मजदूरी करके रामकेश्वर बिंद ने पुत्र अरूण कुमार को उच्च न्यायालय,पटना के अधिवक्ता बनाने में
कामयाब
पटना-दीघा
रेलखंड के दोनों तरफ रहने वालों को विस्थापित करने के पहले पुनर्वास करने की मांग
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पूर्व मध्य रेवले के पटना-दीघा रेलखंड के दोनों किनारे सैकड़ों की संख्या में झोपड़पट्टी बस गयी है। न्यू पाटलिपुत्र कॉलोनी के पीछे इमली पेड़ के नीचे 40 साल अत्यंत पिछड़ी जाति के रामकेश्वर बिंद रहते हैं। रामकेश्वर बिंद और उनकी पत्नी रामकेश्वरी देवी ने आम झोपड़ी को खास झोपड़ी बनाने में सफल हो गये हैं। दोनों दम्पतियों ने जोरदार मेहनत करके अपने झोपड़ी के दो लाल को सही मार्ग पर अग्रसर करने में अहम किरदार अदा किये। प्रायः आम नागरिकों और खासकर खाकी वर्दीधारियों की मानसिकता बन जाती है कि झोपड़ी से अपराधी निकलते हैं। मगर, दोनों दम्पतियों ने उनकी सोच को बदलने में कामयाब हो सके। एक लाल को माननीय उच्च न्यायालय,पटना के अधिवक्ता और दूसरे को सामाजिक कार्यकर्ता बनाने में सफल हो गये।
विपरित परिस्थिति में रामकेश्वर बिंद और रामकेश्वरी देवी ने आधी रोटी खाएंगे, फिर भी स्कूल जाएंगे नारा को विकसित करके अपने लाडलों को स्कूल भेजा। अग्रज का नाम अरूण कुमार और अनुज का नाम विजय कुमार अकेला है। अपने अभिभावकों की कड़ी मेहनत को सार्थक परिणाम देने में अरूण कुमार सफल हो गए। अभी उच्च न्यायालय, पटना के अधिवक्ता हैं। विजय कुमार अकेला किसी गैर सरकारी संस्था के दामन पकड़कर सामाजिक कार्य कर रहे हैं।
राज्य सरकार के सर्वेयरों ने अपने सर्वे में रामकेश्वर बिंद को बीपीएल श्रेणी में शामिल किया हैं। इनको अंत्योदय में शामिल नहीं हैं, इन्हें लाल कार्ड निर्गत किया गया है। इस समय अरूण कुमार और विजय कुमार अकेला अभिभावकों के साथ नहीं रहते हैं। अरूण कुमार को 2 और विजय कुमार अकेला को 3 बच्चे हैं।
आज 75 साल के होने के बाद भी रामकेश्वर बिंद मजदूरी किया करते हैं। गत दिनों पश्चिम मैनपुरा ग्राम पंचायत के पंचायत भवन, भगेरा आश्रम के सामने कार्य कर रहे थे। आश्रम का गंदा पानी को नाला में निकास करने के लिए प्रयास कर रहे थे। कड़क धूप में छेनी और हथौड़ा चला रहे थे। पक्की सड़क को काटकर नाला में मिलाने का कठोर प्रयास कर रहे थे। मैनपुरा ग्राम पंचायत के मुखिया निलेश प्रसाद ने मजदूरी के रूप में 500 रूपए दिये।
एक सवाल के जवाब में रामकेश्वर बिंद कहते हैं कि पटना-दीघा रेलखंड को हटाकर फोर लेन रोड बनने वाला है। हम लोग विस्थापित हो जाएंगे। कोई चार साल पहले सरकार की ओर कोई शख्स आकर आवासीय भूमिहीनों को आवासीय भूमि देने के लिए सर्वे किये थे। इसके बाद कार्य परिणाम ज्ञात नहीं है। इस रेलखंड के दोनों तरफ रहने वालों को विस्थापित करने के पहले पुनर्वास करने की मांग सरकार से की गयी है।
Alok Kumar