Sunday 12 May 2013

इनको कौन देगा साथ?



शबा-फरहा के समर्थन में बढ़े हाथ

सोनम, प्रमोद,मनमतिया की बेटी और सुमन कुमारी को

इनको कौन देगा साथ?

पटना। राजधानी पटना में शबा-फरहा रहती हैं। दोनों के दो शरीर है और एक ही सिर है। दोनों परेशान हैं और परिवार के लोग हलकान हैं। इनकी स्थिति को देखकर एक कानून की छात्रा ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करके शबा-फरहा की जुड़वा सिर को अलग-अलग करने का आग्रह किया। जनहित याचिका के आलोक में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार सरकार को निर्देश दिया है कि अजूबा जुड़वा बहन को हर संभव सहयोग करें और इलाज की व्यवस्था करें। अभी दोनों नाबालिग है। इस लिए दोनों को अलग करने की प्रक्रिया शुरू       की जाएगी। तबतक राज्य सरकार शबा-फरहा के परिवार वालों को पांच हजार रूपए प्रति माह देगी। इस बीच एक हॉस्पीटल ने दोनों की इलाज की व्यवस्था उठाने की घोषणा कर दी है। जो स्वागत योग्य कदम है।

बाल्यावस्था से सोनम कुमारी बेहाल

राजधानी से कुछ ही दूरी पर पश्चिमी मैनपुरा ग्राम पंचायत है। इस पंचायत के मगध कॉलोनी में सोनम कुमारी रहती है। बाल्यावस्था से सोनम कुमारी बेहाल है। इसके गरीब माता-पिता से जितना हो सका। उन्होंने सोनम कुमारी की इलाज करवाने में कोई कसर नहीं छोड़े। अब दोनों हार गये हैं। 
 इस समय सोनम कुमारी के मुंह नहीं खुलता है। ऊपर और नीचे वाले दांतों का संगम हो गया है। दांतों की दोस्ती को अलग करने के लिए परिवार वालों ने एक नहीं दो बार प्रयास किये। दोनों ऑपरेशन सफल नहीं हो सका। कुछ दिन एक दांत टूटने के कारण उसी के द्वारा सोनम कुछ खा-पी रही थी। उसके बाद वह भी बंद हो गया। फिर वह आहार को पेस्ट की तरह करके खाने को मजबूर हैं। आहार को पेस्ट बनाती है और दांत में लगड़ती है। तो इस तरह करने से सोनम खाना खाती है। अधिक बार पेस्ट लगाने से दांत में पीड़ा भी होने लगता है।
इस से परेशान होकर सोनम कुमारी किसी दांत रोग विशेषज्ञ के पास गयी थी। कई चरणों में ऑपरेशन करने के लिए 3 लाख रूपए की मांग किये। इतनी राशि नहीं होने के कारण घर में आकर निराश बैठ गयी हैं। किसी उदारकर्ता की खोज कर रही है जो इस परिस्थिति से निकाल बाहर कर सके।

किडनी की बीमारी से प्रमोद कुमार बेहाल

पटना नगर निगम के वार्ड नम्बर एक में बुद्ध मांझी रहते हैं। यह पटना-दीघा रेलखंड के दीघा हॉल्ट में पड़ता है। बुद्ध मांझी पलम्बर का कार्य और उसकी पत्नी दुखिनी देवी रद्दी कागज आदि चुनती हैं। कूड़ों के ढेर से अपने परिवार की तकदीर और तस्वीर बदलने में दुखिनी देवी लगी हैं। दुखिनी ने अपने पुत्र प्रमोद कुमार को बचपन में इधर-उधर पढ़ाने के बाद उसका नाम शोषित समाधान केन्द्र में लिखा दी। यहां पर प्रमोद कुमार नौवीं कक्षा की पढ़ाई कर परीक्षा देकर दशहरा की छुट्टी में घर आया था।
दुखिनी देवी ने कहा दशहरा की छुट्टी में आने के कुछ दिनों के बाद प्रमोद कुमार के संपूर्ण शरीर में सूजन होने लगा। नवम्बर 2012 से चिकित्सकों से दिखाते-दिखाते थक गयी है। चिकित्सक किडनी की बीमारी कहते हैं। पीएमसीएच में दो बार डायलेसिज किया गया। कोई सुधार नहीं हुआ है। जरूरत पड़ने पर अपने लाल के लिए किडनी दान देने को तैयार है। दुर्भाग्य से प्रमोद कुमार के मां-बाप को यक्ष्मा बीमारी हो चुकी है। ऐसी परिस्थिति में किसी को किडनी दान करना पड़ेगा। इस महादलित मुसहर परिवार के पास रकम नहीं है। जिससे प्रमोद कुमार का इलाज महानगरों में जाकर करा सके। 
  महादलित मुसहर मनमतिया देवी की बेटी की आंख में रोग

