मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र नालंदा में डोली ढोने वाले कष्ट में
सरकार और गैर सरकारी संस्थाओं के द्वारा किसी तरह का प्रोत्साहन नहीं
जब मुख्यमंत्री नीतीश
कुमार
रेल
मंत्री
थे।
तब
अपना
क्षेत्र
का
विशेष
ध्यान
दिये।
पटना-से
इस्लामपुर
तक
एक्सप्रेस
और
सवारी
गाड़ी
चलाये।
मगध
एक्सप्रेस,टाटा-इस्लामपुर
एक्सप्रेस,
बक्सर-इस्लामपुर
सवारी
गाड़ी
और
डीएमयू
सवारी
गाड़ी
चलाये।
इसमें
कुछ
गाड़ियों
की
सुविधा
बाद
में
भी
बढ़ायी
गयी।
उनका
प्रयास
चल
रहा
था।
उनका
प्रयास
सिंगल
से
डबल
लाइन
करने
का
चल
ही
रहा
था
कि
रेल
मंत्रालय
हाथ
से
चली
गयी।
दिक्कत
से
आवाजाही
करने
वालों
ने
रेल
मंत्री
से
आग्रह
किये
हैं
कि
एक
जोड़ा
अप-डाउन
फतुहा
से
इस्लामपुर
तक
डीएमयू
सवारी
गाड़ी
चलाएं।
ऐसा
करने
से
लोगों
को
देर
समय
तक
गाड़ी
के
लिए
इंतजार
करना
नहीं
पड़ेगा।
एकंरसराय रेलवे
हॉल्ट
से
3 किलोमीटर
की
दूरी
पर
एकंरडीह
गांव
है।
एकंरडीह
गांव
का
टोला
दक्षिणी
चमर
टोली
है।
यहां
पर
60 घरों
में
रविदास
रहते
हैं।
यहां
पर
दो
डोली
है।
महेन्द्र
रविदास
डोली
के
मालिक
हैं।
महेन्द्र
रविदास,कृष्णा
रविदास,धर्मेन्द
रविदास
और
मंजनू
रविदास
डोली
को
उठाते
हैं।
शादी
के
मौसम
में
साटा
लिया
जाता
है।
एक
जन
की
शादी
में
तीन-चार
हजार
रूपए
की
मांग
की
जाती
है।
एक
मौसम
में
चार-पांच
साटा
हो
जाता
है।
इसके
अलावे
अन्य
दिन
मजदूरी
का
कार्य
करते
हैं।
समयानुसार
पलायन
करके
दिल्ली
भी
जाते
हैं।
55 से अधिक साल के महेन्द्र रविदास
का
कहना
है
कि
हम
लोग
पुश्तैनी
धंधा
कर
रहे
हैं।
अब
डोली
दुलर्भ
वस्तु
की
तरह
होती
चली
जा
रही
है।
हम
लोग
किसी
तरह
से
धंधा
को
आगे
बढ़ा
रहे
हैं।
बिहार
सरकार
और
गैर
सरकारी
संस्थाओं
के
द्वारा
किसी
तरह
का
प्रोत्साहन
नहीं
मिलता
है।
हम
अपने
बलबुते
ही
कर
रहे
हैं।
आलोक कुमार