Sunday 5 June 2022

मन और हृदय को खोलने के लिए निमंत्रण


आज हम पेंतेकोस्त का महापर्व मना रहे हैं जो ख्रीस्त के पुनरुत्थान के पचास दिनों बाद, पास्का काल को पूर्ण कर देता है. धर्मविधि हमें पवित्र आत्मा के वरदानों के लिए हमारे मन और हृदय को खोलने के लिए निमंत्रण देती है, जिसके विषय में येसु ने अपने शिष्यों से कई बार प्रतिज्ञा की थी. पुनरुत्थान एवं स्वर्गारोहण के बाद यह उनका प्रथम एवं श्रेष्ठ उपहार था.इस वरदान के लिए स्वयं येसु ने पिता से प्रार्थना की थी. जिसका उदाहरण हम आज के सुसमाचार पाठ में पाते हैं जो अंतिम ब्यारी के समय घटित हुआ था. येसु अपने शिष्यों को बतलाते हैं कि ″यदि तुम मुझे प्यार करोगे, तो मेरी आज्ञाओं का पालन करोंगे. मैं पिता से प्रार्थना करूँगा और वह तुम्हें एक दूसरा सहायक प्रदान करेगा, जो सदा तुम्हारे साथ रहेगा. ″(यो.14ः15-16)


संत पापा ने कहा कि ये शब्द हमें सबसे बढ़कर एक व्यक्ति के प्रति प्रेम को दर्शाता है और साथ ही साथ प्रभु के प्रति भी, जिसे मात्र शब्दों से नहीं किन्तु कार्यों द्वारा प्रमाणित किया जा सकता है.आज्ञा पालन को अस्तित्वपरक भावना के अर्थों में समझा जाना चाहिए जिससे उनके जीवन में शामिल हो सकें. वास्तव में, ख्रीस्तीय होने का अर्थ मूलतः किसी खास संस्कृति अथवा एक निश्चित सिद्धांत का पालन करना नहीं है बल्कि येसु और उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं से अपने को जोड़ना है. यही कारण है कि येसु ने अपने शिष्यों को पवित्र आत्मा की प्रतिज्ञा की। पवित्र आत्मा ही पिता एवं पुत्र को प्रेम के सूत्र में बांधता तथा उनसे अग्रसर होता है.


संत पापा ने कहा कि हम भी येसु के जीवन को अपना सकते हैं. वास्तव में, पवित्र आत्मा हमें उन सभी बातों की शिक्षा देता है जो हमारे लिए ईश्वर के समान प्रेम करने के लिए आवश्यक है. पवित्र आत्मा की प्रतिज्ञा द्वारा येसु दूसरे सहायक को बुलाते हैं. (16) अर्थात् दिलासा का आत्मा, समर्थक एवं मध्यस्थ का आत्मा जो जीवन की यात्रा में, अच्छाई एवं बुराई के बीच संघर्ष में, हमारी सहायता करता और हमें सुरक्षा प्रदान करता है. येसु उसे दूसरा सहायक कहते हैं क्योंकि प्रथम वे स्वयं हैं जिन्होंने हमारी मानवीय परिस्थिति को अपने ऊपर लिया तथा हमें पाप की गुलामी से मुक्त किया है.


आलोक कुमार


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