Monday 12 August 2013

इस समय बिहार में शांति व्यवस्था बनाने के कार्य को प्राथमिकता देने की जरूरत



एक बार फिर जंगल राज की ओर बढ़ता बिहार
ऐसा ही रहा तो बिहार में आसानी से नरसंहार को अंजाम दिया जा सकता है

पटना। बिहार सरकार के लिए आज शुभ दिन नहीं रहा। सोमवार के दिन सरकार के दो मंत्री और पुलिस अधिकारी के ऊपर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया।  राज्य सरकार के कृषि मंत्री का नाम नरेन्द्र सिंह और ग्रामीण कार्य विभाग के डा.भीम सिंह हैं। सर्वविदित है कि जम्मू कश्मीर के पुंछ में  शहीद होने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बदले मजाक उड़ाया गया। वहीं एक पुलिस डीएसपी मनीष कुमार सिन्हा ने पटना एयरपोर्ट पर प्रोटोकाल को भूलाकर सामान्य वर्दी में ही गये। दूसरे को सबक सीखाने वाले डीएसपी ने सीधी नहीं उल्टी टोपी पहनकर अपने सहकर्मियों के साथ हंसी मजाक करते देखे गये। रहे थे। पटना उच्च न्यायालय के वकील रामसंदेश राय ने 12 अगस्त,2013 को सिविल कोर्ट में दोनों मंत्रियों के साथ डीएसपी पर देशद्रोह का मुकदमा ठोंक दिया गया है। अब 13 अगस्त,2013 को सुनवाई होगी।
नवादाः
दो दिनों के शांत रहने के बाद नवादा भी उबाल पर गया। दोनों सम्प्रदाय के लोगों ने दिन भर बवाल काटा। हिंसा में एक व्यक्ति को मौत के घाट उतार दिया गया। वहीं पांच व्यक्ति घायल हो गये। इन घायलों को नवादा सदर अस्पताल में इलाज किया जा रहा है। जहां घायल खतरे से बाहर हैं। इसको देखकर नवादा में कर्फ्यू लागू कर दिया गया। पारा मिलिट्री फोर्स के जवान ग्रस्त लगा रहे हैं। जिला प्रशासन की ओर से उपद्रवियों को देखते ही गोली मार देने का आदेश निर्गत जारी कर दिया है। नवादा जिले के जिलाधिकारी आदेश तितरमरे का कहना है कि यह गहरी साजिश है। इस साजिश को नाकाम करके दम लेंगे।
बेतियाः
बेतिया में दो सम्प्रदायों के बीच भड़के हिंसा के आलोक में पुलिस बल के द्वारा फ्लैग मार्च करके लोगों के बीच में विश्वास पैदा करने का प्रयास किया गया। कल उपद्रवियों ने सीओ और पुलिस की गाड़ी को आग के हवाले कर दिया था। आज हिंसा में कमी आया है। फिर भी जिला प्रशासन सर्तक है। ऐसा हो कि रूककर बाद में भारी वारदात कर दे। भारी संख्या में पुलिस को तैनात कर दिया गया है। जदयू के विधायक और जिलाध्यक्ष ने शांति बनाए रखने पर बल दिया है।            
सीवानः
माननीय पटना उच्च न्यायालय के आदेश से पुलिस बल अतिक्रमण हटाने गये। जहां पर ग्रामीणों ने जमकर बवाल कर दिया। मैरवा गांव के लोगों के लोगों ने सीओ की गाड़ी को क्षतिग्रस्त कर दिया। इसके बाद लोगो ने अतिक्रमण हटाने गये पुलिस बल पर जमकर रोड़ा बसाना शुरू कर दिये। जवाबी हमले में पुलिस बल ने जमकर लाठी चार्ज किया। देखते ही देखते मैरवा जंग स्थल में बदल गया। लाठी चार्ज से महिलाओं को काफी चोट आयी है। कितनी संख्या में महिलाएं घायल हो गयी हैं। ठीक-ठीक पता नहीं चला है। माले के नेताओं का कहना है कि सरकार को अतिक्रमण करने वालों के संग न्याय करना चाहिए। इसके लिए कानून बना हुआ। कानून के तहत पहले पुनर्वास करो और बाद में विस्थापन करो। परन्तु सरकार शक्ति बल पर लोगों को हटाने पर अडिग है।

