Thursday 31 March 2022

विपक्षी सदस्यों को सदन से मार्शल द्वारा बाहर का रास्ता दिखाया

 

पटना. एक महीने से ज्यादा वक्त तक चले बिहार विधानमंडल का बजट सत्र समाप्त हो गया. 24 फरवरी से रूस और यूक्रेन के बीच जारी होने के एक दिन बाद 25 फरवरी से बजट सत्र की शुरुआत हुई थी. बजट सत्र में कुल 22 बैठकें हुईं. बैठक के दौरान सरकार की ओर से सभी विभागों ने अधिकांश प्रश्नों का उत्तर उपलब्ध कराया. इस बजट सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण पल आये. विधानसभा में ऐसा शायद पहली बार हुआ कि मुख्यमंत्री ने स्पीकर के ऊपर सवाल खड़े किए. वहीं विपक्षी सदस्यों को सदन से मार्शल द्वारा बाहर का रास्ता दिखाया गया.

सरकार ने इस सत्र में 9 विधेयक भी पास कराए हैं. बिहार विधानसभा के बजट सत्र में सरकार ने बिहार का 2022-23 का बजट पास कराया. वहीं विभागीय बजट को भी चर्चा के बाद बहुमत से पास करा लिया. शराबबंदी कानून से संबंधित संशोधन विधेयक भी उसमें शामिल था. पुलिस विधेयक भी इस बार पास कराया गया. पुलिस विधेयक को लेकर ही पिछले साल बवाल मचा था. जिसे इस बार के सत्र में पास कराया गया. बिहार सशस्त्र पुलिस विधेयक को लेकर साल 2021 में विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ था. विधायकों ने सदन में मारपीट करने का आरोप लगाया था. लेकिन इस बार इस विधेयक को लेकर हंगामा देखने को नहीं मिला. बल्कि बजट सत्र में सबसे अधिक चर्चा विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के बीच हुआ विवाद रहा.


 मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के बीच सदन में जो कुछ हुआ वह इतिहास बन चुका है. हालांकि अच्छी बात यह रही कि सत्र के दौरान ही दोनों के बीच सुलह भी हो गई. दरअसल विधानसभा के बजट सत्र  के दौरान 14 मार्च को नीतीश कुमार का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. लखीसराय में विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा के साथ हुए दुर्व्यवहार मामले को लेकर विपक्षी दलों और बीजेपी के विधायक लगातार सदन में हंगामा कर रहे थे. ऐसे में सीएम ने कहा कि मामले में कार्रवाई की जा रही है. बार-बार इस तरह से इस मुद्दे को सदन में उठाना सही नहीं है. हम न किसी को फंसाते हैं और न किसी को बचाते हैं. विशेषाधिकार समिति जो रिपोर्ट पेश करेगी, हम उस पर जरूर विचार करेंगे और देखेंगे की कौन सा पक्ष सही है. इस दौरान सीएम और विधानसभा अध्यक्ष  के बीच तीखी बहस हुई थी.

