आरती देवी ने 11, सीमा रानी ने 51 और सुषमा रंजन ने 111 बार वट वृ़क्ष का परिक्रमा की
गया। आज वटसावित्री पूजा है। इसको लेकर राजधानी सहित पूरे राज्य में शनिवार को सुहागिनें वटसावित्री की पूजा की। अखंड सौभाग्य व पति के कल्याण की खातिर महिलाएं वटसावित्री पूजा करती है। सुहागिनें सुबह 6 बजे से ही रंग-बिरंगी वस्त्रों को धारण करके घर से बाहर निकली। सीधे वटसावित्री पूजा करने वट स्थल की ओर निकल पड़ी। हालांकि दिनभर सर्वार्थ सिद्धियोग है।
इसके पहले शुक्रवार को शहर के बाजारों में चहल-पहल बनी रही। खासकर फल बाजार में खूब तेजी रही। आम,लिची,केला, खीरा आदि फलों की जमकर बिक्री हुई। इसको लेकर गंगा-सोन नदी पार करके आरती देवी आयी। उसका कहना है कि बाजार से विभिन्न तरह की पूजा सामग्री खरीदने में 2 सौ रूपए खर्च की है।
किदवंती है कि वट वृक्ष के नीचे दो बांस की टोकरी में ब्रह्मा व सावित्री और सावित्री व सत्यवान की पूजा की जाती है। इसके बाद जल से वटवृक्ष की जड़ को खीचकर तना को लाल व पीले कच्चे धागे से बांधकर अखंड सौभाग्य का वरदान सौभाग्यवती नारी मांगती है। पंडित से वटसावित्री की कथा सुनती है। कथा सुनने के बाद दान किया जाता है। इसके बाद सास व पति सहित अन्य बुजुर्गो के चरण स्पर्श करके आशीवार्द लेती हैं। उन्हें भींगे चने,मिठाई व फल आदि का प्रसाद देती हैं। पति को बांस के पंखे से हवा भी झेलती हैं। अर्थवेद में मनुष्य के दीर्घ आयु के लिए वटवृक्ष की पूजा का उल्लेख है। ज्योतिषीयी दृष्टिकोण से भी मघा नक्षत्र में जन्म लिए व्यक्ति को वटवृक्ष की पूजा करनी चाहिए। इसके प्रभाव से गंडमूल व सौतेले का दोष नहीं लगता है।
वटसावित्री पूजा करने वाली आरती देवी ने कहा कि 11 बार, सीमा रानी ने 51 बार और सुषमा रंजन ने 111 बार वट वृ़क्ष का परिक्रमा की हैं। इसके अलावे सार्मथ्यानुसार अन्य सुहागिनें परिक्रमा करती देखी गयीं। पूजा समय से ही सुहागिनें व्रतधारण कर ली है। जो 24 घंटे के बाद रविवार को व्रत तोड़ेंगी।