Sunday, 23 June 2013

विलम्ब से 100 और अविलम्ब 200 सौ रूपए दें

रोगियों से घूस लेना दण्डनीय अपराध है


संदेश। नक्सल प्रभावित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और रेफरल अस्पताल,संदेश में कार्यरत राज्यकर्मियों को नक्सली और ही समाजसेवी अन्ना का किसी तरह का खौफ है। राज्यकर्मी कार्य करते हैं और काम का दाम बटोरते हैं। मगर सुशासन सरकार का नारा दीवार पर लिख देते हैं। रोगियों से घूस लेना दण्डनीय अपराध है। फिर भी हरेक रोगी से 100 से अधिक रूपए बटोरते हैं। अगर हैंड टू हैंड चेक चाहिए तो उसके लिए 200 सौ रूपए चढ़ावा चढ़ाना होगा। ऐसा नहीं करते हैं तो तीन-चार माह के बाद चेक मिलेगा।

 जी हां, इसी तरह का नजारा राजधानी पटना में स्थित कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल में भी है। यहां पर हॉस्टिपल के प्रवेश द्वार पर लिख दिया गया है। यहां के दरबान भी घूस लेने से परहेज नहीं करते हैं। मरीज के साथियों को असमय पर मरीजों को मिलने के लिए हॉस्पिटल में भेज देते हैं। इसके अलावे यहां की दीवार पर लिख दिया गया है। पॉकेट मारो से सावधान। हॉस्पिटल के रोकड़पाल के द्वारा जहां मरीजों के साथी से बिल भुगतान लिया जाता है। मोटी -मोटी अक्षर से लिखा गया है। यह एक वैधानिक चेतावनी है। दरअसल में हॉस्पिटल के प्रबंधन के द्वारा पॉकेट मारो को हिदायत दी गयी है, कि सावधान से मारो पॉकेट। इससे पॉकेट मारो को फायदा ही फायदा है।

 ठीक इसी तरह भोजपुर जिले के संदेश प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की दीवारों पर अस्पताल प्रबंधन के द्वारा लिखवा दिया गया है कि रोगियों से घूस लेना दण्डनीय अपराध है। इस तरह की वैधानिक आदेश के बावजूद भी धड़ल्ले से सेवा के बदले मेवा खाने के लिए रकम वसूली की जा रही है। परन्तु हकीकत कुछ और ही है। यह सब हाथी के खाने वाले और दिखाने वाले दांत की तरह है। बस सुशासन बाबू की छवि उज्जवल दिखे। अंदर में काला संसार चल रहा है। यह केवल प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, संदेश की ही बात नहीं है। प्रायः सूबे के प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में संचालित है। जननी सुरक्षा योजना के तहत 14 सौ रूपए चेक देने के नाम पर रकम बटोरी जाती है।

 गोदी में बच्चे को लेने वाली मां ने कहा कि जननी सुरक्षा योजना के तहत 14 सौ रूपए के चेक लेने के लिए बड़ा बाबू को 100 रू0 दिया गया। तब जाकर बड़ा बाबू चेक दिये है। यह चेक पंजाब नेशनल बैंक से भजेगा। बताते चले कि सरकार के द्वारा संस्थागत प्रसव करवाने के एवज में 14 सौ रू0 दिया जाता है। सरकार ने जच्चा-बच्चा के सेहत को ठीक से रखने के लिए दिया जाता है।

 सरकार ने जननी सुरक्षा योजना को सरल बनाया है। अब तो जच्चा-बच्चा का नाम कटने के बाद तुरंत ही चेक देने का प्रावधान किया गया है। परन्तु ऐसा नहीं हो रहा है। चार-चार महीना चेक देने में समय लगाया जा रहा है।
 रेफरल अस्पताल, संदेश में बड़ा बाबू बैठते हैं। यहीं पर बैठकर घूस बटोरते हैं। अंजान व्यक्ति को देखते ही कर्मचारी और चिकित्सक सर्तक हो जाते हैं। खुद चिकित्सक अंजान व्यक्ति से पूछताछ करने लगते हैं। और जल्द से जल्द काम निपटारा करके चलता कर देते हैं।

 इसी तरह से इस संवाददाता के साथ भी हुआ। एक महिला ने बताया कि उसे चार माह से दौड़ाया जा रहा है। इस संवाददाता ने उक्त महिला को लेकर रेफरल अस्पताल के द्वितीय तल पर बैठे बड़ा बाबू के पास ले गये। बड़ा बाबू तुरंत ही फाइल पटलने लगे। कुछ देर बैठने को कहें। उसके बाद संवाददाता सीढ़ी से उतर ही रहा था कि कोई चिकित्सक आने का मकसद पूछ बैठें। बताया गया कि एक महिला को चार माह से चेक के लिए दौड़ाया जा रहा है। तो चिकित्सक ने कहा कि मेरे साथ चले। चिकित्सक ने बड़ा बाबू को हड़काया और जल्दी से चेक देने को कह दिया। आखिरकार उक्त महिला को चेक मिल गया।