सरकार के द्वारा 22 खेतिहर मजदूरों को खेती करने के लिए 1 एकड़ जमीन
दबंगों के द्वारा हुक्मनामा के धौंस जमाकर 4 महादलितों को पेंच में फंसाया
लालू-राबड़ी सरकार
के
शासनकाल
में
-
बांका
जिले के चांदन
प्रखंड के धनुवसार
पंचायत के ढकना
गांव में रहने
वाले 22 भूमिहीनों को 22 एकड़
जमीन दी गयी।
लालू-राबड़ी सरकार
के शासनकाल में
1988-89 में 1 - 1 एकड़ जमीन
दी गयी। खाता
संख्या - 37, खेसरा- 339,341 एवं 342 है। भू-
बन्दोबस्ती वाद संख्या
07/27/1988-89 द्वारा भूमि आवंटित
किया गया। आवंटित
भूमि पर 18 व्यक्ति
का अपनी बन्दोबस्ती
से प्राप्त भूमि
पर शांतिपूर्वक दखलकार
हैं। खेती योग्य
जमीन मिलने से
महादलितों की जिदंगी
में बहार आ
गयी। लोग खुशी
से खेत में
फसल उगाते और
फसल काटकर हर्ष
के साथ जीवन
व्यापन करने लगे।
इसी बीच साल
2000 में आफत आ
गयी।
कुल 4 लोगों को
दबंगों
के
द्वारा
बेदखल
करने
पर
कार्रवाई
-
दीपलाल
यादव पिता भूगेश्वर
यादव/ महतो सां0
ढकना , अंचल चान्दन
द्वारा बेदखल करने के
आरोप है। इनके
द्वारा स्व. सुकर
रविदास के पुत्र
गनौरी रविदास और
पेरू रविदास को
और स्व. झालू
रविदास के पुत्र
सुकर रविदास और
विदेशी रविदास को सरकार
के द्वारा बन्दोबस्ती
जमीन से बेदखल
की जा रही
है। दीपलाल यादव
पे0 भूगेश्वर यादव
पे0 गिरधारी यादव
सां0 ढकना,अंचल
चान्दन के द्वारा
उक्त भूमि पर
से बेदखल करने
एवं विवाद करने
का आरोप है।
दूसरी ओर आरोपित
दीपलाल यादव का
कहना है कि
उन्हें हुक्मनामा के आधार
पर प्राप्त हुआ
है जिसकी जमाबंदी
33/65 है। मगर इनके
द्वारा कोई कागजात
प्रस्तुत नहीं किया
गया। अंचल अधिकारी
, चान्दन द्वारा मौजा, धनुवसार
के जमाबंदी नं0 33/65 को रद्द
करने की अनुशंसा
की गयी। 23.1.13 को
भूमि सुधार उप
समाहर्ता, बांका ने माना
कि अंचल अधिकारी
चान्दन की अनुशंसा
सही प्रतीत होता
है। इसके बाद
अग्रेतर कार्रवाई हेतु अपर
समाहर्ता बांका को भेजा
गया। वाद संख्या
18/09/10 है।
हाथ से
जमीन
जाने
से
बौखलाहट-
हाथ
से जमीन जाते
देख दबंग दीपलाल
यादव के परिवारों
के बीच बौखलाहट
बढ़ गयी है।
इन दबंगों के
द्वारा गनौरी रविदास की
पत्नी रमिया देवी
को एक बार
नहीं दो बार
पिटायी कर दी।
जब गनौरी रविदास
घर में नहीं
रहते हैं तो
घात लगाकर बैठे
दबंगों के द्वारा
वार किया जाता
है। इससे गरीब
महादलितों में आक्रोश
व्याप्त है। उस
समय अजब लगता
है जब महादलितों
की सुरक्षा के
लिए बनाये गये
अनुसूचित जन जाति,
अनुसूचित जाति और
अल्पसंख्यक थाना में
मामला दर्ज नहीं
होता है। यही
हाल गनौरी रविदास
के साथ भी
हुआ। अब गरीब
गनौरी रविदास का
मामला सरकारी बन
गया है। अब
देखना है कि
किस तरह से
सरकार महादलितों की
जानमाल की रक्षा
कर पाने में
सफल हो पा
रही है।
आलोक
कुमार