Tuesday 12 April 2022

भाईजी की समाधि पर बागी समर्पण का 50वें साल का जश्न मनाया जाएगा

 जौरा.चंबल घाटी के कई ऐसे बीहड़ गांव हैं जहां संविधान से ज्यादा डाकुओं का कानून चलता था. कई बड़े डकैतों ने 1960 में विनोबा भावे के शांति अभियान के चलते आत्मसमर्पण किया था और बाकी बचे पुलिस मुठभेड़ में मार दिए गए. जयप्रकाश नारायण और डॉक्टर एसएन सुब्बाराव,भाई जी की कोशिशों से चंबल तब फिर अचानक सुर्खियों में आया, जब 1972 में तकरीबन   654 डकैतों ने आत्मसमर्पण किया.इनमें कुछ 14 अप्रैल से 16 अप्रैल 2022 तक  बागी आत्म समर्पण के 50 वी वर्षगांठ समारोह मे भाग लेने के लिये महात्मा गांधी सेवा आश्रम आ चुके है.भाईजी की समाधि पर बागी समर्पण का 50वें साल का जश्न मनाया जाएगा.

चंबल घाटी (Chambal Valley) के आत्मसमर्पित बागी अजमेर सिंह, बहादुर सिंह और सोनेराम गौंड के आगमन से दहशत में पड़ने की जरूरत नहीं है और न ही माहौल तनावपूर्ण करना हैं.14 अप्रैल 1972 को जौरा में हुए बागी आत्मसमर्पण की स्वर्ण जयंती समारोह में भाग लेने महात्मा गांधी सेवा आश्रम जौरा में आ रहे हैं.यहां पर 14 अप्रैल को स्वर्ण जयंती समारोह मनाया जा रहा है.

चंबल में हुए आत्मसर्मपण से सम्मान की प्राप्ति और शोषण मुक्त समाज की रचना का संदेश पूरी दुनिया में गया था और 654 बागीयों ने अच्छी दुनिया को बनाने के लिए अपनी बंदुकें गांधी की प्रतिमा के समक्ष समर्पित कर दिये थे.

मालूम हो कि 14 अप्रैल 1972 को जौरा में हुए बागी आत्मसमर्पण की स्वर्ण जयंती समारोह महात्मा गांधी सेवा आश्रम जौरा में 14 अप्रैल को मनाया जा रहा है.इस समारोह में राष्ट्रीय युवा सम्मेलन भी आयोजित किया जा रहा है.राष्ट्रीय युवा सम्मेलन में भागीदारी के लिए देश भर से नवजवानों का पहुंचना प्रारंभ हो चुका है.सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, केरल, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, तेलगांना और उड़ीसा के प्रतिभागी पहुंच चुके हैं. राष्ट्रीय युवा एकता शिविर का उद्घाटन मंगलवार को सर्वोदय मण्डल उत्तरप्रदेश के अध्यक्ष श्री रामधीरज भाई व एकता परिषद के संस्थापक और महात्मा गांधी सेवा आश्रम के अध्यक्ष श्री राजगोपाल पी व्ही करेंगे.

इस आश्रम के प्रबंधक प्रफुल्ल श्रीवास्तव ने बताया कि समारोह में भाग लेने के लिए बिहार के सामाजिक कार्यकर्ता श्री प्रदीप प्रियदर्शी , उत्तरप्रदेश से अरविंद कुशवाहा, अनिल भाई, दिल्ली से धर्मेन्द्र, केरल से अनिल, सुकुमारन,उड़ीसा के मधु भाई और तेलगांना से के यादव राजू,महाराष्ट्र के नरेन्द्र बडगांवकर व एकता परिषद के संतोष सिंह, अनीश कुमार, के.के, डोंगर शर्मा तथा छत्तीसगढ के रमेश शर्मा  पहुंच चुके हैं.सम्मेलन में भागीदार बनने के लिए पूर्व बागी आत्मसमर्पित अजमेर सिंह, बहादुर सिंह और सोनेराम गौड भी आश्रम में आ चुके हैं.

बता दें कि 1970 के दशक मे चम्बल घाटी के दुर्दांत बागी मोहर सिंह अजमेर सिंह चम्बल के दुर्दांत बागी मोहर सिंह व सोनेराम गौंड बागी माधो सिंह तथा बहादुर सिंह बागी हरबिलास सिंह के गिरोह के सदस्य रहे थे.1972 मे लोकनायक जयप्रकाश नारायण के समक्ष 654 बागीयों ने गाँधी जी की प्रतिमा के समक्ष अपने बन्दूके महात्मा गांधी सेवा आश्रम के प्रांगण मे डालकर समर्पण कर दिये.इसमे चंबल घाटी के मुरैना जिले के जौरा में 1972 को ऐतिहासिक बाकी आत्मसमर्पण की नींव रखने वाले देशभर के युवाओं के प्रेरणा स्रोत एवं प्रसिद्ध गांधीवादी डॉक्टर एसएन सुब्बाराव, भाई जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

जौरा में है महात्मा गांधी सेवा आश्रम.इस आश्रम में रहते हैं स्व. चेउ जीगनदेह के पुत्र बागी बहादुर सिंह. बहादुर सिंह हत्या करके चंबल घाटी में चले गये थे. वहां पर सर्पोटर की भूमिका में रहें. उनके सामने ही हजारों अपराधों को अंजाम दिया गया. आत्म समर्पण करने के बाद बंदूक टांगकर हाथ में हसुहा थाम लिये हैं. कल का दस्यु आज का सत्याग्रही बन गये हैं.आश्रम में रहते हैं बहादुर सिंह.उनकी पत्नी जांता देवी हैं.दोनों 3 लड़का और 2 लड़की हैं.अभी सभी रिजौनी गांव में रहते हैं.

दस्यु बहादुर सिंह ने कहा कि उनके चचेरा भाई पत्तु कुशवाहा ने 10 बीघा जमीन हथिया लिये थे.चचेरे भाई की हत्याकर  30 किलोमीटर की दूरी तयकर चंबल घाटी चले गये. वहां पर संगे मामा हरबिलास कुशवाहा के गैंग में शामिल हो गये. चंबल में हजारों अपराधों में सर्पोटर रहे. 284 मर्डर, 352 अपहरण, 213 राहजनी आदि अपराध किये.1972 से 1977 तक 5 साल ग्वालियर जेल में रहे. उनके साथ 654 दस्युओं ने 1972 में आत्म समर्पण किए.लोकनायक जयप्रकाश नारायण ,युवा नेता डॉ.एस.एम.सुब्बा राव व डॉ.पी.व्ही.राजगोपाल ने दिशा परिवर्तन करवाने में कामयाबी हासिल किया. सरकार ने 30  बीघा जमीन दी. नगद 2500 रू.भी दिये.


आलोक कुमार


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