Sunday, 12 May 2013

आनंदगढ़ टोला से 70 नौजवान पलायन, बंधुआ मजदूर बन गए

आनंदगढ़ टोला से 70 नौजवान पलायन, बंधुआ मजदूर बन गए

छतीसगढ़ में स्थित ईंट भट्टों से मुक्त कराने का किया आग्रह जिलाधिकारी से


गया। आनंदगढ़ टोला से 70 नौजवान पलायन किये हैं। वह सब के सब छतीसगढ़ के किसी ईंट भट्टे में बंधुआ मजदूर बन गये हैं। छतीसगढ़ में फंसे बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराने का आग्रह जिलाधिकारी महोदय से किया गया है।
  यह हाल गया जिले के बोधगया प्रखंड में अतिया ग्राम पंचायत के आनंदगढ़ टोला का है। यहां पर कोई 250 घरों में महादलित रहते हैं। 250 घरों में रहने वालों की जनसंख्या करीब 600 है। अतिया ग्राम पंचायत की मुखिया मुनिया देवी के द्वारा महादलितों पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है। इसके कारण महादलित विकास कार्यों से अछूता रह जा रहे हैं। आलम यह है कि खुलेआम समाज के किनारे रहने वाले महादलितों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। यहां के सिर्फ 2 महादलित भाग्यशाली थे कि उनको पीला कार्ड देकर अन्त्योदय अन्न योजना से जोड़ दिया गया। शेष 248 को लाल कार्ड थमा दिया गया। निर्माण करायी है। पीला कार्ड नहीं देने से बौखलाकर आंख लाल-पीला करके ललिता देवी ने तो सरकार से जांच करवाने की मांग तक कर दी है। जांच के दरम्यान दूध का दूध पानी का पानी करके गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों को चिन्हित करके कार्ड निर्गत कर दिया जाए। ऐसा करने से महादलितों के साथ होने वाले पक्षपात का अंत हो जाएगा। जायज लोगों को अन्त्योदय कार्ड बन जाएगा। यहां के जनवितरण प्रणाली की दुकानदारों के द्वारा हरेक माह राशन-किरासन नहीं दिया जाता है। साल में दो बार ही दहशहरा और होली के अवसर पर अनाज देते हैं।

बाबूयहां के लोगों ने कहा कि जन प्रतिनिधि लोभी हो गये हैं। ये लोग काम करने के बदले दाम मांगते हैं। गरीब महादलित मुसहर किधर से काम के बदले दाम देंगे? एक जॉब कार्ड देने के बदले 20 रूपए की मांग करने लगे। जो रोजगार सेवक के द्वारा जॉबकार्ड निर्माण किया गया, उसी का 20 रूपए लेने पर उतारू हो गये थे। जो मांगी गयी राशि दिये। उन 16 महादलितों को जॉबकार्ड दिया गया। जो राशि देने में असर्मथ अथवा विरोध किये वह 34 कार्ड दलालों के चंगुल में है। इस तरह की हरकत करने से परेशान 70 नौजवान नौकरी की तलाश में छतीसगढ़ चले गये हैं। प्रदेश से पलायन करके ईंट भट्टों में कार्यरत हैं। इस तरह का पलायन रोकने में मनरेगा नाकामयाब साबित हो रहा है।

 सूबे में संचालित महात्मा गांधी नरेगा अब भी पटरी पर नहीं है। इसके कारण थोक भाव से श्रमिक पलायन हो रहे हैं। ऐसे लोगों को काम मांगने पर रोजगार देने वाला मनरेगा रोकने में नाकामयाब साबित हो रहा है। सूबे में मनरेगा संचालित रहने के बावजूद भी पलायन लोग कर रहे हैं। यह बड़ा सवाल है। सवाल यह है कि एक ही टोला से 70 लोग पलायन कर रहे हैं। पलायन होकर अन्य प्रदेशों में बंधुआ मजदूर बन जा रहे हैं। प्रगति ग्रामीण विकास समिति के कार्यकर्ता बच्चू मांझी ने गया जिले के मनरेगा के मारे जाकर बंधुआ मजदूर बन जाने वाले लोगों को छतीसगढ़ में स्थित ईंट भट्टों से मुक्त कराने का आग्रह गया जिले के जिलाधिकारी से किया है।