Saturday, 15 June 2013

बीपीएल और एपीएल के फांस में महादलितों की छटपटाहट


बीपीएल और एपीएल के फांस में महादलितों की छटपटाहट



नालंदा जिले में हिलसा प्रखंड है। अलपा ग्राम पंचायत में सुलतानपुर गांव में जगजीवनपुर नामक टोला में 150 साल से महादलित रविदास जाति के लोग रहते हैं। यहां पर 60 घर है। छोटे-बड़ों को मिलाकर 400 की जनसंख्या है। गैर मजरूआ जमीन में रहते हैं। वासगीत पर्चा का इतंजार कर रहे हैं। अभी एक भी मैट्रिक उर्त्तीण नहीं हो सके हैं।
बीपीएल और एपीएल के फांस में महादलितों की छटपटाहट-
यहां के राजेन्द्र रविदास, बेचन रविदास और नगीना रविदास ही भाग्यशाली हैं। जिनकों सर्वेयरों ने अत्योदय लायक समझकर पीला कार्ड दे रखा है। इन तीन को छोड़कर शेष 57 परिवारों को लाल कार्ड निगत किया गया है। इसको लेकर महादलितों के बीच में छटपटाहट है। इस टोला में 40 लोगों का इंदिरा आवास योजना के तहत मकान बनाया गया। दलालों को 5 हजार दलाली देने के बाद भी किसी तरह से मकान पूर्ण करवाने में सफल हो गये हैं। कुछ घर की राशि और खुद ही मजदूरी भी किये हैं। श्यामसुन्दरी देवी कहती हैं कि 20 हजार रूपए मिले। 5 हजार रूपए रिश्वत दिये। अलपा  ग्राम पंचायत के पूर्व मुखिया साधुशरण सिंह ने योजना के तहत 5 मन चावल भी दिये।
सामाजिक सुरक्षा पर अधिक कार्य करने की जरूरत-
विनोद रविदास के पुत्र नवलेश कुमार ताड़ के पेड़ से गिरकर कमर तोड़वा बैठे हैं। घायल नवलेश कुमार की मां देवंती देवी कहती हैं कि उसने कई बार अलपा ग्राम पंचायत की वर्तमान मुखिया सुनीता शाही के आवेदन देकर निःषक्ता सामाजिक सुरक्षा पेंशन देने की मांग की थी। परन्तु मुखिया जी सहायक नहीं बन रही हैं। इसी तरह श्यामसुन्दरी देवी भी विकलांग हैं। उनको भी पेंशन से महरूम किया गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 30 परिवारों को स्मार्ट कार्ड निर्गत किया गया। केवल शांति देवी फायदा उठा सकी है। जनवरी माह में फतुहा में जाकर पत्थरी का ऑपरेशन करवाने में सफल हो सकी। अनुमंडल अस्पताल में जाकर टी.बी.बीमारी की दवा अगनू रविदास के पुत्र महेन्द्र रविदास और प्रदीप रविदास की पत्नी मालो देवी खाती हैं। केवल दो चापाकल है। इसके कारण पेयजल की समस्या उत्पन्न हो जाती है। रविदास समुदाय की महिलाओं के द्वारा घर पर ही प्रसव करवाने में महारत हासिल था। जो अब समाप्त हो गया है। इसे महिलाएंखेतीकहती हैं। प्रसव करवाने के बाद लड़का होने पर 1 मन और लड़की होने पर 30 सेर अनाज मिलता था। अब यह खेती आशा बहनों के अधीन है। आशा बहनों के सहयोग से हॉस्पिटल में ले जाकर गर्भवर्ती महिलाओं को संस्थागत प्रसव करवाया जाता है। इन लोगों को जननी सुरक्षा योजना के तहत 14 सौ रूपए प्राप्त होता है। अब ग्रामीण दाई खेत में काम करने जाती है। वहां पर मजदूरी के नाम पर साढ़े तीन किलोग्राम चावल प्राप्त होता है।
अलपा ग्राम पंचायत की वर्तमान मुखिया सुनीता शाही गिरफ्तार होगी?
टोला की देवंती देवी का कहना है कि अलपा ग्राम पंचायत की मुखिया सुनीता शाही ने वन पोषक के रूप में बहाल की थीं। प्रत्येक माह साढ़े चार हजार देना तय हुआ था। तीन माह कार्य की हैं। एक माह का मजदूरी मिला। दूसरा माह पूरा हो गया। उसका नहीं मिला है। तीसरा माह पता नहीं चल रहा है। उन्होंने कहा कि हालांकि यहां पर मनरेगा के तहत 60 जॉबकार्ड बना हुआ है। परन्तु ठीक तरह से काम नहीं मिलने के कारण 30 घरों के नौजवान पलायन करने को मजबूर हैं। इस बीच जोरदार चर्चा है कि मुखिया सुनीता शाही को 16 लाख रूपए का घोटाला करने के आरोप में गिरफ्तार किया जा सकता है? यह घोटाला वृक्षारोपन में किया गया है।
Alok Kumar