Saturday 5 July 2014

इनको कब अच्छे दिन नसीब होंगे! चापाकल से निकलता गंदा पानी


पटना। कहावत है कि भगवान के घर में अंधेर है मगर देर नहीं है। मगर महादलितों के साथ ऐसा नहीं हो रहा है। आजादी मिले काफी समय हो गया है। उसी तरह साल 2009 से बिहार में एनडीए सरकार के बाद राजद और कांग्रेस के समर्थन में जदयू सरकार कार्यशील है। सरकार हुजूर ने महादलितों के मुसहरी में पेयजल की व्यवस्था नहीं कर दी। इसके कारण मुसहरों को काफी दूरी तय करके पानी लाते थे। आखिर में लोगों ने मिलकर चंदा संग्रह किए। चंदा की बदौलत चापाकल लगा लिए। चापाकल के गर्भ से गंदा पानी रहा है। चापाकल के मुंह से निकलते गंदा पानी को देखा जा सकता है। चापाकल के पानी भरकर बाल्टी में संग्रह करते हैं। चापाकल से निकला पानी को बाल्टी में एक घंटे तक जमने देते हैं। ऐसा करने से पानी के नीचले सतह पर मिट्टी जाकर जम जाता है। इसके मुसहर लोग कपड़े से पानी छानते हैं। तब जाकर लोग पानी पीते हैं।
यह सब कवायद शहर के निकट दीघा थाना क्षेत्र के बगल में दीघा नहर के किनारे बसे रामजीचक मुसहरी टोला का है। जो सालों साल इंतजार करते रहे। मगर पेयजल की सुविधा उपलब्ध नहीं करायी गयी। आखिर कब मुसहरों को शुद्ध पेयजल नसीब होगा। यह सवाल पैदा हो गया है। हां, उस समय गजब लगता है कि बिहार विधान सभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी दिल्ली प्रवास में किसी को 100 रू देकर मिनरल वाटर खरीदने भेजते हैं। जब मिनिरल वाटर खरीदकर आया तो अध्यक्ष महोदय से कहता है कि हुजूर 100 रू. में मिनरल वाटर नहीं मिला। 25 रू. खुद की जेब से लगाकर मिनरल वाटर लेकर आए हैं। दिल्ली में 750 मिलीलीटर पानी की कीमत 125 रूपए है। जो काफी मंहगा है। आपको देश में दूध् से अधिक कीमत पर पानी खरीदना पड़ रहा है। तब अध्यक्ष महोदय आश्चर्य में पड़ गए। बिहार में 10 से 16 रू. में मिनरल वाटर मिल जाता है। यहां तो 150 रू. में मिल रहा है। तब अध्यक्ष उदय नारायण कहते हैं कि सरकार पेयजल की व्यवस्था नहीं कर पायी है। दूरदराज के गांव के लोग गड्ढों का पानी पीते हैं।
रामजीचक नहर के किनारे सरकारी स्कूल है। यहां के चापाकल खराब हो गया है। इसको असर दोपहरिया भोजन पर पड़ रहा है। यहां पर पांच महीने से बच्चों को भोजन मिल ही नहीं रहा है। यहां के लोगों ने सवाल उठाया कि जब भोजन नहीं बन रहा है तो मिलने वाले अनाज का क्या हो रहा है? जब यहां की महिलाएं आवाज बुलंद करती हैं। तब स्कूल के टीचर सीधे थाना पहुंच जाते हैं। दीघा थाना के पुलिसकर्मी टीचर के ही पक्ष में बोलकर मामला को दबा देते हैं। तब तो यह जांच का विषय बन जाता है। इसकी जांच होनी चाहिए ताकि महादलित मुसहर समुदाय के बच्चों एवं उनके अभिभावकों के साथ न्याय हो सके।

आलोक कुमार

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