Tuesday 16 May 2017

ईसाई समुदाय की जनसंख्या अधिक है बालूपर,दीघा

पटना।
ईसाई समुदाय की जनसंख्या अधिक है बालूपर,दीघा,पटना में। बालूपर मोहल्ला में रहती हैं सामाजिक कार्यकर्ता आशा पीटर। वह काफी धार्मिक कार्य चर्च परिधि में की हैं। इसके कारण अधिकांश मिशनरियों से खासा जान-पहचान हो गयी। इसके कारण चर्च परिधि से बाहर निकलकर जन प्रतिनिधि बनना चाह रही थीं आशा पीटर। वह काफी आशावान थीं कि ईसाई बहुल्य बालूपर मोहल्ला के जागरूक ईसाई समुदाय के लोग वोटर बने नहीं रहेंगे। अपने बिरादरी के पक्ष में मतदान करेंगे।

इसके आलोक में वर्ष 2005 में पूर्वी दीघा ग्राम पंचायत के मुखिया पद के लिए नामांकन की। काफी कम मतों से पराजित हो गयी। फिर से धार्मिक कार्य के साथ सामाजिक कार्य भी शुरू कर दी। वर्ष 2011 में अपने पंचायत के मुखिया पद के लिए नामांकन की। इस बार बुरी तरह से शिकस्त खा गयी। 

इस संदर्भ में जानकार लोगों का कहना है कि मिशनरी संस्थाओं के प्रमुखों द्वारा ईसाई प्रत्याशी को सुनिश्चित जी दिलवाने में दिलचस्पी नहीं लेते हैं। ऐसे लोग ईसाई प्रत्याशी से अधिक सुरक्षा प्रदान करने वाले प्रत्याशी को मजबूती प्रदान करने के लिए मतदान करते हैं। जो लोकल समस्याओं को एक कॉल पर समाधान करने संस्था प्रमुख के पास मैराथन दौड़ लगाकर आ जाये। यहां पर रहते हैं बहुसंख्यक, पिछड़ी जाति, अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के ईसाई लोग। भले ही चर्च में एकजूट दिखते हो मगर मुहल्लों खंड-खंड में विभक्त हैं। इन लोगों का भी तार दबंग प्रत्याशियों से जुड़ा रहता है। आफत में सहयोग प्रदान करते हैं। इसके अलावे बच्चों की छुट्टी के समय चुनाव करवाया जाता है। स्कूल और कॉलेज से छुट्टी मिलते ही घर की ओर प्रस्थान कर जाते हैं। चुनाव को अहमियत ही नहीं देते हैं। छुट्टी के समय में मिशनरी संस्थाओं द्वारा आवासीय करिश्माई चुप्पी रख दी जाती है। इसके आलोक में मतदान करने जाते ही नहीं है। कड़ी धूप का भी बहाना बनाकर मतदान करने नहीं जाते हैं। जब ईसाई समुदाय के वोटर मतदान करने निकलेंगे नहीं तो क्या ईसाई समुदाय की प्रत्याशी की जीत हो पायेगी? 

बिहार विधान सभा का चुनाव-2015 में हुआ। दीघा विधान सभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ईसाई समुदाय की रीना पीटर ने किस्मत अजमायी। समुचित सहयोग नहीं मिलने के कारण चारों खाने चित हो गयी। इस तरह साबित हो गया कि ईसाई समुदाय के पास मुखिया बनाने की शक्ति नहीं है तो किस शक्ति से विधायक बना सकेंगे। ऐसा प्रतीक होता है कि सरकार से दलाली करके अभी भी मनोनीत हो जाने लायक भी नहीं हो सकें हैं। मुखिया पद से आशा पीटर और विधायक पद से रीना पीटर हार गयी हैं। देखना है कि वह कौन शक्तिमान ईसाई हैं जो हार का सिलसिला तोड़ने में सफल हो पायेंगे। 

आलोक कुमार

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