महादलितों के टोले में जाकर सर्वे नहीं करने वालों की खैर नहीं
महादलितों के टोले में जाकर सर्वे नहीं करने वालों की खैर नहीं। उन लोगों को नापने का मन सरकार ने बना ली है। यह जरूरी भी हैं, कि जो नौकरशाह महादलितों की उम्मीद पर पानी फेर दिये हैं उनको सबक सीखायी जाए। ऐसा सख्त कदम उठाने से महादलितों के टोले में नौकरशाह जाने से नहीं कतराएंगे।
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रमई राम ने कहा है कि राज्य सरकार वासरहित महादलित परिवारों को न केवल जमीन का क्रय करके बल्कि कई अन्य स्त्रोतों से भी जमीन उपलब्ध करा रही है। उन जिलों की जांच करायी जायेगी जहां सरकार द्वारा राशि की व्यवस्था होने के बावजूद भूमिहीन महादलितों को उपलब्ध नहीं करायी गयी है। राज्य सरकार महादलितों को जमीन खरीदने के लिए निर्धारित 20 हजार रूपये की राशि में वृद्धि करने पर विचार करेगी।
इस समय महज 20 हजार रूपये में तीन डिसमिल जमीन उपलब्ध हो पाना संभव नहीं है। सरकार इस राशि में वृद्धि करने पर विचार करेगी। आगामी मई तक महादलितों को वासभूमि उपलब्ध कराने के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा। उन जिलों की जांच कराएंगे जहां महादलित परिवारों के लिए जमीन ही चिन्हित नहीं हो पायी है। जिनका नाम सर्वेक्षण सूची में छूट गया है,विज्ञापन निकाल कर उनका नाम जोड़ा जायेगा।
बिहार में आवासहीनों की संख्या को लेकर काफी मतभेद है। राज्य सरकार के द्वारा 2 लाख, 20 हजार,729 का आंकड़ा पेश करके आवासहीनों की संख्या बताने में तूली हुई है। वहीं जन संगठन एकता परिषद के द्वारा 5.84 लाख आवासहीन है। अगर इस आंकड़ा को मान लिया जाए तो 3 लाख, 63 हजार,271 आवासहीनों के बारे में सरकारी रिकॉड में नामोनिशान नहीं है। इस ओर सरकार की सोच भी नहीं है। सरकार का मानना है कि जो बच गये हैं उनको मई माह तक जमीन देकर लक्ष्य पूरा कर दिया जाएगा। बहरहाल, आवासीय भूमिहीनों का आंकड़ा कुकुरमुत्ते की तरह बढ़ने वाला है। जरूरत हैं कि सरकार और नौकरशाह संवेदनशील होकर आवासहीनों के माथे पर छत दे दें। एकता परिषद,बिहार के संचालन समिति के सदस्य वशिष्ठ कुमार सिंह ने कहा कि एकता परिषद की सरकार से मांग है कि महादलितों को सरकार 10 डिसमिल जमीन खरीद कर दें और उस पर इंदिरा आवास योजना से मकान बना दें। शौचालय,पेयजल और रोजगार के साधन उपलब्ध करा दें।
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