पटना. इस साल प्रभु येसु मसीह के दुःखभोग 2 मार्च से शुरू होगा.ईसाई समाज इसे लेंट काल, महाउपवास भी कहा जाता हैं. इसके पूर्व ईसाई समुदाय दुःखभोग की पूर्व संध्या पर 1 मार्च को गोस्त और भूजा का पर्व मनाएंगे..इसका मतलब दुःखभोग के अवसर पर चालीस दिन गोस्त और मछली का सेवन नहीं करेंगे.बुधवार से मसीही विश्वासियों का चालीसा काल (महाउपवास काल) प्रारंभ होगा. शुरुआत सभी चर्चों में राख बुध-भस्म बुधवार की विशेष प्रार्थना के साथ होगी.
राख बुधवार 2 मार्च से शुरू होगा.राख बुधवार चालीसा (रविवार को छोड़कर) के 40 दिनों में से पहला दिन है, इन दिनों में ख्रीस्तीय प्रार्थना, तपस्या, उपवास, संयम और उदार कार्यों द्वारा सबसे महान पर्व ‘पास्का’ की तैयारी करते हैं.राख बुधवार के दिन पुरोहित सभी ईसाई धर्मावलम्बियों ; ख्रीस्तियों द्ध के माथे या सिर पर राख डालते हैं जो ख्रीस्तियों को मौत की याद दिलाता है और पश्चाताप की आवश्यकता है. पुरोहित कहते हैं कि हे! मानव तू मिट्टी हो और मिट्टी में मिल जाओंगे.यह उम्मीद की जाती है कि आत्मा के शुद्धिकरण एवं प्रभु तथा एक-दूसरे के साथ मेल-मिलाप कर यह उपयुक्त समय का इस्तेमाल करें.यह अनुग्रह का समय है, आत्माओं के उद्धार का समय है, यह अन्यंत कीमती समय है. इसे हम यूँ ही न जाने दें.
इसे लेंट काल, महाउपवास कहा जाता है. इसमें शादी-विवाह, नामकरण पार्टी समेत किसी प्रकार का कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाता है.चालीसा के पुण्य समय को पवित्र ढंग से व्यतीत करने एवं प्रभु यीशु के दुख भोग काल को याद किया जाता है.
क्या होता है राख बुधवार
लेंट के पहले दिन राख बुधवार मनाया जाता है. इस दिन ईसाई समाज के लोग अपने माथे पर राख का आशीष लगाते हैं. खजूर पर्व पर लाई गई खजूर की डाल को वर्षभर सहेज कर रखा जाता है.जिसे दूसरे वर्ष जलाकर उसकी राख बनाई जाती है.इसी राख का उपयोग विशेष आशीष प्रदान करने के बाद श्रद्धालुओं के मस्तक पर क्रूस चिह्न के रूप में लगाया जाता है.
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