Friday, 12 June 2015

सैप के जवानों को ‘शहीद’का दर्जा नहीं

अपाहिजों को तत्काल प्रभाव से अनुबंध रद्द करने की प्रक्रिया समाप्त हो


सरकार नौ सूत्री मांग को पूर्ण करने की पहल करें

पटना। बिहार में नक्सलियों से आमने-सामने होने से 261 सैप जवान मारे जा चुके हैं।सरकार के द्वारा प्रत्येक मृतकों के आश्रितों को बतौर मुआवजा 19 लाख रूपए दिए जाते हैं। इस दौरान 100 से अधिक सैप के जवान द्यायल हो गए। उनका तत्काल अनुबंध रद्द कर दिया जाता है। द्यायलों को राहत और मुआवजा के नाम पर ठेंगादिखा दिया जाता है।

सीएम नीतीश कुमान के कार्यकाल में 4 अप्रैल 2006 में 12 हजार सैप जवानों को बहाल किया गया। मानदेय के रूप में बतौर 10 हजार रू. दिए गए। इनके मानदेय में 4 साल के बाद 2 हजार रू. की वृद्धि 2010 में की गई। इसके 3 साल के बाद 3 हजार रू.की वृद्धि 2013 में की गई। संविदा के आधार पर 1 साल के लिए बहाल किया गया। इसके बाद 3 साल तक संविदा बढ़ाने पर हस्ताक्षर किए। 2014 से बिना संविदा पर हस्ताक्षर किए ही कार्यरत हैं। इस बीच मामूली आरोप लगाकर 5.5 हजार सैप जवानों को हटा दिया गया। अभी सिर्फ 6.5 हजार सैप कार्यशील हैं। इनको एसडीआरएफ,रेलवे मंत्रालय,उत्पाद विभाग और जेल में कार्य दिया जाता है। 

सैप जवानों को नक्सली क्षेत्र रोहतास,जमुई,बांका,गया,औरंगाबाद,भभुआ,मुंगेर आदि जिले में स्थापित किया जाता है। सैपर्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव ठाकुर प्रमोद कुमार का कहना हैं कि हमलोग फौजी हैं। 35 से 45 साल की उम्र में अवकाश ग्रहण कर जाते हैं। इसके बाद सैप में बहाल कर लिए जाते हैं।हमलोग नक्सली क्षेत्र में कार्य करते हैं। सबसे पहले सैप के ही जवानों को मौर्चा पर भेज दिया जाता है। इसके बाद ही अन्य बटालियन आगे बढ़ते हैं। नक्सलियों के निशाने चढ़कर 261 सैप के जवान मारे गए। मृत सैप के जवानों को शहीदद्योषित नहीं किया जाता है। बतौर 19 लाख रू.का मुआवजा दिया जाता है। यहाँ पर मृतकों के परिजनों को अनुकम्पा के आधार पर प्रतिनियुक्त नहीं किया जाता है।सबसे दुखद पक्ष यह है कि मुठभेड़ में मौत को गला लगाने वाले सैप का रिवार्ड पुलिस वाले उठा लेते हैं। सरकार इन्हीं को महिमामंडित भी करती है। श्री कुमार ने कहा कि द्यायल सैप जवानों को तत्काल संविदा रद्द कर दिया जाता है। इसके साथ ही मानदेय बंद कर दिया जाता है। किसी तरह की सहायता नहीं दी जाती है।

सैपर्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष धर्मदेव सिंह ने कहा कि हमलोग कारगिल चौक के बगल में महाधरना पर बैठे हैं। सैप के जवान 12 जून से बिहार सरकार के द्वारा निर्गत राईफल और गोली को अपने-अपने विभागों में जाकर जमा कर रहे हैं। 9 सूत्री मांग को लेकर हड़ताल जारी है। हमलोगों की मांग है कि हटाये गये सैप जवानों को पुनः नियुक्त किया जाए। मनमाने ढंग से दोषारोपन करके अनुबंध समाप्त करने की प्रक्रिया पर पूर्ण रूपेण रोक लगाई जाए। सैप के चुने हुए पदाधिकारियों को प्रोटेक्टडेड वर्क मैन द्योषित किया जाए। अनुबंध समाप्ति की प्रक्रिया में एसोसिएशन के पदाधिकारियों से विचार विमर्श किया जाए। मंहगाई के हिसाब से मानदेय में उचित बढ़ोतरी 32 हजार रू.कर दिया जाए। समान काम के लिए समान भत्ता दिया जाए। जीवन सुरक्षा  पॉलिसी लागू किया जाए। नौकरी की उम्र सीमा 60 साल किया जाए। आश्रितों को अनुकम्पा के आधार पर नौकरी दी जाए।

आलोक कुमार


No comments: