Tuesday 5 April 2016

बिहारी संस्कृति से कोसों दूर रहने वालों को ताजपोशी करके धर्माध्यक्ष बनाया जाता है

पटना। पश्चिमी चम्पारण में है बेतिया क्रिश्चियन क्वाटर्स। इस क्वाटर्स में रहते हैं हेनरी वाल्टर बेनेदिक्त राय। पटना में आयोजित अल्पसंख्यक ईसाई कल्याण संघ,पटना की वार्षिक बैठक में भाग लेने आये।बिन्दास होकर हेनरी डब्ल्यू बेनेदिक्त राय कहते हैं कि काफी परिश्रम करके ईसाई समुदाय शिक्षित और उन्नति कर पाये हैं। अब खुद का और कलीसिया की प्रगति चाहने लगे हैं। स्थानीय कलीसिया को मजबूत देखना चाहते हैं। इसके आलोक में धरती के सपूतों को नेतृत्व देने का समय आ गया है। इसको लेकर लोकधर्मियों में कुलबुलाहट है। उन्होंने कहा कि याजकों और अयाजकों के बीच में खाई है जिसे पाटने की जरूरत है। 

ईसाई समुदाय को पिछड़ी जाति का प्रमाण-पत्र दिलवाने में अहम किरदार अदा किये थे महरूम अंथोनी अब्राहम ओस्ता। क्रिश्चियन वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव थे। 1985 में बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग के माननीय सदस्य थे। इसके बाद फादर और सिस्टरों को ही आयोग के सदस्य मनोनीत किया जाता रहा। माँग के चलते सरकार ने जनसंख्या की दृष्टि से द्वितीय पायदान में रहने वाले ईसाई समुदाय को आयोग के उपाध्यक्ष पद दिया जाने लगा। संत माइकल उच्च विघालय के पूर्व प्राचार्य फादर पीटर और नारी गुंजन की सचिव सिस्टर सुधा वर्गीज को उपाध्यक्ष पद दिया गया। लोगों की माँग पर लोकधर्मी एम्ब्रोस पैट्रिक को उपाध्यक्ष बनाया गया। इसे हमेशा बरकरार रखने की जरूरत है। 

हेनरी वाल्टर बेनेदिक्त राय कहते हैं कि बिहारी संस्कृति से कोसों दूर रहने वालों को ताजपोशी करके धर्माध्यक्ष बनाया जाता है। धरती के पुत्रों को नजर अंदाज किया जाता है। पटना और बक्सर धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष बिहारी संस्कृति वाले नहीं हैं। हमलोगों ने फादर लौरेंस पास्कल,फादर सेराफिम जोन, फादर फूलजंस, फादर दीपक तारू आदि को बेतिया धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष बनाने का आग्रह किया है। अभी तक दो लिस्ट अग्रसारित की गयी है। 

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।

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