बजट सत्र कई मायनों में उपलब्धियों भरा रहा तो वहीं कई विवादों के कारण चर्चा में भी रहा. विपक्ष के सदस्यों ने कहा कि सरकार जनता के सवाल पर उत्तर देने में नाकाम रही. वहीं सत्ता पक्ष ने कहा कि जनता की समस्याओं का उनके माध्यम से समाधान हुआ. माले के सदस्य सुदामा प्रसाद ने कहा कि यदि विपक्ष एकजुट रहती तो सरकार पर जन समस्याओं के समाधान में दबाव बनाने में मदद मिलती थी. वहीं बीजेपी के संजय सरावगी ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव तो गायब ही रहते हैं, उन्हें लोकतंत्र पर लगता है विश्वास नहीं है.‘पूरे सत्र के दौरान सरकार जनता के सवालों पर गंभीर नहीं दिखी. सरकार किसी भी सदस्य के सवाल का जवाब नहीं दे पायी. पदाधिकारी गोल मटोल जवाब बनाते गए, जिसे मंत्री ने पढ़ा. सरकार ने अपना काम कर लिया. जनता का काम कहीं नहीं हुआ. मार्शल का भी उपयोग हुआ और आसन का भी दुर्गति हुआ.‘ -रामानुज प्रसाद,आरजेडी विधायक. ‘अपने अपने दल के हिसाब से सभी चले. अगर विपक्ष एकजुट रहता है तो सरकार को घेरा जा सकता है. लोकहित के मुद्दों को हल कराया जा सकता था.‘ः- सुदामा प्रसाद, विधायक माल.े ‘विपक्ष का सहयोग मिलने से ही सदन चला. नेता प्रतिपक्ष तो गायब रहे, उन्हें सत्र से कोई मतलब नहीं था. सबसे बड़ा बजट सत्र होता है. उससे ही नेता प्रतिपक्ष पूरी तरह से गायब रहे. उन्हें लोकतंत्र में विश्वास नहीं है.‘- संजय सरावगी, विधायक बीजेपी.‘गरीबों की लंबित राशि का प्रश्न आने के साथ ही भुगतान कर दिया गया. कन्या योजना की राशि जो लंबे समय से रुकी हुई थी, वो लोगों के खाते में जाना शुरू हो चुका है. कई प्रश्न जो सदन में उठे उसपर कार्रवाई है. मार्शल का प्रयोग पहले से भी होता रहा है. विमर्श की जगह वेल में जब सदस्य छपास के लिए पहुंच जाते हैं तो मार्शल का सहारा लेना पड़ता है.‘- अरुण शंकर प्रसाद, बीजेपी विधायक..
बजट सत्र में प्रमुख विधेयक जो पास हुए-
मद्य निषेध संशोधन विधेयक 2022
नगर विकास संशोधन विधेयक 2022
पुलिस संशोधन विधेयक 2022
कराधान विधि संशोधन विधेयक 2022
बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग संशोधन विधेयक 2022
बिहार शहरी योजना तथा विकास संशोधन विधेयक 2022
विनियोग विधेयक 2022

 

गुरुवार( 31 मार्च) को सदन में कानून व्यवस्था को लेकर जोरदार हंगामा हुआ. हंगामा को लेकर सीपीआई-एमएल के 12 विधायकों को सदन से बाहर किया गया. मार्शलों ने विधायकों के सदन से उठाकर बाहर किया. बाहर निकाले जाने के दौरान कुछ विधायक गुंडागर्दी नहीं चलेगी के नारे भी लगा रहे थे. विधायक विरेंद्र गुप्ता ने कहा कि हम लोग राज्य में बिगड़ते कानून व्यवस्था पर बहस चाहते थे लेकिन सरकार बहस पर तैयार नहीं थी इसलिए हमको मार्शल से कहकर सदन से बाहर करवा दिया.

 विधानसभा अध्यक्ष के आदेश के बाद मार्शल ने अख्तरुल इमान को उठाकर बाहर निकाल दिया. इससे अख्तरुल इमान और एआईएमआईएम के सभी विधायक नाराज होकर धरने पर बैठ गए. विधानसभा पोर्टिको में धरना देते हुए अख्तरुल इमान ने कहा कि हम लोग तो सीमांचल की समस्या को उठा रहे थे. लेकिन सरकार हम लोगों की समस्या सुन नहीं रही है और मार्शल से बाहर निकाल दिया जा रहा है. हम लोग उसी के विरोध में धरना दे रहे हैं.ला एंड आर्डर के मुद्दे पर भारी हंगामा रू दरअसल, माले के विधायक लगातार सदन में हंगामा कर रहे थे. इस पर स्पीकर विजय सिन्हा ने माले के विधायकों को शांत रहने के लिए कहा, लेकिन वे नहीं माने, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने माले के विधायकों को मार्शल से बाहर करवा दिया. इसके बाद माले विधायक सदन के बाहर धरने पर बैठ गए.

माले विधायक सुदामा प्रसाद की तबियत बिगड़ीरू इस बीच धरने पर बैठे माले विधायक सुदामा प्रसाद की अचानक तबियत बिगड़ गई. विधायक की तबियत को बिगड़ता देख विधानसभा में मौजूद डॉक्टरों को बुलाया गया, जिसके बाद उन्हें एंबुलेंस से पीएमसीएच अस्पताल भेजा गया.

No comments: