Tuesday 7 May 2013

जनता दरबार में समस्याओं का अम्बार



लागन बा जनता दरबार में मेला
मुखिया जी लीं समस्या रखे
जनता दरबार में समस्याओं का अम्बार
गया। जी हां, सुशासन बाबू की सरकार ने नागरिकों को जनता दरबार का तोहफा दे रखा है। बस समस्या है तो जनता दरबार में फरियादी के रूप में जाकर फरियाद परोस दें। लागन बा जनता दरबार में मेला, मुखिया जी लीं समस्या रखें। जनता दरबार में समस्याओं का अम्बार है। इस लिए यह गारंटी नहीं कि आपकी समस्याओं का समाधान हो ही जाए।
 जिस प्रकार अपने उपभोक्ताओं को बैंक नेएटीएमकी सुविधा उपलब्ध करा दी है ताकि सहुलियत के अनुसार उपभोक्ता कैश भूना सके। ठीक उसी तर्ज पर सरकार ने जनता की सुविधा के लिए जनता दरबार खोल रखा है। यह सुविधा थानेदार से लेकर आयुक्त स्तर तक कर दिया गया है। अपनी सुविधा मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री , सांसद, विधायक, जिला अध्यक्ष, पार्षद, मुखिया, सरपंच, सदस्य आदि गणप्रतिनिधि देते ही हैं। उसके अलावे नौकरशाहों को भी जोड़ रखा गया है। मसलन सोमवार को मुख्यमंत्री, मंगलपुर को उप मुख्यमंत्री, मंगल को अंचलाधिकारी और प्रखंड विकास पदाधिकारी, बुधवार को अनुमंडल पदाधिकारी, उप समाहर्ता भूमि सुधार (डीसीएलआर) और थाने के थानाध्यक्ष, वृहस्पतिवार को जिलाधिकारी और वरीय आरक्षी अधीक्षक, षुकवार को प्रमंडलीय आयुक्त और षनिवार को बाल विकास परियोजना पदाधिकारी जनता दरबार में कुर्सी पकड़कर जमे रहते हैं।
 नागरिकों से अमूल्य वोट लेने की आंकाक्षी गली-गली में घूमते हैं। वोट लेकर कुर्सी से चिपकने वाले जनता दरबार में राजा बनकर बैठ जाते हैं। कल के राजा और आज के रंक बने आम नागरिक कल के रंक और आज के राजा के पास जाकर गिड़गिड़ाता है। अननी समस्याओं को प्रजातंत्र के राजा के सामने परोसता है। महात्मा गांधी नरेगा में रोजगार की गारंटी दी गयी है। मगर जनता दरबार में आये फरियादियों को किसी तरह की कोई गारंटी नहीं दी जाती है। आपकी समस्याओं का समधान कर दिया जाएगा।
  खैर, सुशासन सरकार के राज में ऊपर से नीचे तक जनता दरबार लगायी जाती है।  खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनता दरबार लगाने के पीछे नहीं हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी सोमवार के दिन जनता दरबार लगाते हैं। इनका दरबार मुद्दों के अनुसार सजता है। इस अवसर पर मंत्री से लेकर संतरी तक सजग और सचेष्ट रहते हैं। गांवघर से समस्याओं की गठरी लेकर शहर में आने वाले फरियादी हलकान परेशान रहते हैं। सुबह में ही कतारबद्ध हो जाते हैं ताकि निर्धारित समय में पहुंचकर मुख्यमंत्री से रू--रू होकर समस्याओं को सामने रख सके। मगर जनता दरबार में मुख्यमंत्री आवेदन लेकर नौकरशाहों को थमाकर आगे बढ़ते चले जाते हैं। अगर कुर्सी पर बैठे हैं तो आवेदन लेकर आवेदक को आगे सरका देते हैं। एक-दो आवेदन को मुख्यमंत्री मीडिया के सामने ले जाते हैं, उस पर त्वरित कार्रवाई करने का आदेश देते हैं। उसके बाद सभी आवेदनों को फोर केजी के नौकरशाहों के सुपुर्द कर देते हैं। अब उनकी मनमर्जी चलने लगती है। सभी आवेदनों को कम्प्यूटर में लॉड करके जिलावार संबंधित नौकरशाहों के पास भेज दिया जाता है। अब उनकी मर्जी चलती है। आवेदन पर ध्यान दे अथवा आवेदक को परेशान करें।
जनता दरबार में आने वाले लोग परेशान रहते हैं। एक बार नहीं कई बार जनता दरबार में आकर फरियाद करते हैं। काम बनता ही नहीं है। सोमवार को मुख्यमंत्री के पीछे मंगलवार को उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी जी की जनता दरबार लगायी जाती है। उप मुख्यमंत्री श्री मोदी के जनता दरबार में जौर्ज केरोबिन नामक जेपी सेनानी ने आवेदन दिया था। इस आवेदन में मीसा और डीआईआर की तरह सीसीए में जेल गये आंदोलनकारियों को भी पेंशन देने की मांग की गयी थी। उन्होंने कई बार उप मुख्यमंत्री की जनता दरबार में फरियाद दर्ज करा लिये हैं। मगर कार्रवाई नगण्य है।
सर्वश्री जौर्ज केरोबिन, राजेश पासवान, ओमप्रकाश, नन्द कुमार, सूर्य कुमार आदि ने जेपी सेनानी सलाहकार पर्षद के नवनियुक्त अध्यक्ष मिथिलेश कुमार से आग्रह किये हैं कि  जो लोग सीसीए के तहत जेल गये हैं। उनको भी जेपी सेनानी पेंशन दी जाए। अभी तक सिर्फ मीसा और डीआईआर को ही सरकार जेपी सेनानी पेंशन से लाभान्वित करा रही है। इस तरह मीसा और डीआईआर वालों को सरकार दुलार रहीं हैं और सीसीआर वालों को  सरकार दुत्कार रही हैं।
Alok Kumar