Monday 16 November 2015

घर से निकलकर प्रथम चचरी पुल पर चढ़कर खेत को पार करके खदान से गुजरकर द्वितीय बार चचरी पर चढ़कर तब जाकर गंगा नदी में भगवान भास्कर को अर्घ्यदान दिया जाएगा


 पटना। राजधानी के लोगों से रूठकर गंगा मइया दूर चल गयी है। इसके बाद गंगा जी के बड़ा हिस्सा दियारा बन गया। पटना के हिस्से में पड़ने से पटना दियारा कहा गया। वहीं कुर्जी क्षेत्र में पड़ने से कुर्जी दियारा कहा जाने लगा। इस पर हकदारी जमाया गया। हकदारी करने वाले खेती वाली जमीन को खेती करने वाले लोगों के साथ बंदोबस्ती करने लगे। दीघा बिन्दटोली के लोग 10 हजार रूपए एकड़ पर खेत लेकर खेती करने लगे। 



इस बीच सरकार ने बालू नीलामी कर दी। सरकार से बालू नीलाम करने वाले लोगों ने जेसीबी से बालू निकालने लगे। कुर्जी दियारा से बालू निकालने से खदान बन गया है। इसी खदान के बीच से पूजा समिति के सदस्यों ने राह निर्माण कर दी है। इसी राह से व्रतियों और उनके परिवार के लोगों को गंगा नदी जाकर अर्घ्यदान करने है। इन लोगों को चचेरी पर चढ़कर जाना होगा। जो खतरनाक साबित हो सकता है। जिला प्रशासन और स्थानीय पुलिस को ध्यान देने की जरूरत है। ऐसे करने से संभावित खतरे को टाला जा सकता है। डूबते सूर्य भगवान और उगते सूर्य भगवान को अर्घ्यदान करते जाते और आते समय विशेष चौकसी की जरूरत है। 

आलोक कुमार
मखदुमपुर दीघा घाट, पटना। 



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