Sunday 24 February 2013

मध्यप्रदेश: मुख्यमंत्री का भूत ने एक दिन में 87 गौंड आदिवासियों को दिला गया जाति प्रमाण पत्र

मुख्यमंत्री का भूत ने एक दिन में 87 गौंड आदिवासियों को दिला गया जाति प्रमाण पत्र
मानवाधिकार दिवस के अवसर पर शुरू कार्य का असर सुपर से बहुत ऊपर

मानवाधिकार दिवस के असवर पर 10 दिसंबर 2012 को बैठक की गयी। निर्णय लिया गया कि तहसील स्तरीय वनाधिकार समिति के साथ संवाद मंगल भवन में जाकर 16 जनवरी को करे जिसे बाद में स्थगित कर दी गयी। इसके बाद भरपूर तैयारी करके अगले 8 फरवरी को समिति के साथ मंगल भवन में संवाद करने का प्रयास भी असफल हो गया। हिम्मत हारकर 9 फरवरी को एकता परिषद जन संगठन के द्वारा रैली निकाली गयी। धरना प्रदर्शन के दौरान घोषणा की गयी कि 13 फरवरी को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बैतुल पहुंचने वाले हैं। मुख्यमंत्री के आने तक यहां आये ग्रामीण मुखिया तहसील कार्यालय के सामने बैठेंगे ताकि मुख्यमंत्री को अपनी समस्याओं से अवगत करा सकें। बस क्या था मुख्यमंत्री का भूत अधिकारियों के ऊपर इस कदर सवार होे गया कि 11 फरवरी को भैंसदेही जनपद के 12 गांवों के 347 लोगों के दावे वन अधिकार अधिनियम कि तहत उपखण्ड स्तरीय समिति को जमा किया गया और प्राप्ति ली गई। दावाकर्ताओं में से 87 लोगों के दावे बिना जाति प्रमाण पत्र के जमा किये गये क्योंकि उनके पास जाति प्रमाण पत्र नहीं था। 12 फरवरी तक जाति प्रमाण पत्र बना कर दिया जायेगा और कथनानुसार 12 फरवरी को 87 दावाकर्ताओं को जाति प्रमाण पत्र वितरित कर दिया गया।
  जी हां, गौंड आदिवासियों को जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा था। इससे आदिवासी परेशान हो रहे थे। इसके आलोक में एकता परिषद,मध्यप्रदेश के द्वारा मानवाधिकार दिवस के अवसर पर 10 दिसम्बर 2012 को बैतुल जिले के भैंसदेही तहसील के तावड़ी नामक गांव में प्रखंड स्तरीय मुखियाओं की बैठक आयोजित की गयी। इस बैठक में आये 20 गांव के मुखियों ने अपने-अपने गांव की समस्याओं को रखे।
  इस अवसर पर तावड़ी गांव के मुखिया ने कहा कि उनके गांव में गौंड आदिवासियों को वनाधिकार के दावे पत्र में जाति प्रमाण पत्र के सम्मिलित नहीं करने के कारण दावे को निरस्त कर दिया जा रहा है। वहीं ग्राम गरूआ के रामचन्द्र कोरकु ने बताया कि पिछले 1 साल से जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने की कोशिश करने के दरम्यान उनके जेबी से 3000 रुपये खर्च हो चुके हैं परन्तु अभी तक उनको जाति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं हो सका है। उपस्थित अन्य गांव के मुखियों ने भी कहा कि प्रखंड में ऐसी स्थिति सभी गांवों के लोगों के साथ हो रहा है। जाति प्रमाण पत्र के अभाव में लोगों के दावे निरस्त किये जा रहे हैं। आदिवासियों को सरकारी योजनाओं का लाभ नही मिल पा रहा है। सीतापुर गांव के मुखिया ने बताया कि उनके गांव के आदिवासियों को दावा पत्र के अनुसार वनभूमि का अधिकार पत्र नहीं दिया गया है। सभी दावाकर्ताओं को केवल आधा एकड़ भूमि का अधिकार पत्र दिया गया है।
     16 जनवरी 2013 को संवाद करने का निश्चय - बैठक में यह निर्णय लिया गया कि तहसील स्तरीय वनाधिकार समिति के साथ संवाद किया जायेगा, जिसमें आस-पास के गांवों से अधिक से अधिक संख्या में लोग आयेंगे। परन्तु ऐसे लोग विशेष तौर पर आयेंगे जिनके पास अबतक जाति प्रमाण पत्र नहीं है। समयाभाव के चलते भरपूर तैयारी नहीं होने के कारण कार्यक्रम 8 फरवरी को आगे बढ़ा दिया गया। तयशुदा 8 फरवरी 2013 के कार्यक्रम के अनुसार आसपास के गांवों से आदिवासी समुदाय के लगभग 200 लोग तहसील कार्यालय में उपस्थित हो गए, परन्तु संबंधित अधिकारियों से कोई संवाद नहीं हो सका, क्योंकि कोई भी उपखण्ड स्तरीय अधिकारी/कर्मचारी या जनप्रतिनिधि संवाद स्थल पर पहुंचे ही नहीं। तब इसके अलगे दिन 9 फरवरी को सुबह से ही बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग तहसील पर हम अपना अधिकार मांगते, नहीं किसी से भीख मांगते पहुंचना प्रारंभ कर दिये और 11 बजे तक लगभग 1000 लोग तहसील पर जा पहुंचे। जन संगठन की ओर से रैली निकाली गई और यह ऐलान किया गया कि अगर सरकारी अधिकारियों के पास आदिवासियों की बात सुनने का वक्त नहीं है तो 13 फरवरी को बैतुल पहुंचने वाले मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश के आने तक यहां आये ग्रामीण मुखिया तहसील कार्यालय के सामने बैठेंगे ताकि मुख्यमंत्री को अपनी समस्याओं से अवगत करा सकें।
 इस ऐलान से मुख्यमंत्री का भूत अधिकारियों पर सवार हो गया- 9 फरवरी की शाम 6 बजे तक कोई भी सरकारी अधिकारी,कर्मचारी या जनप्रतिनिधि आदिवासियों की बात सुनने को तैयार नहीं हो रहे थे। परन्तु शाम के 9 बजे के बाद तहसीलदार संजय उपाध्याय, एस.डी.एम.के.एस.सेन ,नायाब तहसीलदार गौरी शंकर शर्मा, डी.एफ..पी.एस.चम्पावत, नगर परिषद अध्यक्ष अनिल सिंह ठाकुर,कांग्रेस के विधायक धरमु सिंह सिरसाम और भारतीय जनता पार्टी के राजा भइया संवाद स्थल पर पहुंचे। कलेक्टर बी.चन्द्रशेखर , बैतुल भी लगातार फोन से सम्पर्क करते रहे। रात के 10 बजे तक लोगों ने अपनी समस्यायें उपस्थित सरकारी अधिकारी और जनप्रतिनिधियों के समक्ष मंगल भवन में रखा। लोगों ने बताया कि जाति प्रमाण पत्र के अभाव में दावा प्रपत्र निरस्त किये जा रहे हैं। समस्या सुनने के बाद एस.डी.एम. और तहसीलदार ने कहा कि किनके पास अब तक जाति प्रमाण पत्र नहीं है
    12 फरवरी तक जाति प्रमाण पत्र बना कर दिया जायेगा- अधिकारी सुर बदलकर कहने लगे कि उन समस्त लोगों को 12 फरवरी तक जाति प्रमाण पत्र बना कर दिया जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि वन अधिकार अधिनियम के तहत जो लोग दावा करना चाहते हैं वे अपना दावा पत्र जमा कर दें। उनके आवेदनों में जाति प्रमाण पत्र बना कर लगा दिया जायेगा। 10 फरवरी को सभी उपस्थित लोगों के दावे पत्र भरे गये और सूची बनाई गई। 11 फरवरी को भैंसदेही जनपद के 12 गांवों के 347 लोगों के दावे वन अधिकार अधिनियम कि तहत उपखण्ड स्तरीय समिति को जमा किया गया और प्राप्ति ली गई। दावाकर्ताओं में से 87 लोगों के दावे बिना जाति प्रमाण पत्र के जमा किये गये क्योंकि उनके पास जाति प्रमाण पत्र नहीं था।

