निर्दोष को फंसाकर माओवादी बनाने का प्रयास विफल
खार्की वर्दी का गरूर सामने आया
छापेमारी के दरम्यान माओवादी के बिग बॉस के घर से चिड़िया मारने वाला‘गन’बराबद
एक ही झटके में प्रगति ग्रामीण विकास समिति से बाहर कर दिये गये महादलित कृष्णा कुमार मांझी। इनको सेंट्रल रिर्जव पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) ने किसी के बहकावे में आकर उठाकर ले गये थे। घर से बाहर तक बेगुनाहगार साबित होने पर अधिकारियों ने बरी कर दिये।
राष्ट्र के मुख्यधारा से अलग-थलग और समाज के किनारे रह जाने वाले महादलित मुसहर समुदाय के सदस्य सामाजिक कार्यकर्ता कृष्ण कुमार मांझी (42 साल) को सीआरपीएफ ने पकड़ लिया। उनके ऊपर आरोप लगाया कि दिन में सामाजिक कार्यकर्ता और रात में माओवादियों के बिग बॉस बन जाते हो। इसके खिलाफ उसने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर कहा है कि इस तरह से सीआरपीएफ ने ग्रामीणों के बीच में कल्याण और विकास के मुद्दे पर कार्यशील शख्स को किसी कथित गुप्तचरों के इशारे में पड़कर माओवादियों के बिग बॉस बनाने का इरादातन प्रयास किया गया। उनके द्वारा घर में पुलिसिया तांडव कराया गया। तलाशी के दरम्यान चिड़िया मारने वाले रायफल को जब्त कर खुश हो गये। तीन दिनों तक गोपनीय ढंग से इधर-उधर घुमाने के बाद सीआरपीएफ हिम्मत नहीं जुटा पायी कि श्री मांझी को किसी फर्जी मुठभेड़ में मार नहीं गिराये। वे इस समय संपूर्ण प्रकरण को लेकर मानसिक तनाव की दौर से गुजर रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता गिड़गिड़ाते रहे कि हुजूर, मैं एक गरीब महादलित मुसहर समुदाय के सदस्य हूं। लाचारी के दलदल में रहने के बाद भी किसी तरह से आई0ए0 पास किये हैं। सरकारी लोकलुभावन नारा ‘आधी रोटी खाएंगे फिर भी स्कूल जाएंगे ’ की तर्ज पर चलकर किसी तरह से टीचर ट्रेनिंग की भी परीक्षा पास कर ली। टीचर ट्रेनिंग का प्रमाण-पत्र होने के बाद भी टीचर की नौकरी नहीं मिल सकी। कारण कि पैरवीपुत्र नहीं थे। खैर,इस समय गैर सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण विकास समिति में सेवारत हूं
। समिति के द्वारा जो राशि हासिल होती है। उसी से परिवार वालों का लालन-पालन होता है। परिवार में पत्नी कुन्ती देवी और चार बच्चे हैं। बच्चे अध्ययन करने जाते हैं।
हां, किसी के इशारे पर गया जिले के मोहनपुर प्रखंड के एरकी पंचायत के गजाधरपुर गांव में रहने वाले महादलित मुसहर परिवार के कृष्ण कुमार मांझी को सीआरपीएफ ने गिरफ्तार कर लिया। इनके अलावे गांव के शिक्षक राम रतन को भी पकड़ा गया। दोनों किसी काम से 19 दिसंबर 2012 को गया कोर्ट गये थे। जैसे ही दोनों गया कोर्ट से निकले ही थे कि सादे लिवास में तैनात सीआरपीएफ, गया की पुलिसकर्मी हाथ पकड़ लिये। पकड़ने के बाद सीधे रामपुर थाना के बगल में स्थित सीआरपीएफ कैम्प में ले गये। इसके बाद आईटीआई कैम्प,गया ले गये। यहां से बोधगया थाना लिया गया। इसके बाद बाराचट्टी स्थित सीआरपीएफ कैम्प लिया गया। फिर बाराचट्टी थाना लिया गया।
इधर सामाजिक कार्यकर्ता कृष्ण कुमार मांझी पर जुल्म ढाना षुरू कर दिया गया। गया कोर्ट में पकड़ने के बाद धुनाई कर दी गयी। बोधगया से बाराचट्टी ले जाते समय रास्ते में पिटाई की गयी। फिल्मी स्टाइल में हाथ और पैर से रौंधा गया। उसके द्वारा आग्रह किया गया कि आप लोग बोधगया और मोहनपुर थाने के थानाध्यक्ष से पूछ लिया जाए। अरे, तुम लोग थाने को पैसा देकर मिला लेते हो। उनसे क्यों तहकीकात करें? इसके लिए हम लोग ही काफी हैं। ऐसा प्रतीक हो रहा था कि सीआरपीएफ के जवानों के माथे पर बस एक ही भूत सवार हो गया था। किसी तरह से अपने गुप्तचरी के इशारे पर पकड़े गये वंदे को ‘माओवादियों’ के सरगना करार देना। इसके बाद सरकार के द्वारा वाहवाही लूटना। इस बीच कई थानों से जानकारी लेने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता कृष्ण कुमार मांझी को छोड़ दिया गया। वहीं राम रतन के द्वारा बताया गया कि कई साल पहले की घटना है। उस पर महिला प्रताड़ना का मामला दर्ज किया गया था। उसके द्वारा कबूल करने पर उक्त थाने के हवाले कर दिया गया। उसके बाद राम रतन को जेल भेज दिया गया है।
खाकी वर्दीधारियों के द्वारा किये गये जुल्म के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता कृष्ण कुमार मांझी ने 2 जनवरी 2013 को निबंधित डाक से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार,एससीएसटी कमिश्न,भारत सरकार, महादलित कमिश्न,मानवाधिकार आयोग आदि के पास इंसाफ के लिए गुहार लगाया है। अभी तक मुख्यमंत्री की ओर से किसी तरह की कार्यवाही नहीं की जा सकी हैं। वहीं प्रगति ग्रामीण विकास समिति ने दूध में पड़े मक्खी की तरह नौकरी से बाहर कर दिया है।
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