Wednesday 25 December 2013

राह में आये ईंट अथवा पत्थर को हटाते चलने वाले बुजुर्ग



पटना। आजकल राह में रोड़ा अटकाया जाता है। इस तरह किसी भी फिल्ड में किया जाता है। इसके कारण आम से खास लोग परेशान होते रहते हैं।

यहां जो पेश किया जा रहा है। वह अलग है। प्रचलित कहावत से भी जुदा है। जो दूसरों के लिए कुआं खोदता है, वह खुद एक दिन उसमें गिर जाएगा। यह बुजुर्ग तो राह में आये ईंट अथवा पत्थर को किनारे करते ही चले जाते हैं। वे राह में आये एक पत्थर को किनारे करके शांत नहीं हो जाते हैं। बल्कि आने वाले ईंट-पत्थरों को हटाते ही चले जाते हैं।

दीघा थाना क्षेत्र में तार कम्पनी था। उसी कम्पनी में काम करने के बाद अवकाश ग्रहण करने वाले का नाम भीम ठाकुर हैं। अभी मखदुमपुर बगीचा जाने वाली गली में रहते हैं। उनका कहना है कि राह में पड़े ईंट अथवा पत्थर हटा देने से किसी राही को  ठेस नहीं लगेगी। हम तो मनुष्य होने का कर्तव्य निर्वाह कर रहे हैं। अपने जमाने में अध्ययन किये थे। कवि ने पुष्प की अभिलाषा नामक कविता में लिखा था। मुझे तोड़ लेना हे ! वनमाली उस राह पर देना तू फेंक जिस पथ पर जाएं वीर अनेक। उससे प्रेरित हूं। मैं कभी उस कहावत पर चलना नहीं चाहता हूं। जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है,वह एक दिन खुद गड्ढा में गिर जाएगा। मैं कभी दूसरों की राह में रोड़ा नहीं अटकाया हैं और दूसरों को अटकाने के लिए छूट देना चाहता हूं।
आलोक कुमार