Wednesday 13 February 2013

गुमराह बने युवकों को नशा मुक्ति से निजात कौन दिलवाएंगा ?

गुमराह बने युवकों को नशा मुक्ति से निजात 
कौन दिलवाएंगा ?

आरंभ में विक्स को ब्रेड में लगाकर खाते और उसके व्हाईटनर को 
रूमाल में डालकर सांस खिंचते

एक हाथ से मुर्गा पकाते और दूसरे हाथ से मैक्सो बॉण्ड का मजा लूटते


  घर में अनबन होने से बच्चे रेलवे स्टेशन पर आकर पनाह लेते हैं। घर की चहारदीवारी से मुक्त ब़च्चे तब उन्मुख पक्षियों की तरह इधरउधर भटकने लगते हैं। बच्चों पर किसी का और किसी तरह का शिकंजा नहीं रहता है। इस लिए मुसाफिर भी हूं यारो, घर है ठिकाना , बस यूंहि चलते जाना, बस यूंहि चलते जाना।उसी राह पर चलकर बच्चे आज यहां कल वहां चले जाते और मिलते हैं। अगर कोई एकदम नया बच्चा आता और मिल जाता है तो उसे घर भेजने में आसानी है। जो कुछ दिनों से स्टेशनों पर रहकर हवा खा लेते हैं तो उनको परिजनों तक पहुंचाने में काफी परेशानी उठानी पड़ती है।
  स्टेशनों पर आने वालों में सिर्फ लड़के ही नहीं होते हैं वरण लड़कियां भी होती हैं।अब आप समझ सकते हैं कि क्या इन बालकों के साथ क्या व्यवहार किया जाता होगा। यहां पर हर बुराई से भर जाते हैं। बच्चे बचपन में ही सयाने हो जाते हैं। सामान्य सेक्स के साथ होमोसेक्स भी किया करते हैं। हस्तमैथुन तो साधारण बात है।
  नशा और पेट भरने के लिए कई तरह से पापड़ बेलते हैं। रेलवे बोगी में जाकर व्यवहार कर लेने वाले बोतलों को  संग्रह करके उन बोतलों में पानी भर कर बेंचते हैं। रद्दी कागज भी चुनते हैं। गाड़ी में झाड़ू लगाकर मुसाफिरों से पैसा बटौरते हैं। कई बच्चे तो पैसा कमाने की खातिर गैरकानूनी कार्य करने वालों के दलदल में फंस जाते हैं। इन मासूम बच्चों में सहज ढंग से नशा की लत लग जाती है। बड़े उपयोग करते हैं और अनुशरण बच्चे भी करते हैं। इसमें सिगरेट, बीड़ी, खैनी, भाग, गांजा, स्मैक, शराब, इनहिलर आदि शामिल है। देखा जाता है कि बच्चों के हाथ में रूमाल अवथा कोई कपड़ा रहता है किसे कुछ-कुछ समय के अन्तराल पर मुंह और नाक के पास लेकर सांस खिंचता है। उसमें व्हाईटनर लगा रहता है। कम्प्यूटर अथवा टाईपिंग के बाद गलतियों को सुधारने के लिए व्हाईटनर लगाकर गलतियों को छुपाया जाता है। व्हाईटनर में स्पिरिंट रहता है जिसे रूमाल अथवा कपड़ा में डालकर सांस खिंचने से नशा उत्पन्न कर देता है। नशा लाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसके पहले नशा लाने के लिए विक्स को ब्रेड में लगाकर खाते थे जिससे नशा सके। अभी दोनों का उपयोग करते हुए नवीनतम प्रयोग किया जा रहा है।
  अभी मैक्सो बॉण्ड का उपयोग किया जा रहा है। यह बाजार में उपलब्ध है। कीमत 27 रूपये है। किसी कागज वाली चीज को साटने के लिए उपयोग में लाया जाता है। यह नौजवान प्लास्टिक बैंग में मैक्सो बॉण्ड को डालकर मुंह और नाक से सांस खिंच रहा है। ऐसा करने से आनंद महसूस करता है। इसने बाजार से मुर्गा खरीदकर लाया है। एक हाथ से मुर्गा पका रहा है और दूसरे हाथ से मैक्सो बॉण्ड का मजा लूट रहा है। बाजार से 5 रूपया का भात भी खरीदा है। वाह! मुर्गा-भात खाओं और जान जौखिम में डालो कर रहा है। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से घातक है। महज क्षणिक आनंद लेने के चक्कर में जिंदगी को दांव पर लगा रहे हैं।
  इस तरह की बुराई सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के लोगों के लिए सिर दर्द पैदा कर देता है। सरकारी महकम्मा से अधिक गैर सरकारी संस्थाओं के द्वारा इन बच्चों को स्वीकार करके गला लगाया जाता है। नोट कमाने की राह खोलने के लिए इन बच्चों को पढा़ने और भोजन करवाने की व्यवस्था शुरू कर दी जाती है। विभिन्न तरह के कार्यक्रम निर्धारित किया जाता है। डाक्टरी सेवा उपलब्ध करायी जाती है ताकि इन बच्चों पड़ गयी बुरी लत को छुड़वाया जा सके।

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