नालंदाः
अपने पिताश्री की मौत के बाद स्कूल से पांच साल से कार्यरत शख्स की हिम्मत उस वक्त पस्त हो गयी जब स्कूल के सचिव ने अपने रिश्तेदार को कार्यरत शख्स के बदले में नौकरी में रख लेने की हरी झंडी दिखा दी। इसके बाद अनुकंपा के आधार पर नौकरी की आश में कार्यरत व्यक्ति के समर्थन में गांव के लोग स्कूल में पहुंचकर स्कूल के सचिव और प्रधानाध्यापक की पिटाई करने लगे। लाठी भांजने लगे। ईंट चलाने लगे। जिसको जो हाथ में आया इस्तेमाल करने लगे। मामला गंभीर बना हुआ है। शिक्षा विभाग को चाहिए कि पिताश्री की मौत के बाद पांच साल से अनुकंपा के आधार पर प्रतिनियुक्ति की आशा में आंख लगाये बैठे हैं उनको स्कूल की नौकरी में बहाल कर देने। ऐसा नहीं करने से आक्रोश तीव्र से तीव्र होते चला जाएगा।
पटनाः
 राजवंशी नगर में स्थित डी..वी.स्कूल में 60 छात्रों का दाखिला मई माह में किया गया। अब जाकर स्कूल के प्राचार्य कह रहे है कि प्रमाण-पत्र जाली है। दाखिला लिये बच्चों को स्कूल में अध्ययन नहीं करने दिया जा रहा है। इसको लेकर छात्र अपने परिजनों के साथ आकर प्राचार्य से बात करना चाह रहे थे। मगर प्राचार्य बात करने से इंकार कर दिया। इसके बाद स्कूल में अशांति फैंल गयी। चारों तरफ मारपीट होने लगी। अभी तक कोई नतीजा सामने नहीं आया है। इस संदर्भ में प्राचार्य का कहना है कि इन छात्रों ने केवल टीसी ही जमा किये हैं। इसके अलावे कोई दस्तावेज पेश नहीं किये हैं। जबकि छात्रों का कहना है कि स्कूल की मांग के अनुसार सभी तरह के दस्तावेज स्कूल में पेश किया गया है।
अपने दोस्तों को ही मुख्यमंत्री जिम्मेवार ठहरायाः
वर्तमान समय की अराजकता को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी को जिम्मेवार ठहराया है। दो माह के पहले बिहार में सबकुछ सामान्य था। उनके चले जाने के बाद से ही बिहार में अशांति फैंल गयी है। पूर्ण रूप से बिहार में साम्प्रदायिक तनाव पर काबू पा लिया गया था। जो एक जिले में नहीं दो जिले में प्रसार हो गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि धैर्य की परीक्षा ली जा रही है। इस परीक्षा  को पास कर लेंगे। प्राकृतिक और कुदरत ने भी परीक्षा ली है उसमें भी सफल हो गये हैं।
जदयू और भाजपा मिलकर जंगल राज को खात्मा किये:
पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यावद एवं उनके पत्नी मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के 15 साल के शासन काल में नरसंहार हुआ। इसके बाद सत्ता में आते ही नरसंहार का अंत हो गया। यह सभी लोग जानते हैं कि यह सियासी खेल जारी है। इस राजनीति खेल में गरीब और उनके बच्चे ही प्रभावित हो रहे हैं। अगर नीतीश सरकार के द्वारा कारगर कदम नहीं उठाया जाता है तो निश्चित तौर पर बिहार की धरती पर पुनः नरसंहार को टाला नहीं जा सकता है। बिहार की धरती को रक्तरंजीत होने से रोका नहीं जा सकता है। वैसे तो मुख्यमंत्री जी सभी दलों के लोगों से शांति कायम करने में योगदान करने का आग्रह बारम्बार कर रहे हैं। परन्तु इसका असर सामने नहीं रहा है।
आलोक कुमार