Sunday 27 March 2022

राज्य सम्मेलन के दूसरे दिन पार्टी के कामकाज की रिपोर्ट पर चर्चा हुई

                                     100 से अधिक प्रतिनिधियों ने चर्चा में लिया हिस्सा

       माले महासचिव कॉमरेड दिपांकर भट्टाचार्य सहित सभी वरिष्ठ नेतागण रहे उपस्थित

गया.भाकपा-माले के राज्य सम्मेलन के दूसरे दिन निवर्तमान पार्टी राज्य सचिव कॉमरेड कुणाल द्वारा पेश किए गए. विगत 5 वर्षों के कामकाज की रिपोर्ट पर चर्चा हुई है. खुला सत्र के समापन के उपरांत 25 मार्च की शाम से ही प्रतिनिधि सत्र शुरू हो गया था.15 सदस्यीय अध्यक्ष मंडल के नेतृत्व में प्रतिनिधि सत्र चल रहा है. इसमें मीना तिवारी, सरोज चौबे , शशि यादव, जवाहर लाल सिंह, वैद्यनाथ यादव, आफताब आलम, क्यामुद्दीन अंसारी, हंसनाथ राम, कृष्णमोहन, श्रीनिवास शर्मा, एस.के. शर्मा, रामनंनद पासवान, इंद्रजीत चौरसिया आदि शामिल हैं.

निवर्तमान सचिव ने विगत 5 वर्षों के 40 पेज की रिपोर्ट पेश की जिसमें देश-विदेश सहित राज्य की राजनीतिक परिस्थिति की समीक्षा की गई है. कामकाज की रिपोर्ट में भाजपा के सामने नीतीश कुमार के आत्मसमर्पण, भूमि सुधार से विश्वासघात, बिहार में कृषि का परंपरागत पिछड़ापन, उद्योग की समस्या, जल प्रबंधन की असफलता, प्रवासी मजदूरों की बेबसी, पलायन, स्वास्थय का बुरा हाल, शिक्षा और रोजगार की लगातार खराब होती स्थिति, शहरी गरीबों की बेदखली, शराबबंदी की आड़ में गरीबों का जनसंहार, लगातार महिला उत्पीड़न की घटनाएं, सामंती-साम्प्रदायिक ताकतों का लगातार बढ़ता मनोबल आदि की विस्तार से चर्चा की गई है.कामकाज की रिपोर्ट में बिहार को भाजपा की साजिश से बचाने के लिए वामपंथ को मजबूत करने और महागठबंधन को धारदार बनाने की दिशा ली गई है. इसके लिए दलितों-गरीबों-अल्पसंख्यकों-महिलाओं और छात्र-युवाओं पर जोर बढ़ाने की बात कही गई है.

बिजली-शिक्षा-स्वास्थ्य और गरीबों के वास-आवास के एजेंडा को लेकर राज्य की राजनीति में कारगर हस्तक्षेप करने और भाजपा को चौतरफा घेरने के लिए जनआंदोलनों का नया आवेग खड़ा करने का आह्वान किया गया है.कामकाज की रिपोर्ट में आशा-रसोइया-स्कीम वर्कर-जीविका आदि तबकों के बीच संगठन निर्माण की भी चर्चा की गई है. कामकाज की रिपोर्ट कहती है कि फासीवादी ताकतों द्वारा साम्प्रदायिक ध्रवीकरण की नीयत से मीडिया-सोशल मीडिया और फिल्मों को हथियार बनाया जा रहा है। ऐसी स्थिति में पार्टी ग्रामीण इलाकों में सांस्कृतिक मोर्चे की बहुआयामी उपस्थिति की आवश्यकता को शिद्दत से महसूस करती है.

बहस में अबतक विभिन्न जिलों व अलग-अलग जनसंगठनों से तकरीबन 100 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और उन्होंने अपने सुझावों के जरिए कामकाज की रिपोर्ट को और समृद्ध करने का काम किया. प्रतिनिधियों ने पार्टी विस्तार की संभावनाओं और इस दिशा में आ रही समस्याओं पर खुल कर अपने विचार व्यक्त किए.बहस में महिला और अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले प्रतिनिधियों की आवाज मजबूती से गुंजी. पार्टी का यह 11वां राज्य सम्मेलन 1 लाख पार्टी सदस्यता और जनसंगठनों की 25 लाख सदस्यता पर आयोजित हो रही है.सम्मेलन में 750 प्रतिनिधियों की भागीदारी हो रही है. 50 प्रेक्षक भी सम्मेलन में उपस्थित हैं. महिला प्रतिनिधियों की संख्या 100 के करीब है. सम्मेलन के दूसरे दिन पार्टी के महासचिव कॉमरेड दिपंकर भट्टाचार्य, वरिष्ठ नेता स्वदेश भट्टाचार्य, रामजी राय, जनार्दन प्रसाद, सुधाकर यादव, राजाराम सिंह, धीरेंद्र झा, सोहिला गुप्ता, पार्टी विधायक गोपाल रविदास, महानंद सिंह, अमरजीत कुशवाहा, सत्यदेव राम, सुदामा प्रसाद आदि उपस्थित रहे.

सम्मेलन की मुख्य झलकियां



सम्मेलन स्थल पर मार्क्सवादी-जनवादी समेत अम्बेडकर साहित्य से जुड़ी किताबों व पत्र-पत्रिकाओं का स्टॉल लगाया गया है. जिसके प्रति लोगों का काफी आकर्षण देखा जा रहा है.

कार्यक्रम में भोजपुर और पटना की सांस्कृतिक टीमों ने जनवादी-क्रांतिकारी गीतों का गायन किया.इन गीतों के जरिए आम जनता के दुख-दर्द और उनके संघर्ष को अभिव्यक्त किया गया.


आलोक कुमार


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