250 घर,
600 जनसंख्या और 1 मैट्रिक
पास
यह हाल है
महादलित बहुल्य आनंदगढ़ में
मात्र सात किलोमीटर
की परिधि में
है,शिक्षा की
सारी सुविधाएं

अतिया ग्राम पंचायत
के जन प्रतिनिधियों
का योगदान आनंदगढ़
टोला के लोगों
को नहीं मिल
रहा है। गरीबी
रेखा के नीचे
जीवन बसर करने
वालों को पीला
कार्ड
(अंत्योदय ) और लाल
कार्ड बनाने में
मनमानी किया गया
है। मात्र 2 लोगों
को पीला कार्ड
और 248 लोगों को लाल
कार्ड बना दिया
गया है। प्रायः
बाहरी तौर से
दिखने वाले गरीब
महादलितों को पीला
कार्ड मुहैया करवाने
से महादलितों का
चेहरा गुस्सा से
लाल होते रहता
है। पीला और
लाल कार्डधारियों को
हर महीने जनवितरण
प्रणाली की दुकान
से राशन-किरासन
उपलब्ध नहीं कराया
जाता है। इसको
लेकर भी लोगों
में आक्रोश व्याप्त
है।
पैक्स के सहयोग
से प्रगति ग्रामीण
विकास समिति के
द्वारा बोधगया प्रखंड के
पांच पंचायतों में
कार्य किया जाता
है। इसमें ग्राम
पंचायत अतिया भी है।
यहां पर ग्राम
ईकाई बनायी गयी
है। इसके अध्यक्ष
जगेश्वर मांझी हैं। उन्होंने
आनंदगढ़ टोला की
समस्याओं का जिक्र
किये। अच्युतानंद आदर्श
गिरि की जमीन
पर रहते हैं।
कुछेक लोगों को
बासगीत पर्चा है। बहुतों
के पास बासगीत
पर्चा नहीं है।
बिहार सरकार के
द्वारा सर्वे करने के
बाद अच्युतानंद आदर्श
गिरि की जमीन
को बिहार सरकार
की जमीन घोषित
कर दी गयी
है। इसके कारण
इन्दिरा आवास योजना
से 8 महादलितों का
मकान बन पाया
है। शेष योजना
के इतंजार में
हैं। भीतरी खबर
है कि ग्राम
पंचायत की मुखिया
मुनिया देवी के
द्वारा योजना से राशि
दिलवाने के नाम
पर 500 रूपए डकार
लिया गया है।
जन संगठन एकता
परिषद के प्रयास
से केन्द्रीय सरकार
के द्वारा राशि
में बढ़ोतरी करके
75 हजार रूपए कर
देने पर दलाली
का भाव भी
बढ़ गया है।
राशि मिलने के
समय में 10 हजार
रूपए देना है।
इस तरह एक
महादलित को 10,500 रूपए देना
पड़ेगा। यहां के
कुछ लोगों को
पट्टा है परन्तु
कब्जा नहीं है।
कुछ को कब्जा
है परन्तु पट्टा
नहीं मिला है।
पेयजल की विकराल
समस्या है। सरकार
के द्वारा 3 चापाकल
गाढ़ा गया था
जो खुट्टा बन
गया है। एक
धार्मिक संस्था के द्वारा
4 चापाकल लगाया गया है
तो बेहतर स्थिति
में है। इसी
चापाकल के पानी
को महादलित पीते
हैं। 150 से 200 सौ फुट
पाइप गाढ़ने से
पानी मिल पाता
है। ऐसा नहीं
होने पर चापाकल
बेकार साबित हो
जाता है। मुखिया
जी की अकर्मण्यता
के कारण महादलितों
को सामाजिक सुरक्षा
पेंशन मिलने में
भेदभाव किया जाता
है।
एकता परिषद,बिहार के
संचालन समिति के सदस्य
अनिल पासवान ने
कहा कि यहां
के आवासीय भूमिहीनों
के साथ सरकार
और नौकरशाह मजाक
किया करते हैं।
जिधर महादलित रहते
हैं। उधर जमीन
और जमीन का
पट्टा नहीं दिया
जाता है। उनको
दबंगों के द्वारा
कब्जा की गयी
जमीन का पट्टा
दिया जाता है
ताकि दबंगों से
जमीन पर कब्जा
ही महादलित न
कर सके। वहीं
सरकार और नौकरशाह
भी दबंगों के
मुंह से जमीन
दिलवा सकने में
खुद को नाकामयाब
समझने लगते हैं।
Alok Kumar