Tuesday 18 July 2023

मरने वाली महिला चुहड़ी की सपना संजय है



 

सपना संजय का अंतिम संस्कार किया गया

बेतिया.सोमवार की शाम 08ः00 बजे सड़क दुर्घटना में चुहड़ी पल्ली में स्थित लोयला  मिशन स्कूल में मिड डे मिल (एमडीएम) में खाना बनाने वाली सपना संजय की मौत थार गाड़ी की टक्कर में हो गई.बेतिया नगर निगम के छावनी सुप्रिया रोड़ में तेज रफ्तार से दौड़ती थार गाड़ी ने पांच राहगीरों को रौंद दिया. इस दर्दनाक हादसे में महिला समेत तीन राहगीरों की मौके पर ही मौत हो गयी. जबकि दो जख्मी हो गये हैं.

  आज मंगलवार को ईसाई धर्म रीति से सपना संजू का अंतिम संस्कार किया गया.अपने पीछे बिलखते परिवार को छोड़ गयी.मां की छाया में पलने वाले दोनों बच्चों का हाल बेहाल हो गया.

 बता दें कि सपना संजय की शादी वर्ष 2015 में संजय विजय बेंजामिन के साथ हुई थी.दोनों के दो पुत्र हैं. एक बच्चा तीसरी क्लास में पढ़ता है और दूसरा छोटा है. सपना संजय के पति देहरादून में काम करते हैं.खुद सपना संजय लोयला मिशन स्कूल में एमडीएम का खाना बनाती थी.

   यहां के चर्च स्व.फादर जोसेफ मार्टिन ने बनाया है. इस चर्च में सपना संजय के पार्थिव शरीर को रखकर सहायक पल्ली पुरोहित फादर मनोज तिर्की ने अंतिम बार मिस्सा किया.मौके पर फादर तिर्की ने अपने उपदेश में कहा कि सपना संजय के दो बच्चे हैं.उनकी जिम्मेवारी पिता संजय विजय बेंजामिन के मजबूत कंधे पर आ गया है. उन्होंने मां से बिछुड़ने वाले दोनों बच्चों की उज्जवल भविष्य की कामना की और ईश्वर से प्रार्थना की उनके बच्चे सदा स्वस्थ और सुखी रहे.वारदात की जांच करने माननीय विधायक उमाकांत सिंह भी  पहुंचे.

विक्की विक्टर लिखते हैं कि कल जब फेसबुक मैसेज मिला. तो कितनों ने घटनास्थल पर जाकर प्रदर्शन किया.आज जाकर प्रदर्शन किए हैं.जिन तीन लोगों की मौत हुई हैं. उनमें से एक हिंदू एक मुस्लिम और तीसरा क्रिश्चियन धर्मावलम्बी है.जो कि अब इस दुनिया में नहीं है. दो लोगों की पहचान रात में कर ली गयी. जबकि तीसरे के लोगों का पता सुबह में हुआ. क्योंकि वहां तीसरा धर्म और कोई नहीं क्रिश्चियन थी जोकि महज आधा किलोमीटर की दूरी पर है हमारे बिशप हाउस है. आधे किलोमीटर की दूरी पर क्रिश्चियन कॉलोनी है जो कि क्रिश्चियन क्वार्टर के नाम से जाना जाता है. 2 किलोमीटर की दूरी है.पादरी दुसैया के नाम से जाना जाता है. किसी ने भी यह हिम्मत ना कि जब न्यूज़ मिला एक बार जाकर देख ले ताकि उसी समय किसी अपने का पहचान हो सके. इसके आगे क्या बोलना है सभी को ही को पता हो गया होगा मैं क्या बोलना चाह रहा हूं.


आलोक कुमार

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