सर्वोच्च
न्यायालय से सबा
और फरहा को
राहत
दोनों
18 साल के होने
पर ही‘जुदा’ होने का
निर्णय ले सकेंगे
पटना।
प्रायः नेताओं के द्वारा
धर्मवाद, प्रांतवाद, भाषावाद, जातिवाद
आदि का मुद्दा
उठाकर राजनीतिक रोटी
सेंकने वालों को करारा
जवाब पुणे में
कानून की पढ़ाई
करने वाली ने
दी है। उसने
माननीय सर्वोच्च न्यायालय में
जनहित याचिका दायर
के बिहार की
जुड़वा बहनों के
इलाज करवाने के
बारे में ठोस
कदम उठाने का
आदेश पारित करने
का आग्रह किया
गया था।
इसके
आलोक में माननीय
न्यायालय ने बिहार
सरकार को आदेश
निर्गत किया था
कि दोनों जुड़वा
बहन सबा और
फरहा को सरकारी
खर्च पर नयी
दिल्ली में स्थित
‘एम्स’ में इलाज
कराया जाए। तब
बिहार सरकार ने
सारी व्यवस्था करने
की जिम्मेवारी पटना
जिले के असैनिक
शल्य एवं मुख्य
चिकित्सा पदाधिकारी को दी
थी। उन्होंने सारी
व्यवस्था कराकर दिल्ली जाने
वाले ही थे
कि दोनों बहनों
के मां-बाप
ने विरोध करना
शुरू कर दिया।
इसके कारण दोनों
दिल्ली नहीं जा
सके। लगे हाथ
सरकार से मांग
कर दिये कि
सरकार दोनों के
खर्च के लिए
राशि मुहैया कर
दें।
अभी-अभी माननीय
सर्वोच्च न्यायालय ने व्यवस्था
दी है कि
बिहार सरकार 5 हजार
रू. मासिक सबा
और फरहा के
परिजनों को दें।
इसके साथ दोनों
की जांच नियमित
हो और उसकी
रिपोर्ट ‘एम्स’ को दी
जाए। पटना शहर
के बेलीरोड में
स्थित बकरीहट्टा में
जुड़वा बहनों के
अब्बा ढांबा खोल
रखे हैं। इसी
से परिवार का
खर्च होता है।
एक छोटा कमरा
में मां-बाप,एक भाई
और पांच बहने
रहती हैं। काफी
कष्टकर जिदंगी व्यत्तित करते
हैं। दोनों जुड़वा
बहने बिग बॉस
के बॉस सलमान
खान के चाहने
वालों में से
एक हैं। जब
सलमान खान पटना
में आये थे
तो दोनों बहनों
के घर गये
थे।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के
आदेश आने पर सबा
और फरहा के
भाई तमन्ना और
उनके अम्मी और
अब्बा काफी खुश
हैं। अभी दोनों
17 साल की हैं।
18 साल की हो
जाएगी तो निर्णय
ले पायेगी कि
दोनों संग-संग
रहेंगी अथवा एक
-दूसरे से अलग
होगीं? यह दोनों
पर ही निर्भर
है। दोनों सिर
से जुड़ी हैं।
शरीर में एक
के पास अंग
है तो दूसरे
के पास नहीं
है। इसके कारण
दोनों को अलग
करना, काफी मुश्किल
और नामुमकिन है।
इतना तय है
कि एक को
बचाने में दूसरी
मौत निश्चित है।
तमाम
लोगों की दुआ
सबा और फरहा
के साथ है।
अल्ला,भगवान,येसु
आदि सर्वेश्रर से
दुआ है कि
दोनों को सही
सलामत रखे। विज्ञान
काफी तरक्की कर
ली है। इससे
नामुमकिन को मुमकिन
किया जा सकता
हैं। गत 17 सालों से एक
की इच्छा पूरी
करने के लिए
दूसरे को सहयोग
देना ही पड़ता
है।