मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
के गृह जिले
नालंदा के गांवों
का हाल है
बेहाल
हिलसा।
बिहार सरकार के
स्वास्थ्य विभाग का यह
हाल है। गरीब
ग्रामीणों को यक्ष्मा
बीमारी हो जाती
है। किसी तरह
से जांचकर दवा
खाना शुरू कर
देते हैं। जब
रोगी के परिजनों
के पॉकेट में
पैसा रहता है
तो खरीद कर
दवा खा लेते
हैं। जब पैसा
नहीं है तो
दवा खाना बंद
कर देते हैं।
ऐसा करने वालों
में रामजतन रविदास
भी हैं। यहां
के लोगों को
भरपेट भोजन भी
नहीं मिलता है।
यह
हाल मुख्यमंत्री नीतीश
कुमार के गृह
जिले नालंदा का
है-
नालंदा
जिले के हिलसा
प्रखंड के मिर्जापुर
पंचायत में चमंडी
गांव है। यहां
पर 150 साल से
महादलित रविदास रहते हैं।
प्रारंभ में 41 घर था
जो अब बढ़कर
55 घर हो गया
है। यहां की
जनसंख्या 300 है। केवल
आठ जन मैट्रिक
पास हैं। अंत्योदय
कार्ड 9 लोगों को मिला
है। शेष 46 लोगों
को लाल कार्ड
मिला है। 40 लोगों
को राष्ट्रीय स्वास्थ्य
बीमा योजना के
तहत स्मार्ट कार्ड
निर्गत किया गया
है। यहां के
महादलित नियमित स्मार्ट कार्ड
को 30 रूपए देकर
नवीनीकरण कराते हैं। दो
साल पहले किसी
ने आकर गैर
मजरूआ भूमि पर
रहने वालों को
वासगीत पर्चा देने के
लिए लिखकर ले
गया था। परन्तु
उसका फायदा नहीं
मिला। 22 लोगों को रेडियो
मिला है। राजू
रविदास का कहना
है कि वोट
मांगने आने वाले
नेताओं से आग्रह
किया कि यहां
पर पानी की
संकट है। तो
बाद में जाकर
चापाकल लगा दिये।
यह चापाकल की
ख्याश्यित यह है
कि चालू होते
ही खराब हो
गया।
सामाजिक
सुरक्षा पेंशन-
श्यामफुलवा
देवी(65 वर्ष) के पति
सुखाड़ी रविदास की मौत
9 दिसंबर,2012 हो गयी
है। मौत के
बाद कबीर अंत्येश्टि
योजना के तहत
1500 रू0 की राशि
नहीं दी गयी।
किसी तरह से
अंतिम संस्कार कर
लिया गया। मिर्जापुर
ग्राम पंचायत की
मुखिया किरण देवी
ने विधवा श्यामफुलवा
देवी को विधवा
पेंशन की मंजूरी
नहीं दे रही
है। उम्र की
हिसाब से वह
इंदिरा गांधी सामाजिक सुरक्षा
पेंशन की भी
हकदार है। परिवार
लाभ योजना से
भी लाभान्वित नहीं
करायी जा रही
है। ललन रविदास
के पुत्र हरेन्द्र
रविदास और ललेन्द्र
रविदास विकलांग हैं। वही
अर्जुन रविदास भी विकलांग
हैं। तीनों को
पेंशन नहीं दी
जा रही है।
‘डॉट्स’
से नहीं मिलती यक्ष्मा की
दवा-
प्रत्यक्ष
रूप से देखभाल
करके यक्षा रोगियों
को दवा खिलायी
जाती है। आंगनबाड़ी
केन्द्र और आशा
बहन के द्वारा
यक्ष्मा रोगी की
पहचान की जाती
है। इसकाी सूचना
स्थानीय स्वास्थ्य विभाग को
दी जाती है।
यक्ष्मा रोगी का
बलगम जांच करने
के बाद दवा
दी जाती है।
स्वास्थ्यकर्मी रोगी को
दवा खिलाते हैं।
ऐसा करने से
दवा देने में
अनियमिता नहीं आती
है। नियमित दवा
खाने से रोगी
तुरंत ठीक हो
जाते हैं। चमंडी
गांव के रामजतन
रविदास को यक्ष्मा
रोग हो गयी
है। दुर्भाग्य से
रविदास को ‘डॉट्स’
के तहत दवा
नहीं मिल पा
रही है। जब
रविदास के परिजनों
को पैसा होता
है तो दवा
खरीदकर लाते हैं।
कुछ दिन दवा
खाने के बाद
रोगी बेहतर महसूस
करने लगता है
तो दवा छोड़
देता है। यह
भी जबतक पैसा
है तबतक रोगी
को दवा खिला
पाते हैं।