गैर सरकारी
संस्था
प्रगति
ग्रामीण
विकास
समिति
के
कार्यकर्ताओं
के
प्रयास
से
जहानाबाद। आप
यह
पढ़कर
जरूर
आश्चर्य
में
पड़
जाएंगे
कि
स्थानीय
दलालों
ने
सरकारी
नौकरशाहों
से
मिलकर
60 जॉब
कार्ड
बनवाया।
इस
निर्मित
जॉब
कार्ड
को
लोगों
के
बीच
में
बांट
देना
चाहिए
ताकि
लोग
अपने
सुविधा
के
अनुसार
राष्ट्रीय
ग्रामीण
रोजगार
गारंटी
अधिनियम
मनरेगा
में
काम
कर
सके।
विडम्बना
है
कि
जो
व्यक्ति
जॉब
कार्ड
बनवाया
था।
वह
अपने
पास
जॉब
कार्ड
रख
लिया।
नौकरशाहों
से
मिलकर
मनरेगा
की
राशि
में
सेंधमारी
करने
लगा।
इतना
से
वह
संतुष्ट
नहीं
हुआ।
उसने
अन्य
जॉब
कार्डधारियों
को
100 रूपए
देकर
जॉब
कार्ड
लेकर
कार्डधारियों
के
नाम
से
मजदूरी
हड़पने
लगा।
काफी
मुश्किल
से
जॉब
कार्ड
हथियाने
वाले
के
चंगुल
से
60 जॉब
कार्ड
को
मुक्त
कराया
गया।
इस
कार्य
में
गैर
सरकारी
संस्था
प्रगति
ग्रामीण
विकास
समिति
के
कार्यकर्ता
नागेन्द्र
कुमार
और
जहानाबाद
सदर
प्रखंड
के
कार्यक्रम
पदाधिकारी
का
सार्थक
प्रयास
रंग
लाया।
जहानाबाद जिले
के
जहानाबाद
सदर
प्रखंड
के
सिकरिया
ग्राम
पंचायत
के
कड़ौना
गांव
में
स्थित
उत्क्रमिक
मध्य
विघालय
में
दो
दिवसीय
कैडर
प्रशिक्षण
आयोजित
किया
गया
था।
महात्मा
गांधी
राष्ट्रीय
ग्रामीण
रोजगार
गारंटी
अधिनियम
के
चर्चा
के
दौरान
शिविररार्थियों
ने
जानकारी
दी
कि
हम
लोग
कल्पा
गा्रम
पंचायत
के
गोनसा
गांव
के
निवासी
हैं।
हमारे
गांव
में
करीब
600 व्यक्तियों
का
जॉब
कार्ड
बना
हुआ
है।
इन
सभी
लोगों
का
बैंक
में
खाता
भी
खुला
हुआ
है।
लेकिन,
गांव
के
दलालों
के
द्वारा
निर्मित
जॉब
कार्ड
को
ले
लिया
गया
है।
उन
लोगों
ने
जॉब
कार्ड
लेते
हुए
कहा
कि
आप
लोग
को
एक
सौ
रूपए
दिया
जाएगा।
इसके
बाद
कुछ
खाताधारककों
को
बुलाकर
बैंक
के
खाते
से
राशि
भी
निकासी
कर
ली
गयी।
जॉब
कार्ड
के
एवज
में
उन
लोगों
को
एक-एक
सौ
रूपए
दिया
गया।
इन
लोगों
के
द्वारा
जब
जॉब
कार्ड
वापस
करने
की
मांग
की
जाती
है,
तो
उन्हें
एक
साल
के
बाद
जॉब
कार्ड
निर्गत
किया
जाता
है।
तबतक
अवैध
ढंग
से
राशि
निकाल
ली
जाती
है।
कल्पा पंचायत
के
गोनसा
गांव
के
श्रमिक
मात्र
100 रू0
में
जॉब
कार्ड
बेचने
को
मजबूर
हैं।
ऐसे
लोग
केवल
एक
साल
के
लिए
कार्ड
को
बेचते
हैं।
इन
लोगों
का
कहना
है
कि
मनरेगा
के
तहत
रोजगार
सेवक
से
काम
मांगने
पर
भी
काम
नहीं
मिल
पाता
है।
तो
भागते
भूत
के
लगौटे
भले
कहावत
की
तर्ज
पर
जॉब
कार्ड
के
एवज
में
100 रू0
ले
लेते
हैं।
इस तरह
का
गौरखधंधा
नौकरशाहों
से
मिलकर
जारी
है।
तब
न
मजे
से
ऐसे
लोग
कार्डधारियों
को
अपने
मायावी
जाल
में
फांसकर
महज
100 रू0
में
जॉब
कार्ड
खरीदने
में
सफल
हो
जा
रहे
हैं।
और
बाद
में
नौकरशाहों
के
इशारे
से
मनरेगा
में
मिलने
वाली
मजदूरी
को
गड़क
लेने
में
कामयाब
हो
रहे
हैं।
आजकल
मजदूरी
162 रू0
हो
गया
है।
प्राप्त
जानकारी
के
अनुसार
7 जॉब
कार्डधारियों
को
100 रू0
देकर
जॉब
कार्ड
खरीदा
गया
था।
प्राप्त जानकारी के
अनुसार
7 जॉब
कार्डधारियों
को
100 रू0
देकर
जॉब
कार्ड
खरीदा
गया
था।
हरेक
जॉब
कार्ड
से
मजदूरी
के
नाम
पर
7 सौ
रू0
निकाल
लिया
गया।
तबतक
इस
धंधा
का
भंडाफोर
हो
गया।
आनन-फानन
में
एक
दिन
पहले
ही
सभी
जॉब
कार्डधारियों
का
कार्ड
दलालों
ने
वापस
कर
दिये।
तब यह
सवाल
उठता
है
कि
कल्पा
पंचायत
के
गोनसा
गांव
के
जिन
60 जॉब
कार्डधारियों
के
जॉब
कार्ड को मुक्त
कराया
गया
है।
उनके
जॉब
कार्ड
से
मजदूरी
के
नाम
पर
कितनी
राशि
निकाली
गयी
है।
जो
जांच
का
विषय
बन
जाता
है।
सरकार
को
चाहिए
कि
गौरखधंधे
की
जांच
कराये
ताकि
असलियत
पता
चल
सके
और
मनरेगा
में
लूट
मचाने
वालों
का
कॉलर
पकड़ा
जा
सके।
एक
दिन
मनरेगा
के
श्रमिक
जहानाबाद
सदर
प्रखण्ड
के
कार्यक्रम
पदाधिकारी
के
कार्यालय
में
पहुंचे।
जिन
जॉब
कार्डधारियों
का
जॉब
कार्ड
ले
लिया
गया
था।
ऐसे
सभी
लोगों
ने
अपना-अपना पासबुक लेकर आये थे। कार्यक्रम पदाधिकारी को दिखाने लगे।
मजे की
बात
है
कि
अपने
प्रभाव
से
कार्डधारियों
को
धमका
दिये
थे
कि
इन
बातों
का
खुलासा
मत
करना।
इन
मनरेगा
श्रमिकों
की
पूरी
बात
सुनकर
कार्यक्रम
पदाधिकारी
सकते
में
आ
गये
और
उन
सभी
लोगों
का
पासबुक
देखकर
कहने
लगे
कि
आप
लोगों
को
भी
मात्रः
एक
सौ
रूपए
पर
कार्ड
बेचकर
गलती
कर
दिये
हैं।
मौके
पर
रोजगार
सेवक,
कार्यकक्रम
पदाधिकारी
आदि
मौजूद
थे।