ईंट भट्टों से हलकानी
अब रेल सह सड़क सेतु से और लोकनायक गंगा पथ से
पटना। नकटा दियारा पंचायत में दीघा बिन्ट टोली पड़ता है। मोटा अनाज खाने वाले बिन्द की संख्या सात की है। जो झोपड़ी में रहते हैं। गंगा और सोन नदी के किनारे रहने के कारण बिजली रानी का दर्शन लोगों को नहीं मिल पाया है। इन लोगों के पास खुद की जमीन है। इस लिए मालगुजारी पर खेत लेकर खेती करते हैं। इसी से जीविकोपार्जन करते हैं। इस समय बिन्द टोली के लोगों पर तीन तरफा तलवार लटक गयी है। गंगा और सोन नदी से कटाव। रेल सह सड़क सेतु निर्माण से विस्थापन होने और लोकनायक गंगा पथ बनने से खेती योग्य जमीन पर फसल नहीं ऊपजाने से सीधे पेट पर असर पड़ने लगा है।
दीघा बिन्द टोली के बिन्द समुदाय के लोग परेशानी का चादर औढ़कर जन्म लेते,नौजवान होते और मर जाते हैं। कमबख्त परेशानी जाने का नाम ही नहीं ले रहा है। गंगा किनारे बसे हैं। इसके लिए सबसे पहले गंगा और सोन नदी से परेशानी मिलनी शुरू हो गयी। हरेक साल बिन्द टोली की जमीन गंगा और सोन नदी के चढ़ाव और बढ़ाव के कारण कटाव के गर्भ में समा जाता है। इसके बाद बाकी कसर ईंट भट्टे के मालिकों के द्वारा चुकता कर लिया जाता था। एकदम बिन्द टोली के बगल में ही ईंट भट्टा खोल दिया जाता था। इसके कारण गंगा और सोन नदी का भंयकर कहर झेलने को बाध्य लोग हो जाते थे। जब सरकार ने ईंट भट्टों पर पाबंदी लगा दी है। तो कुछ राहत मिलने के बाद फिर परेशानी के दलदल में पूर्व मध्य रेलवे ने डाल दिया है। समूचे बिन्द टोली के लोगों को बिन्द टोली छोड़कर अन्यत्र चले जाने का एलान कर दिया गया है। एलान होने के बाद भी बिन्द टोली के लोग रह रहे हैं। मगर विस्थापन की तलवार लटक गयी है। इसके बाद अब सीधे आजीविका पर हमला हो गया है। जिस जमीन को मालगुजारी पर लेकर बिन्द लोग खेती करके जिदंगी चला रहे थे। अब खेती करने नहीं दिया जा रहा है। इससे लोग परेशान होने लगे हैं।
आलोक कुमार