Friday 24 May 2013

आवासीय भूमिहीनों को दी जाने वाली जमीन में कटौती बंद होः पी.व्ही.राजगोपाल

     



पटना। केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति बनाने पर सहमति  प्रदान कर दी है। वहीं आवासीय भूमि अधिकार कानून लाने वाली है। बेघर वालों को घर का अधिकार गयी। न्यायालय में लम्बित मुकदमों के निष्पादन करने के लिए त्वरित न्यायालय गठित करने की दिशा में अग्रसर है। पारा लींगल टीम बना रही है जो जमीन की समस्या को दूर करने में पहल करेगी। दिल्ली की जीत हमारी है और अब बिहार की बारी है। बिहार में बटाईदारों को न्याय दिलवाना है। बिहार सरकार के द्वारा समय-समय पर आवासीय भूमिहीनों को दी जाने वाली जमीन में कटौती बंद कर देना चाहिए और पूरे मन आवासीय भूमिहीनों को 10 डिसमिल जमीन और खेतिहर भूमिहीनों को 5 एकड़ जमीन देने का सिलसिला युद्धस्तर पर देने की शुरूआत कर देनी चाहिए। वनाधिकार 2012 को प्रभावित ढंग से लागू हो। इसके अलावे नेतृत्व करने वालों और कार्यकर्ताओं को आंतरिक स्वैच्छा से कार्य करने के लिए आह्वान किया। 

    केन्द्र सरकार के द्वारा गठित भूमि सुधारों पर विशेष कार्यदल के सदस्य एवं जानेमाने गांधीवादी कार्यकर्ता पी.व्ही.राजगोपाल ने तीन दिवसीय बिहार प्रवास के प्रथम दिन आज प्रगति भवन, प्रगति ग्रामीण विकास समिति, अर्पणा बैंक कॉलोनी, फैज-2 में एकता परिषद, बिहार के तत्वावधान में एक दिवसीय कार्यकर्ता उन्मुखीकरण शिविर का उद्घाटन के बाद में आगे कहा कि जन सत्याग्रह 2012 के बाद से विभिन्न राज्यों का दौरा कर रहे है। अभी-अभी मध्यप्रदेश और झारखंड का दौरा खत्म बिहार आये हैं।

 उन्होंने आगे कहा कि जन संगठन एकता परिषद और मित्र संगठनों ने मिलकर वर्ष 2006 से 2012 तक दिल्ली पर चढ़ाई करने मांग मंगवाने में सफल हो गये हैं। वर्ष 2006 में चेतावनी रैली, 2007 में जनादेश 2007, 2010 में चेतावनी रैली और 2012 में जन सत्याग्रह 2012 जनादोलन किया गया है। लगभग दिल्ली पर चढ़ाई करने के बाद फतह मिल गयी है। केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति बनाने पर सहमति प्रदान कर दी है। वहीं आवासीय भूमि अधिकार कानून लाने वाली है। बेघर वालों को घर का अधिकार गयी। न्यायालय में लम्बित मुकदमों के निष्पादन करने के लिए त्वरित न्यायालय गठित करने की दिशा में अग्रसर है। पारा लींगल टीम बना रही है जो जमीन की समस्या को दूर करने में पहल करेगी।
 केन्द्रीय सरकार के केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भूमि सुधारों पर एडवाइजरी अग्रसारित कर चुके है। कुछ सरकारों के द्वारा पहल भी शुरू कर दी है। अब इस पर दबाव डालने और निगरानी करने की जिम्मेवारी जन संगठनों से जुड़े लोगों के कंघों पर गया है उनका कर्त्तव्य बन जाता है कि इस एडवाइजरी की जानकारी प्रांतीय सरकारों को देकर कार्य में गति प्रदान करें। वहीं ग्रामीण अंचल में जाकर आम लोगों को इसकी विस्तृत जानकारी प्रदान करें।

उन्होंने कहा कि जन सत्याग्रह 2012 सत्याग्रह पदयात्रा में 50 हजार की संख्या में वंचित समुदाय सड़क पर उतरे थे। उसके बाद केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति बनाने पर सहमत है। वहीं बेघर वालों को घर का अधिकार गयी। दिल्ली की चढ़ाई के बाद जो उपलब्धि मिल पायी है। उसे अब भुनाने का समय गया है। गांवघर में जन संगठन मजबूत हो तब जाकर प्रांतीय सरकार से आम लोगों का विकास कराया जा सकता है।
  उन्होंने कहा कि जीने के संसाधन जल,जंगल और जमीन पर जनता का अधिकार हो। जो कम्प्यूटर चलाते  हैं, उनको सरकार कम्प्यूटर दें, जो ड्राईवरी करते हैं, उनको गाड़ी दें। जो खेत में काम करते हैं उनको सरकार जमीन दें। ऐसा करने से विवाद उत्पन्न नहीं होगा। सभी लोग खुश होंगे। पर हमारे देश में ऐसा नहीं हो रहा है जो अमेरिका,कनाडा आदि जगहों में रहते हैं। उनके पास पर्याप्त जमीन और मकान है। जिनके पास कुछ भी नहीं जमीन और घर नहीं हैं ऐसा लोग नहर,सड़क,पईन आदि के किनारे रहने को मजबूर हैं। ऐसे लोगों को विकास के नाम पर कब विस्थापित कर दिया जाएगा। समझ से परे की बात है। एकता परिशद का स्पष्ट मानना है कि सरकार के द्वारा छोटे-छोटे टुकड़ों में विकास करके वाहवाही लूटती है। वह बंद करें और भगवान के द्वारा प्रदत जीवन जीने के संसाधन जल,जंगल और जमीन को जनता का अधिकार दे दें। इसी के बल पर अपना विकास और कल्याण कर लेंगे। सरकार से राजगद्दी की मांग नहीं करते हैं उनको रहने के लिए 10 डिसमिल और खेती करने के लिए 5 एकड़ जमीन की ही जरूरत है।

  इस अवसर पर एकता परिषद के प्रदीप प्रियदर्शी, शत्रुध्न कुमार,बी.के.सिंह, मंजू डुंगडुंग, विजय गौरेया, सिंधु सिन्हा आदि उपस्थित थे। इसमें गया, जहानाबाद, नालंदा, सहरसा, मधेपुरा, अररिया, कटिहार, दरभंगा, बांका, जमुई, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चम्पारण, पश्चिम चम्पारण, पटना, भोजपुर, अरवल, मुंगेर, बक्सर आदि जिलों के सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल हुए।