आलोक कुमार
पटना।
आम लोग
सरकारी योजनाओं
से झेड़झाड़
करना नहीं
चाहते हैं।
वह भी
जब सार्वजनिक
स्थल पर
सरकारी योजनाओं
से निर्मित
किया गया
हो। अगर
कोई झेड़छाड़
करता है।
तो जेल
जाने की
भी नौबत
आ सकती
है। यह
खौफ पटना
जिले के
नासरीगंज बिस्कुट
फैक्ट्री मोड़
पर निकले
छड़ और
जहानाबाद जिले
के सेवनन
मुसहरी में
देखने को
मिला। यहां
के लोगों
का कहना
है कि
यह कार्य
राज्य सरकार
और उनके
कर्मचारियों का है। वे ही
लोग अधिकृत
व्यक्ति हैं।
वे ही
लोग लोगों
को गिरने
देने और
गिरने वालों
को रोकने
में सहायता
करने वाले
हैं।

जेल जाने
के सवार हो जाने का भयः
मजे की
बात है
कि आम
लोग छड़
की चपेट
में आकर
ठोकर खाते
हैं मगर
सबक नहीं
लेते हैं।
किसी भी
व्यक्ति के
पास साहस
नहीं है
जो निकले
छड़ को
काटकर हटा
दें। साफ
तौर पर
कहते हैं
कि अगर
छड़ को
काटकर हटाने
का प्रयास
किया गया
तो पुलिस
केस हो
सकता है।
सरकारी संपति
को हड़पने
का आरोप
लगाकर जेल
भेजा जा
सकता है।
आपस में
मारपीट भी
हो सकता
है। बेहतर
हैं कि
लोग आंख
खोलकर चले।
अब लोग
अभ्यस्त हो
गए हैं।
अनजान लोग
ही फंसकर
गिरते हैं।
ऐसा होने
पर हंसने
का मौका
मिल जाता
है। तनाव
के समय
हंस लिया
जाता है।
नाला के
ऊपर ढलायी
किया गया
है। घटिया
ढलायी करने
से छड़
बाहर निकल
आया है।

गांव में
तीन तरह का कार्य किया
जाता : गांव में
तीन तरह
का कार्य
किया जाता
है। वह
सिस्टम ही
खत्म हो
गये है।
गांवघर में
सरकार के
द्वारा, संस्था
के द्वारा
और जनता
के द्वारा
कार्य किया
जाता है।
सरकार के
द्वारा कार्य
किया गया।
संस्था और
जनता के
द्वारा कार्य
नहीं किया
जा रहा
है। संस्था
के लोग
जनता को
जन कार्य
करने के
लिए प्रोत्साहन
करना बंद
कर दिए
है। उनको
सही मार्ग
दर्शन नहीं
मिलने के
कारण गांवघर
में श्रमदान
बंद हो
गया है।
गांवघर में
सामूहिक चंदा
करके बिगड़े
कार्य को
पटरी पर
लाने का
प्रयास नहीं
हो रहा
है। अगर
ऐसा हो
जाए तो
सरकारी कार्य
को दीर्घकाल
तक चलाया
जा सकता
है।
No comments:
Post a Comment