पटना नगर निगम के वार्ड नम्बर एक में दीघा मुहसरी है। महादलित मुसहर समुदाय के लोग फटेहाल जिदंगी जीने को बाध्य हैं। सरकार के द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण नियोजन कार्यक्रम के तहत 62 खप्परैला घर बनाया गया है। जो इस समय जर्जर होकर गिर रहा है। इसी स्थिति में मुस्मात मनमतिया देवी रहती हैं। इसके पतिदेव को गोली मारकर  हत्या  कर दी गयी। गरीब मनमतिया देवी रद्दी कागज आदि चुनने जाती हैं। अपनी मां की राह पर यह लड़की अग्रसर है। बगल में स्कूल रहने के बावजूद भी स्कूल नहीं जाती हैं। कद से बड़ा बोरा लेकर रद्दी कागज आदि चुनने निकल जाती है। रद्दी कागज चुनती है बेचती है और तब जाकर घर में खाना बन पाता है। इस मासूम की आंख में रोग हो गयी है। अपनी दाहिनी आंख से देख नहीं पाती है। आंख की रोशनी गायब है। परिवार के पास पैसा नहीं है कि इसका इलाज करा सके।
         

सुमन की जिदंगी अंधकार के गर्क में समा गयी


जिस अबूझ बीमारी को लेकर सरकार परेशान हैं तो उसी तरह महादलित मुसहर परिवार के लोग भी हलकान है। राजधानी पटना से सटे उत्तरी मैनपुरा ग्राम पंचायत में स्थित एलसीटी घाट में मुसहरी में अर्जुन मांझी और रीता देवी रहती हैं। दोनों की पुत्री सुमन कुमारी को इंसेफलाइटिस नामक बीमारी हो गयी। इंसेफलाइटिस से ग्रसित सुमन कुमारी को किसी तरह से इलाज कराकर ठीक कर दिया गया। बीमारी से ठीक होने के बाद सुमन कुमारी की आंख की रोशनी गायब हो गयी है। उसकी दोनों आंख की रोशनी गायब रहने से देख नहीं पाती है। सुमन की मां-बाप काफी रकम खर्च किये परन्तु आंख की रोशनी वापस लौटाने में सफल नहीं हो सके। 

महादलित मुसहर परिवार के अर्जुन मांझी और रीता देवी रद्दी कागज आदि चुनते हैं। जो पैसा था वह खत्म हो चुका है। सुमन की फुआं तारामणि देवी भी कुछ रकम दी थी। सभी के रकम पाने के बाद भी सुमन की आंख की रोशनी नहीं सकी है। उसके दिमाग के नस सूख गया है। इसके कारण यह समस्या उत्पन्न हो गयी है। किसी बेहतर इलाज के लिए रकम की जरूरत पड़ती है। सो इस परिवार के पास नहीं है। इसके कारण सुमन की जिदंगी अंधकार के गर्क में समा गयी है।
                              स्वास्थ्य विभाग की अकर्मण्यता के शिकार
 मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने व्यवस्था कर रखी है कि सूबे में संचालित योजनाओं एवं कार्यक्रमों से आम से खास नागरिकों को लाभान्वित करायी जाए। नागरिकों को सुविधाएं पहुंचाने का दायित्व नौकरशाहों के जिम्मे कर रखा है। सरकार चाहती है कि अगर कोई नागरिक को किसी तरह की समस्या व दिक्कत हो तो आसपास के जनता दरबार में हरहाल में आवेदन पहुंचा दें। उनकी समस्याओं का समाधान करा दिया जाएगा। सरकार और नौकरशाहों से आग्रह है कि इन पीड़ितों की आवाज सुने और जल्द से जल्द समस्याओं का अंत कर दें।