Friday, 21 December 2012

Apna Bihar

इक्कीसवीं सदी में भी जारी है बेगारी प्रथा
पटना(अपना बिहार, 21 दिसंबर 2012) – इक्कीसवी सदी में भी बिहार में बेगारी प्रथा जारी है। बेगारी प्रथा यानी मेहनत करने के बाद भी मजदूरी नहीं देने की प्रथा। गया से आयी महिलाओं ने जब अपनी व्यथा स्थानीय ए एन सिन्हा सामाजिक शोध एवं अध्ययन संस्थान के सभागार में सुनाया तब उपस्थित लोगों की आंखें फ़टी की फ़टी रह गयीं। मौका था समाज सेवी संगठन प्रगति ग्रामीण विकास समिति के बैनर तले आयोजित परिसंवाद का। परिसंवाद का विषय महिलाओं की भूमि और स्वास्थ्य अधिकार था। चमरबिगहा से आयी कुसुमी देवी ने बताया कि उनके परिवार में 8 सदस्य हैं। पति-पत्नी दोनों मिलकर स्थानीय भूमिवान के यहां बेगारी करते हैं। दिनभर काम के बदले उनके मालिक उन्हें 4-5 किलो अनाज दे देते हैं। जरुरत पड़ने पर रुपया पैसा भी देते हैं॥ जाब कार्ड नहीं बना है, इसलिये मनरेगा में काम नहीं मिलता है।
गया के विष्णुधारी यादव ने बताया कि उनके इलाके में भूदान की जमीनों पर दबंगों का वर्चस्व है। 10 साल पहले बोधगया प्रखंड के सहदेवथापा में 18, बारा में 85, औरा में 55, अमरबिगहा में 23, भैयाबिगहा में 22 और नामा में 80 लोगों को भूदान की 25 से 100 डिसमिल जमीन के पर्चे दिये गये थे। आजतक स्थानीय पुलिस और प्रशासन के अधिकार दाखिल खारिज करा सके हैं। जमीन पर स्थानीय दबंगों का कब्जा है। वही वाल्मिकीनगर में करीब 80 की संख्या में आवासहीन महादलित अपनी झोपड़ी बना चुके हैं। लेकिन एक स्थानीय दबंग के कारण यहां रहने वालों को जमीन का पर्चा नहीं दिया गया है। स्थानीय पुलिस भी दबंग के इशारे पर जमीन खाली करने के लिए गरीबों को धमका रही है।
भोजपुर के सहार प्रखंड से आये लोगों ने बताया कि खोपिरा पंचायत के बिसरौलिया गांव में 22 एकड़ भूदानी जमीन पर स्थानीय दबंगों ने कब्जा जमा रखा है। इन्हें रणवीर सेना के संस्थापक रहे ब्रह्मेश्वर मुखिया के बेटे और वर्तमान रणवीर सेना प्रमुख इन्दूभूषण सिंह का समर्थन हासिल है। कई बार जिले के आला अधिकारियों के यहां गुहार लगाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी है।
अररिया के नरपतगंज के बरहड़ा पंचायत से आये कुलवन्त पासवान ने बताया कि उन्हें 1 एकड़ 5 डिसमिल जमीन का पर्चा दिया गया था। लेकिन आजतक जमीन पर कब्जा नहीं दिलाया जा सका है। जबकि हर साल जमीन का रसीद काटा जा रहा है। परिसंवाद के दौरान जल को लेकर आंदोलन करने वाले रणजीव जी ने महिलाओं को जल अधिकार के लिये लड़ाई लड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि आज सबसे बड़ी समस्या स्वच्छ जल की है। भूगर्भ जल के अत्याधिक दोहन से भूगर्भ जल भी जहरीला होता जा रहा है। पानी में आर्सेनिक और फ़्लुओराइड की मात्रा बढने से शारीरिक अपंगता और मौत की घटनायें सामान्य हो गयी हैं। इन्होंने यह भी कहा कि जबतक सरकारी तंत्र द्वारा स्वच्छ जलापूर्ति नहीं कराया जायेगा तबतक सारी बातें बेमानी हैं।
परिसंवाद की अध्यक्षता करते प्रगति ग्रामीण विकास समिति के संयोजक प्रदीप प्रियदर्शी ने कहा कि ग्रामीण महिलाओं की स्थिति आज भी दयनीय है। भूमिहीनता सबसे बड़ी समस्या है तो स्वास्थ्य की समस्या भी कमतर नहीं है। गांवों के सरकारी अस्पतालों में इलाज की सुविधा नहीं होने के कारण लोगों को झोलाछाप डाक्टरों के सहारे रहना पड़ता है। भूदान की समस्या जस की तस पड़ी है।

No comments: