किया गया। छठे वेतनमान के आधार पर मानदेय बना। कुल मानदेय 15900 के बदले में 11 नवम्बर 2014 में मानदेय 15000 दिया गया। इसी तरह 15 नवम्बर 2016 में कुल मानदेय 17860 के बदले में मानदेय 17500 कर दिया गया। मगर .एन.एम. दीदी की वेतन में बढ़ोतरी राशि का लाभ नहीं मिल रहा है। इस तरह वर्ष 2014 से 2015 नवम्बर तक प्रति .एन.एम. 42 हजार और 2015 से 2016 नवम्बर तक प्रति .एन.एम.30 हजार कम राशि प्राप्त किये। सरकार के पास 72 हजार रू0 बकाया है। इस बाबत सुधा कुमारी का कहना है कि आवंटन का बहाना बनाकर भुगतान नहीं किया जा रहा है। सातवां वेतनमान सिर पर है।

आलोक कुमार


No comments: