Thursday 9 May 2013

अपने कार्य में नौबतपुर थाने के थानाध्यक्ष कमजोर क्यों पड़ जाते हैं ?


           अपने कार्य में नौबतपुर थाने के थानाध्यक्ष कमजोर क्यों पड़ जाते हैं \

नौबतपुर। आखिरकार अपने कार्य में नौबतपुर थाने के थानाध्यक्ष कमजोर क्यों पड़ जाते हैं\ यह सवाल आम है। आजकल नौबतपुर गांव में इसकी चर्चा जोरदार ढंग से की जा रही है। इस तरह की चर्चा होने की मजबूत पक्ष यह है कि आये दिन घटना हो रही है और नौबतपुर थाने की पुलिस अक्षम साबित हो रही है। जबकि पटना जिले के तेजतर्रार एसएसपी मनु महाराज चाहते हैं कि अपराध का ग्राफ नीचे की ओर चली जाए। परन्तु नौबतपुर थाने के बड़ा बाबू यानी थानाध्यक्ष खरे नहीं उतर पा रहे हैं।

 आरंभ में यह लिखा जाता था कि अपराधी चुस्त और पुलिस सुस्त। यहां पर यह बदल गया है कि चुस्त एसएसपी चुस्त और थानाध्यक्ष सुस्त पड़ गये हैं। इसके कारण यहां के अपराध का ग्राफ बढ़ गया है। कोई ऐसा दिन नहीं है। यहां अपराधी अपने मनसूबे में सफल नहीं हो पा रहे हैं। बहरहाल दबंगों की चांदी है। तभी खेत में लगी फसल को जबरन फसल काट घर ले जाने में सफल हो रहे हैं। दबंगों की करतूत के कारण घायल की मौत हो जाती है। लाल मोहन शर्मा ने योगेन्द्र सिंह के पुत्र गौतम पर अपनी पुत्री मीनू की दहेज की मांग पूर्ण नहीं करने पर हत्या करने देने का मामला दर्ज कराया है। इन्द्रदेव यादव के पुत्र पिंटू के ऊपर लालबहादुर ने आरोप लगाया है कि उनकी पुत्री से दुष्कर्म का प्रयास किया गया। अपहरण,हत्या,दुष्कर्म आदि वारदात की बाजार गरम है।
 28 अप्रैल की सुबह संध्या कुमारी (काल्पिक नाम)के साथ दुष्कर्म की गयी। यहां के थानाध्यक्ष पर आरोप है कि उन्होंने शिवकुमार ठाकुर के द्वारा लिखित आवेदन पत्र को स्वीकार करके बाद आरोपी के पक्ष कमजोर करने के मकसद से द्वितीय आवेदन पत्र लिखवाया गया ताकि मामले प्रेम-प्रसंग का साबित हो सके। हालांकि इस पत्र में भी बलात्कार, शादी का झांसा और धोखा देने का मामला दर्ज किया गया है। इसमें 3 बार शारीरिक संबंध बनाने को दर्शाया गया है। शिवकुमार ठाकुर के अनुसार प्रथम आवेदन पत्र को बदल दिया गया है। उसमें संध्या कुमारी के साथ जबरन बलात्कार करने के बारे में जिक्र किया गया है।  यह जांच का विषय बन सकता है। जांच के दौरान ही सच्ची जानकारी मिल सकती है। अभी भी आरोपित शख्स को हिरासत में नहीं ली सकी है। इसके अलावे 2 अज्ञात शव बरामद किया गया है। उसके बारे में खुलासा नहीं किया गया और किसी को संदेह के आधार पर पकड़कर पूछा भी नहीं जा सका है।