   12 फरवरी को 87 दावाकर्ताओं को जाति प्रमाण पत्र वितरित- 12 फरवरी को 87 दावाकर्ताओं को सरकार की ओर से उनके दावों के साथ जाति प्रमाण पत्र की छायाप्रति लगाई गई। संगठन के दबाव के बाद 9 फरवरी से इस प्रक्रिया में प्रशासन और जनप्रतिनिधियों का भरपूर सहयोग मिला। एस.डी.एम., भैंसदेही के द्वारा लोगों को वापस अपने गांव जाने के लिये 2 बस और 1 ट्रक दिया गया साथ ही एक समय का भोजन भी प्रषासन की ओर से उपलब्ध कराया गया। विधायक धरमुसिंह सिरसाम ने स्वयं लोगों के साथ रात बिताई और 2 समय का भोजन भी उपलब्ध करवाया। मीडिया के साथियों का भी पर्याप्त सहयोग मिला। हम अपना अधिकार मांगते, नहीं किसी से भीख मांगते।
    लोगों ने यह तय किया -     सभी 347 लोगों को वनभूमि का अधिकार मिलने तक प्रशासन से नियमित जानकारी लेनी है। किसी भी दावाकर्ता को नियमानुसार दावापत्र में लिखे गये भूमि के रकबे से कम भूमि नहीं लेना है। सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ आदिवासियों को मिले इसके लिये संगठन की जिला समन्वयक श्रीमती सन्तो बाई के नेतृत्व में निरन्तर प्रषासन से संवाद करना है तथा आवश्यकता पड़ने पर दबाव बनाना है।

प्रीति तिवार

मध्यप्रदेश


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