Friday, 7 June 2013

फल्गु नदी के अस्तित्व खतरे में


11 दिवसीय पदयात्रा करके जनता और सरकार का ध्यान आकृष्ट करेंगे

गया। फल्गु बचाओें मोर्चा के बैनर तले 11 दिवसीय पदयात्रा की शुरूआत की गयी है। पदयात्रा डोभी प्रखंड के घोड़ाघाट से शुरू की गयी है। यहां पर घोड़ाघाट नहर परियोजना शुरू की गयी थी। इसका एक मुंह झारखंड की ओर दूसरी मुंह बिहार की ओर आती है। नहर के किनारे से ही पदयात्रा शुरू की गयी है। डोभी प्रखंड से निकलकर आज मोहनपुर प्रखंड में प्रवेश कर गयी। इसके बाद लालगंज प्रखंड, बोधगया, मानपुर, नगर प्रखंड के बाद बेलागंज प्रखंड में जाकर पदयात्रा समाप्त हो जाएगी।

एकता परिषद के कार्यकर्ता जगत भूषण ने कहा कि मौके परजब नदी बंधी’  नामक पुस्तक के संपादक रंजीव जी, गांधी संग्रहालय के विनोद कुमार रंजन, डा. शत्रुध्न डांगी, कारू प्रसाद आदि उपस्थित रहे। उनका कहना है कि जन सरोकारों को लेकर सत्याग्रह शुरू किया गया है। अब यह सत्याग्रह जनता पर आधारित कार्यक्रम बन गया है। लोग उत्साह से भाग ले रहे हैं। इसमें संस्था और संगठनों का भी योगदान मिल रहा है।
  मोर्चा के प्रमुखों में एक जगत भूषण ने आगे कहा कि फल्गु नदी से बालू का उठान ज्यादा होने लगा है। पहले तीन-चार फुट तक उठाव होता था, जिसकी भरपाई बरसात में नदी द्वारा लाये गये बालू से हो जाता था। लेकिन अब ज्यादा बालू निकालने से उसकी भरपाई नहीं पा रही है। नदी का तल 15 से 20 फुट नीचे जाने से आहर-पईन की परंपरा ध्वस्त हो रही है। इसके अलावे पीने का पानी का भी संकट बढ़ेगा। इस ओर समाज प्रशासन की जागरूकता बढ़े, तब इस तरह की पदयात्रा करने की जरूरत पड़ गयी है।

उन्होंने कहा कि बालू का ठेका बंद हो, सतही संसाधन- जंगल के वनस्पति, पहाड़, नदी के बालू आदि पर ग्राम सभा का अधिकार हो। इसके अलावे आहर-पईन के अतिक्रमण पर भी रोक हो। मगध की जीवन रेखा के रूप में फल्गु नदी का महत्व है लेकिन सरकार प्रशासन की अनदेखी से इसके अस्तित्व पर ही ग्रहण लग गया है। सरकार की गलत नीतियों के कारण फल्गु से बालू का अत्यधिक दोहन हो रहा है। आने वाले समय में जलापूर्ति खेतों की सिंचाई मुश्किल हो जायेगी। इन्हीं सब समस्याओं को लेकर आम प्रशासन का ध्यान आर्कषित करना है।

घोड़ाघाट से शुरू हुई यह यात्रा अमारूत में रात्रि विश्राम करने बाद कंजियार होते डोभी के केशापी पहुंचे और राम रामसेवक जी के यहां विश्राम भोजन किया गया।